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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की लापरवाही, एक ही मां की तीनों बेटियां कुपोषित

शहडोल। सरकार जहां कुपोषण मिटाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है वहीं कुपोषण को मिटाने के लिए जिम्मेदार विभागीय अधिकारी लापरवाहीपूर्ण रवैया अपना रहे हैं।

अभी हाल ही में जिले के गोहपारू ब्लॅाक के खांड गांव का मामला सामने आया है। इस गांव में एक ही मां की कोख से जन्मी तीनों बेटियां कुपोषण का दंश झेल रही हैं।

यहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने इस ओर गंभीरता नहीं दिखाई जिसका परिणाम खांड की रहने वाली प्रमिला बैगा और उसके पति चरकू बैगा को भुगतना पड़ रहा है।

आरबीएसके की टीम जब इस गांव में पहुंची तो आशा सहयोगिनी ने यह जानकारी दी जिसके बाद डॉ. प्रियंका मेश्राम ने प्रमिला को किसी तरह मनाया और गोहपारू के पोषण पुनर्वास केन्द्र में बच्चों के साथ भर्ती कराया।

तीनों बेटी जन्म से ही कुपोषित

आरबीएसके टीम की डॉ. प्रियंका मेश्राम ने अपने जिले के अधिकारियों को इस बात की जानकारी दी और बताया कि गोहपारू के खांड गांव में रहने वाली प्रमिला बैगा पति चरकू बैगा का पति मजदूरी करता है इतना पैसा नहीं रहता कि अच्छा खाना खा सकें। डॉ. मेश्राम ने जब प्रमिला से बात की तो उसने बताया कि उसकी कोख से तीन बेटियां पैदा हुईं जिसमें सभी कुपोषित हैं। पहली लड़की सुनीता बैगा 4 साल 2 माह की है। दूसरी लड़की अंजलि 2 साल 4 माह की है और तीसरी लड़की शिवानी 1 साल सात माह की है। इन तीनों में सुनीता सबसे ज्यादा कुपोषण का शिकार है। प्रमिला के अनुसार आंगनबाड़ी से उसे गर्भावस्था के दौरान कभी पोषणआहार समय पर नहीं मिला। घर में गरीबी के कारण जो मिला उसे खाकर ही पेट भर लिया। तीन लड़कियां हैं और तीनों को कुपोषण ने घेर रखा है।

ठीक से नहीं समझाया

उल्लेखनीय है कि खांड गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गोमती ने प्रमिला को गर्भावस्था के दौरान कभी ठीक से पोषण आहार नहीं दिया। जब कभी पोषण आहार का पैकेट दिया भी तो किस तरह से इसको बनाकर खाना है उसका तरीका नहीं समझाया। इतना ही नहीं जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को यह पता था कि प्रमिला की बेटियां कुपोषित हैं तो इसके बाद भी उसे ठीक से मोटीवेट नहीं किया। यदि आरबीएसके की डॉक्टर प्रियंका मेश्राम और उनकी टीम को पता न चलता तो इसे एनआरसी में भर्ती ही न कराया जाता।

क्या कहती है डायटिशियन

गोहपारू पोषण पुनर्वास केन्द्र की डायटिशियन जयश्री अग्निहोत्री का कहना है कि प्रमिला बैगा को उसकी तीनों बेटी के साथ यहां भर्ती कराया गया है। आरबीएसके टीम की डॉक्टर प्रियंका मेश्राम ने इसे भर्ती कराया है। सबसे बड़ी लड़की सुनीता अति कुपोषित है जबकि अन्य दोनों बेटियां भी कुपोषण का शिकार हैं। इनको पंद्रह दिन एनआरसी में रखकर दवा और पोषण आहार दिया जाएगा। इसके बाद जैसा इंप्रूवमेंट होगा वैसा किया जाएगा।

क्या होना चाहिए था

1- महिला को गर्भावस्था के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को ठीक से देखभाल करनी चाहिए थी।

2- महिला को पोषण आहार और विटामिन की दवाएं समय समय पर देना चाहिए थीं।

3- उसका मासिक हैल्थ रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाना चाहिए था।

4- पहली बेटी कुपोषित थी तो उसे दूसरे बच्चे में तीन साल का गेप रखने में समझाइश देनी चाहिए थी। 5- महिला को समझाइश देकर एनआरसी में बच्ची को भर्ती कराने कहना चाहिए था।

एक साल में एनआरसी पहुंचने वाले बच्चे