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अभिशाप साबित हो रही हरित क्रांति योजना

संवादसूत्र, गोसाईगंज (सुल्तानपुर) : नि:शुल्क बोरिंग व उस पर मिलने वाला अनुदान किसानों के लिए अभिशाप साबित हो रहा है। कूरेभार विकास खंड में यह योजना कमीशनबाजी की भेंट चढ़ गई है। इसके तहत मिलने वाली पाइप घटिया किस्म की है। अधिकांश पाइपें बोरिंग के समय ही दगा दे रही हैं। यदि ठीकठाक से बोरिंग हो भी गई तो दो-चार महीने में उस पाइप से पानी निकलना बंद हो जा रहा है। इससे किसानों को शासन के मुताबिक लाभ नहीं मिल पा रहा है।

विदित हो कि सरकार द्वारा सीमांत किसानों को 61 ख की खतौनी के आधार पर बगैर पैसे के विकास खंड द्वारा पाइप दी जा रही है। कमीशनखोरी के कारण यह पाइप घटिया किस्म की है। इसका आकलन इसी से लगाया जा सकता है कि यदि चार इंच की पाइप के ऊपर आदमी का पैर पड़ जाए तो वह तुरंत फट जाती है तो वह इतने वेग से पानी को कैसे सह पाएगी। इसी कारण कई किसान पाइप को औने-पौने दामों पर बेंच कर बाजार से अच्छी किस्म की पाइप से अपनी बोरिंग करा रहे हैं। बोरिंग कराने के बाद उन्हें मजदूर खर्च मात्र 1000 से 1500 तक दिया जा रहा है। रही बात 10000 रुपये के अनुदान की तो वह भी कर्मचारियों की बंदरबांट में लुप्त हो जा रहा है। इसके लिए किसानों को अहिमाने स्थित कृषि विभाग का दर्जनों बार चक्कर लगाना पड़ रहा है। जबकि बोरिंग वाले किसानों से बोरिंग के बाद 2500 का बैंक ड्राफ्ट संबंधित कार्यालय में जमा करना पड़ता है। इसके लिए किसान जहां स्टेट बैंक का चक्कर लगाते थक जाते हैं वहीं अहिमाने कृषि कार्यालय में उनकी फरियाद कोई सुनने वाला नहीं है। किसान रामबहादुर पांडेय, शिवमूर्ति शर्मा, राजेंद्र शुक्ला, रामतीर्थ उपाध्याय आदि ने यहां तक बताया कि उन्हें बोरिंग कराए छह माह से अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन न तो उन्हें आज अनुदान मिला और न ही फसल सींचने की काली पाइप। इस संबंध में बोरिंग मैकेनिक एसके पांडेय बताते हैं कि जब पाइप आएगी तभी मिलेगी। कब तक आएगी इस बावत वे कुछ नहीं बता सके। उधर, बोरिंग पाइप के बारे में खंड विकास अधिकारी कूरेभार विनय त्रिपाठी बताते हैं कि जो पाइप उन्हें जिला मुख्यालय से मिलती है उसे किसानों को मुहैया कराया जाता। बीडीओ भी पाइप की गुणवत्ता पर मौन साध जाते हैं।