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आएगा सोने सरीखा चावल

लुधियाना [बिंदु उप्पल]। अब चावल पेट ही नहीं भरेगा, ताकत भी देगा। फिलीपींस में ईजाद धान की एक किस्म का उत्पादन अपने देश में भी होगा। भारतीय कृषि वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसमें उनको सफलता भी मिली है।

इस किस्म का नाम गोल्डन राइस है। इसका चावल गरीबों का ठोस आहार बन सकेगा। इसमें आयरन, जिंक व विटामिन ए जैसे पौष्टिक तत्वों की प्रचूर मात्रा है। इस वैरायटी को परमल के साथ मिलाकर तैयार किया जा रहा है। इसका दाम परमल चावल जितना ही होगा। गरीबों की सेहत के मद्देनजर सरकार अब ऐसे चावल के उत्पादन पर जोर दे रही है जिसमें आयरन व जिंक की मात्रा ज्यादा हो। इन जरूरी तत्वों की कमी के चलते महिलाएं खून की कमी व बच्चे अंधेपन का शिकार हो रहे हैं।

विशेष प्रकार के चावल की पैदावार को लेकर लुधियाना स्थित पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी [पीएयू] के विज्ञानियों ने अनुसंधान शुरू कर दिया है। आम तौर पर गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग जिस सस्ते चावल का उपयोग कर रहे हैं, उसमें आयरन, जिंक व विटामिन ए की कमी है।

फिलीपींस के इरी क्षेत्र में ऐसे चावल के उत्पादन में कामयाबी हासिल की जा चुकी है, जिसमें शरीर के लिए जरूरी तत्वों आयरन, जिंक एवं विटामिन ए की मात्रा आम चावल की तुलना में ज्यादा है।

इसे ध्यान में रखते हुए भारत में बेंगलूर [कर्नाटक], अहमदाबाद [गुजरात] व पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी [पंजाब] के विज्ञानिक इरी जाकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।

इस प्रोजेक्ट के तहत गोल्डन राइस वैरायटी तैयार की गई है, जिसका रंग पीला है। पकने के बाद भी चावल पीले रहेंगे, परंतु इसमें आयरन, जिंक व विटामिन ए की मात्रा में प्रचूर मात्रा में होंगे।

इस प्रोजेक्ट पर लुधियाना स्थित पीएयू के सीनियर राइस ब्रीडर और राइस व प्लांट ब्रीडिंग विभाग के इंचार्ज डा. टीएस भारज भी कार्य कर रहे हैं। उनके अनुसार, अभी तक गोल्डन राइस को फिलीपींस सीड बोर्ड राइस कल्चर की वैरायटी 82, इंडोनेशिया की सेहरांग, बांग्लादेश की बीआर 29, भारत की स्वर्णा में ट्रीट किया जा रहा है। भारत में आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार आदि राज्यों में इस वैरायटी को 'मिक्स' किया जा रहा है, ताकि गरीब को एक कटोरी चावल में भी जरूरी पौष्टिक तत्व मिल जाएं। उनका कहना है कि इरी में गोल्डन राइस पर अनुसंधान चल रहा है। इस वैरायटी में बीटाकैरोटिन होता है, जो विटामिन ए बनाता है।

इस वैरायटी का चावल महंगा नहीं होगा। इसकी कीमत परमल जितनी ही होगी, क्योंकि इस वेरायटी को परमल में ट्रांस्फर कर दिया गया है, ताकि यह हर आदमी की पहुंच में हो। उन्होंने खुलासा किया कि पीएयू में हाई जिंक व हाई आयरन पर अनुसंधान चल रहा है। उम्मीद है कि पीएयू के 11 विज्ञानियों की टीम इस वैरायटी को पूरे मानकों पर उत्पादन के लिए जल्द ही तैयार कर लेगी।