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आठवीं के चार लाख बच्चे नहीं जानते जोड़ना-घटाना

रायपुर (निप्र)। छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की हालत बहुत खराब है। कक्षा आठवीं के करीब चार लाख बच्चों को जोड़-घटाना नहीं आता। यानी 75 फीसदी बच्चे दहाई अंकों को जोड़-घटा नहीं सकते। आठवीं के 1.5 फीसदी बच्चे 1 से 9 तक के अंकों को पहचान नहीं पाते।

इसी तरह 68 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के सरल वाक्य भी नहीं पढ़ पाते। आठवीं के 4.8 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के कैपिटल लेटर को पहचान नहीं पा रहे हैं। हिन्दी का भी बुरा हाल है। 1.8 फीसदी बच्चे हिन्दी के क, ख, ग... भी नहीं पढ़ पाते। यह खुलासा शिक्षा के स्तर का देशव्यापी पड़ताल करने वाली एजेंसी असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) की वर्ष 2014 की ताजा रिपोर्ट में हुआ है।

पढ़ाई के साथ ही सुविधाओं में भी यहां के स्कूल अभी भी काफी पिछड़े हुए हैं। अभी भी 10.2 फीसदी स्कूलों में पेयजल की सुविधा नहीं है। 9.5 फीसदी स्कूलों में सुविधा तो है, लेकिन पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। राज्य के 8.2 फीसदी स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं है। 22.9 फीसदी स्कूलों में शौचालय तो है, लेकिन उपयोग करने लायक नहीं है। 29.8 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय नहीं है। 10.5 फीसदी स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है। 7.1 फीसदी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने की सुविधा नहीं है।

शिक्षा-अधिकार के मानकों पर सुधार

रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के मानकों में सुधार हुआ है। छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर), जो 2010 में आरटीई के मानक को 39.6 फीसदी पूरा कर रहे थे, अब 53.8 फीसदी कर रहे हैं। इसी तरह कक्षा-शिक्षक अनुपात (सीटीआर) जो 2010 में 64.2 फीसदी था, अब 68.1 फीसदी है। हालांकि इसमें अभी भी 38 फीसदी सुधार की गुजाइंश है।

दो फीसदी बच्चों का निजी स्कूलों में पलायन

राज्य में सरकारी स्कूलों की शिक्षा पर लोगों की विश्वास खत्म होता जा रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल सरकारी स्कूलों से करीब दो फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में पलायन कर रहे हैं। यह संख्या करीब दो लाख सालाना है। असर की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 6 से 14 वर्ष आयु के 17.8 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। यह प्रतिशत पिछले साल से दो फीसदी अधिक है।

फैक्ट फाइल

2013-14 में सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चे

प्राथमिक स्कूल 3079912

मिडिल स्कूल 1704677

सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। ग्राम सभा के माध्यम से टीचर्स बच्चों के पैरेंट्स को उनके रिपोर्ट कार्ड बता रहे हैं। टीचर्स की ट्रेनिंग कराई जा रही है। शिक्षकों को स्कूलों के निर्माण कार्यों से अलग रखा गया है। उन्हें गैर शिक्षकीय कार्यों से मुक्त कराया जा रहा है। स्कूलों के औचक निरीक्षण या मॉनीटरिंग के लिए जिला व राज्य स्तरीय जांच दल बनाए गए हैं। केदार कश्यप, स्कूल शिक्षा मंत्री