Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/अर्थ-डे-आज-2050-तक-10-में-से-9-लोगों-को-रहना-होगा-भूखा-3427.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | अर्थ डे आज: 2050 तक 10 में से 9 लोगों को रहना होगा भूखा | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

अर्थ डे आज: 2050 तक 10 में से 9 लोगों को रहना होगा भूखा

नई दिल्‍ली. आज अर्थ डे है। दुनियाभर में धरती को बचाने की कोशिशें हो रही हैं। 1970 में छोटे से समूह अर्थ डे नेटवर्क ने अमेरिका ने 22 अप्रैल को 'पृथ्‍वी दिवस घोषित किया। संयुक्‍त राष्‍ट्र ने 2009 में 22 अप्रैल को 'अंतरराष्‍ट्रीय पृथ्‍वी दिवस' के रूप में मान्‍यता दी।


धरती पर बढ़ रहे कचरे, प्रदूषण, विलुप्‍त होते जीव-जंतु और पेड़-पौधों पर मंडरा रहे खतरों के प्रति जागरुकता पैदा करना इसका मुख्‍य उद्देश्‍य था। इस बार अप्रैल माह में भी बारिश हो रही है। तापमान सामान्‍य से 6 से 8 डिग्री सेल्सियस कम चल रहा है। ऐसे में धरती को बचाने का संकल्‍प लेना जरूरी है। आइए देखते हैं कि धरती के सामने 10 बड़ी चुनौतियां क्‍या हैं..

जनसंख्या बोझ : दुनिया की आबादी अभी 6.91 अरब है। वर्ष 2050 तक यह 9.15 अरब हो जाएगी। यही रफ्तार रही तो अगले 40 साल में 10 में से सिर्फ एक को ही भरपेट भोजन मिल पाएगा।

तपती धरती : ग्लोबल वार्मिंग से धरती का तापमान 1880 के बाद करीब एक डिग्री बढ़ चुका है। इसकी बड़ी वजह है, कार्बन उत्सर्जन। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा नवबंर १९५८ में ३१३.३४ पाट्र्स/मिलियन थी। यह २००९ में करीब ३८७.४१ पाट्र्स/मिलियन हो गई।

पिघलते ग्लेशियर : ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। आर्कटिक ध्रुव पर सिर्फ 27 ग्लेशियर ही बचे हैं। जबकि 1990 में 150 थे। इससे सदी के अंत तक समुद्र के पानी का स्तर 7 से 23 इंच बढ़ जाएगा। कई तटीय क्षेत्र डूब जाएंगे।

घटते जंगल : अर्थ ऑब्जरवेटरी नासा के मुताबिक वर्तमान में हर साल करीब 3.5 करोड़ एकड़ जंगलों की कटाई होती है। जंगल कटने से फल, फाइबर, कागज, तेल, मोम, रंग, औषधि आदि की कीमतें बढ़ रही हैं। इससे भारत को हर साल करीब 4 लाख करोड़ का नुकसान होता है।

जमीन बंजर: मिट्टी की ऊपरी परत हर साल २५ अरब टन कम हो रही है। यही जमीन को उपजाऊ बनाती है। इसमें १३ महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो पानी में मिलने के बाद पेड़-पौधों और फसल विकसित करते हैं। इसके नष्ट होने पर जमीन बंजर।

रेगिस्तान : दुनिया में हर साल करीब 32 हजार किमी जमीन रेगिस्तान हो जाती है। इस वक्त करीब 20 फीसदी जमीन रेगिस्तान बन चुकी है।

खत्म संसाधन : दुनिया में भी हर साल करीब ८.१ करोड़ बैरल तेल का उत्पादन होता है। वर्ष २०३० तक इसके घटकर करीब ३.९ करोड़ बैरल सालाना रह जाने की आशंका है।

प्रदूषण : वर्ष १९५० में प्लास्टिक का प्रयोग ५0 लाख टन था जो आज करीब १०करोड़ टन है। वर्ष १९५० में दुनिया में ५० लोगों पर एक कार होती थी। यह आंकड़ा वर्तमान में १२ लोगों पर एक कार का हो चुका है।

बिन पानी: दुनिया में आज करीब एक अरब लोगों को पीने लायक पानी नहीं मिलता। २०५० तक करीब तीन अरब लोग बिन पानी या कम पानी में गुजारा कर रहे होंगे। 2025 तक भारत के करीब 60 फीसदी भूजल स्रोत पूरी तरह सूख चुके होंगे।

स्वास्थ्य संकट : धरती पर अभी जीव-जंतुओं की करीब एक करोड़ प्रजातियां हैं। अगले 20 साल में आधी ही बचेंगीं। बदलते मौसम, बढ़ते तापमान, प्रदूषण आदि से कुछ अज्ञात जीव-जंतु पैदा हो सकते हैं। ये मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा संकट होंगीं।