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आजादी के 67 साल बाद भी छत्‍तीसगढ़ के जामकुटनी में अंधेरा

राजेश हालदार, पखांजूर (छग)। जिला मुख्यालय से 170 किमी व कोयलीबेड़ा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत बेलगाल से 7 किमी दूर ग्राम जामकुटनी में आजादी के 67 वर्षों बाद भी बिजली नहीं पहुंची है। रोशनी के रूप में यहां के ग्रामीणों ने सिर्फ सूरज की ही रोशनी देखी है।
 
बिजली नहीं होने के कारण यहां के रहवासी विकास से कोसों दूर हैं। आधुनिक सुविधाएं यहां हैं ही नहीं। बिना बिजली यहां की खेती भी प्रभावित होती है। शासन-प्रशासन की इस उपेक्षा को लेकर यहां के ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।
 
छत्तीसगढ़ राज्य को विद्युत सरप्लस राज्य का दर्जा दिया गया है, इसके बावजूद सुदूर अंचलों में आज भी लालटेन व दीये की रोशनी में लोग रात गुजारने को मजबूर हैं। बिजली को तरसता ऐसा ही एक गांव जामकुटनी भी है। बिजली नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को होती है। रात के समय उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है।
 
बारिश के दिनों में रात के समय जहरीले जीव-जंतुओं का भी डर रहा है। यहां के लोग बिजली की बाट जोहते-जोहते थक चुके हैं। कृषि का क्षेत्र होने के बाद भी बिजली नहीं होने से ना तो बोर का पानी मिल पाता है और ना ही किसानों को अपनी उपज का दायरा बढ़ाने का अवसर ही।
 
इसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं हो पा रही है। जब भी नई सरकार बनी, यहां के रहवासियों को उम्मीदें बंधी की शायद अब उनके गांव तक बिजली पहुंच जाए, लेकिन हर बार उन्हें उपेक्षा ही मिली।
 
आधुनिकता से कोसों दूर
 
आज के आधुनिक युग में बिजली की उपयोगिता के बिना आधुनिकीकरण का सपना साकार नहीं हो सकता। आज लोग टेलीविजन और इंटरनेट के माध्यम से आधुनिकता से जुड़ रहे हैं। ऐसे में बिजली के अभाव में इस गांव के लोग आधुनिकता से आज भी कोसों दूर हैं। कई लोगों ने टीवी तक नहीं देखा इस गांव में ऐसे कई वृद्ध और बच्चे हैं जिन्होंने आज तक टेलीविजन को देखा तक नहीं है। संचार सुविधाओं की कमी के चलते यहां के लोग आधुनिक दुनिया से दूर होने के साथ ही उससे परिचित भी नहीं हैं। यहां के रहवासियों की जिंदगी में सुविधाएं जैसी कोई चीज नहीं है।
 
कई बार लगा चुके हैं गुहार
 
ग्रामीणों का कहना है कि उनके द्वारा कई बार शासन- प्रशासन से मौखिक और लिखित रूप से बिजली केलिए गुहार लगाई जा चुकी है। ग्राम सुराज में भी ग्रामीणों ने बिजली को प्राथमिक तौर पर रखकर आवेदन दिया। कई ग्रामसभाओं में भी बिजली की समस्या से ग्राम पंचायत को अवगत करवाया। बावजूद इसके आज तक यहां बिजली नहीं पहुंची।
 
छला महसूस कर रहे ग्रामीण
 
चुनाव आते ही प्रत्याशियों द्वारा ग्रामीणों को बिजली मुहैया कराने का आश्वासन देकर वोट बटोरने की होड़ लग जाती है। उन्हें बिजली का सपना दिखाया जाता है। लेकिन चुनाव जीतते ही मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाता है। ऐसा शुरू से होता रहा है। इसके चलते यहां के ग्रामीण स्वयं को छला हुआ महसूस करते हैं।