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आखिर इन दुकानों की दवा क्या है!

लखनऊ, [आशीष मिश्र]। नाका हिंडोला चौराहे पर एक दवा की दुकान है। इसके पास बकायदा ड्रग लाइसेंस है। हैरत की बात यह है कि इस मेडिकल स्टोर में आपको दवा ही नहीं टीवी, डीवीडी-वीसीडी प्लेयर से लेकर नई व पुरानी फिल्मों की डीवीडी तक मिल जाएगी। दुकान के मालिक का कहना है कि बिक्री कम होने पर दवा के साथ डीवीडी, टीवी का काम भी शुरू कर दिया।

सरकारी निगरानी तंत्र किस कदर चरमराया है इसकी मिसाल देखिए। बीच चौराहे चल रही इस दुकान के बारे में औषधि नियंत्रक और ड्रग इंस्पेक्टर कोई जानकारी होने से इनकार करते हैं। यह तो एक बानगी है कि दवा के कारोबार में किस कदर गड़बड़झाला चल रहा है। आकड़ों से सीधे इसकी पुष्टि भी होती है। राज्य में दवा की कुल दुकानों की संख्या 73,028 है। इनमें से 14,108 थोक दुकानें हैं जो बिना फार्मेसिस्ट के भी संचालित हो सकती हैं। नियमत: फार्मेसिस्ट द्वारा संचालित 58,920 दवा की फुटकर दुकानें विभिन्न जिलों में चल रही हैं। स्टेट फार्मेसी काउंसिल के मुताबिक राज्य में कुल मिलाकर 35,691 पंजीकृत फार्मेसिस्ट हैं। इनमें 5,595 सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। यह अपने पंजीयन संख्या पर दवा की फुटकर दुकानें नहीं खरीद सकते। राज्य में 30,096 निजी फार्मेसिस्ट अपने पंजीयन प्रमाण पत्र पर केवल एक दवा की दुकान खोल सकते हैं। वास्तविकता यह है कि 30,096 फार्मेसिस्टों द्वारा राज्य में 58,920 दवा की फुटकर दुकानें संचालित हो रही हैं। एक अधिकारी बताते हैं कि कई फार्मेसिस्टों ने अवैध रूप से अपने पंजीयन प्रमाण पत्र पर एक से अधिक ड्रग लाइसेंस प्राप्त किये हैं। ऐसे में शेष 28,824 दवा की दुकानें बगैर फार्मेसिस्ट के संचालित हो रही हैं। बीते वर्ष खाद्य एवं औषधि प्रशासन निदेशालय के गठन के बाद से अब तक दो सौ से अधिक ऐसी दवा दुकानों पर कार्रवाई हुई है लेकिन दवा दुकानों की बड़ी संख्या के आगे यह आकड़ा नाममात्र का है। निगरानी तंत्र तो पूरी तरह चरमराया हुआ है।

आखिर कौन करे निगरानी?

राज्य में चल रही सत्तर हजार से अधिक दवा की दुकानों पर निगरानी के लिए केवल गिनती के औषधि निरीक्षक हैं। इनपर दवा की दुकानों का निरीक्षण, नमूने लेने के अलावा कोर्ट में मामलों की पैरवी करने समेत तमाम काम करने पड़ते हैं।

मानक के अनुसार 250 दवा की दुकानों और 15 ड्रग फार्मेसी पर नजर रखने के लिए एक औषधि निरीक्षक होना चाहिए। इस हिसाब से राज्य में कम से कम 290 ड्रग इंस्पेक्टर होने चाहिए लेकिन हैं केवल 60। ऐसे में कई निरीक्षकों पर एक से अधिक जिलों का जिम्मा भी है। इसी खोखले तंत्र के चलते दुकानदार बेखौफ हैं और दवा का काला कारोबार धड़ल्ले से जारी है। ड्रग कंट्रोलर एएल आर्या बताते हैं जिन दुकानों की शिकायत मिलती हैं वहा तुरंत कार्रवाई की जाती है।

मेडिकल स्टोर में दवा के अलावा कुछ बेचना प्रतिबंधित

ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के मुताबिक मेडिकल स्टोर में दवा के अलावा अन्य सामान बेचना प्रतिबन्धित है। दुकान में दवाओं को तेज रोशनी, गर्मी और नमी से बचाया जायेगा। कूल प्लेस में रखी जाने वाली दवाओं को 10 से 25 डिग्री सेल्सियस और कोल्ड प्लेस में रखी जाने वाली दवाओं को आठ डिग्री सेल्सियस के भीतर एवं वैक्सीन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच रखा जाना चाहिए।