Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/आत्मनिर्भरता-ने-दी-तरक्की-सचिन-चतुर्वेदी-6707.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | आत्मनिर्भरता ने दी तरक्की - सचिन चतुर्वेदी | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

आत्मनिर्भरता ने दी तरक्की - सचिन चतुर्वेदी

देश के पिछड़े राज्यों में शुमार छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव में हर आदमी अदब से फुलबासन यादव का नाम लेता है। सातवीं जमात तक पढ़ीं यादव ने जिले की हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया है...


बदला जीने का तरीका
10 साल की उम्र में हो गई शादी
570 बाल विवाह रुकवाने में कामयाब रहीं
2012 में भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा
37 लाख रुपये का पुरस्कार मिल चुका है उनकी संस्था को
500 से ज्यादा राजनांदगांव में स्व-सहायता समूह बनाए हैं यादव ने

: पहले महिलाएं साहूकारों से कर्ज लेती थीं। अब उन्हें किसी के आगे हाथ नहीं पसारना पड़ता। आज समूह से जुड़ी हजारों महिलाएं सम्मान की जिंदगी जी रही हैं

: राजनांदगांव जिले का 60 फीसदी हिस्सा नक्सल प्रभावित है। आज भी मैं 150 किलोमीटर तक नक्सल प्रभावित इलाकों का दौरा करती हूं। मेरा मानना है कि यहां बदलाव महिलाओं की शिक्षा और आत्मनिर्भरता से आएगा

: हमारे स्व-सहायता समूह को अब तक 37 लाख रुपये की पुरस्कार राशि मिल चुकी है। इस राशि से हम मॉडल सेंटर तैयार कर रहे हैं। इस सेंटर में महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा
...फुलबासन यादव,
अध्यक्ष, जिला फेडरेशन,
मां बम्लेश्वरी जनहितकारी समिति, राजनांदगांव


करीब डेढ़ दशक पहले फुलबासन भूख और गरीबी से जूझ रही थीं। थक-हार कर बैठने के बजाए फुलबासन ने अपने जैसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का नायाब तरीका खोजा। एक बचत बैंक बनाया। शुरुआत में समूह से 10 महिलाओं को जोड़ा। सभी से सिर्फ 10 रुपये और दो मुट्ठी चावल जमा करवाया।

आज यह समूह विशाल और आत्मनिर्भर बन चुका है। करीब 2 लाख महिलाएं इससे जुड़ी हैं। इनकी कुल जमा बचत 25 करोड़ रुपये से ज्यादा है। समूह अचार-पापड़ और फूड प्रोसेसिंग के साथ ही खनन ठेके और दूसरे तरह की आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा है। क्च के सचिन चतुर्वेदी ने फुलबासन से व्यापक बातचीत की। पेश है बातचीत का प्रमुख अंश:
   
 कैसा रहा आपका बचपन ?
मैं गरीब परिवार में जन्मी। मेरे दो बहन और दो भाई हैं। सभी के लिए भोजन का इंतजाम करना बड़ी समस्या थी। होश संभालते ही एक होटल में काम पर लग गई। किसी तरह 7वीं तक पढ़ पाई। 10 वर्ष की उम्र में शादी हो गई। ससुराल में भी काफी गरीबी थी। पति चंदूलाल चरवाहा थे। घर में खाने को कुछ नहीं होता था। चार बच्चे हुए। सभी भूख से बिलखते रहते। मुझे लगा कि घर में बैठ कर कुछ नहीं हो सकता। गांव में कई ऐसी महिलाएं थीं, जिनका हाल भी मेरे जैसा था। उन्हें एकजुट कर कुछ करने का फैसला किया। 10-10 रुपये और दो मुठ्ठी चावल इकट्ठा कर समूह बनाया।
 
 परिवार के सदस्यों का कितना सहयोगा मिला?
घर से बाहर कदम रखने की कोशिश की तो बड़ों खासकर पुरुषों का विरोध झेलना पड़ा। कई बार मेरी पिटाई हुई। लेकिन, मैंने हार नहीं मानी। गांव की साफ-सफाई जैसे कामों से लोगों का दिल जीतने की कोशिश की। लेकिन, व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल होते ही फिर से विरोध का सामना करना पड़ा। हमने पहली बार 53000 रुपये में पंचायत से बाजार का ठेका लिया। इसके लिए बैंक से लोन लिया। इससे हमें 35 हजार रुपये का मुनाफा हुआ।
 
 समूह इतना बड़ा कैसे हो गया ?
इसमें सबसे बड़ा हाथ तत्कालीन कलेक्टर दिनेश श्रीवास्तव का रहा। काम के सिलसिले में एक बार कलेक्टर से मुलाकात हुई। उन्होंने काम की तारीफ की और पूरे जिले में महिला स्वयं-सहायता समूह तैयार करने का काम सौंपा। मैंने डेढ़ साल में 11,382 गांवों का दौरा कर करीब 1.5 लाख से अधिक महिलाओं के 5000 से ज्यादा स्व-सहायता समूह बनाए।
सभी महिलाओं के बैंक खाते खुलावाए और उनकी ट्रेनिंग की व्यवस्था की।

आज जिले की करीब 70 फीसदी महिलाएं स्व-समूह में शामिल हो चुकी हैं। बैंकों में जमा इनकी बचत 25 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। ये महिलाएं कुटीर उद्योगों के साथ पत्थर खदान के ठेके, बाजार ठेके, सीमेंट पाइप निर्माण, अचार-पापड़, फूड प्रोसेसिंग जैसी गतिविधियों से जुड़ी हैं। वे आज अपने पैरों पर खड़ी हैं।

आपका संगठन कैसे काम करता है?
हमारा संगठन वैज्ञानिक आधार पर काम करता है। ग्राम फेडेरेशन से लेकर क्लस्टर और सेक्टर जैसे स्ट्रक्चर हैं। 2001 में जब मैंने गांवों का दौरा शुरू किया तब मेरे पैरों में चप्पल नहीं थी। बाद में मैंने एक महीने में साइकिल सीखी। अपने साथ जुड़ी 4000 महिलाओं को साइकिल सिखाई।

महिलाओं को प्रेरित करने के लिए पहली बार महिला ओलंपिक आयोजित किया। आज महिलाएं खुद इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। आयोजन के लिए पंडाल महिलाओं की साडिय़ों से तैयार होता है। हमने सामाज में व्याप्त बुराइयों पर भी रोक लगाई है। हमने 2004-2005 में 570 बाल-विवाह रोके। इस दौरान 625 गांवों को नशा मुक्त बनाया।
 
 पद्म सम्मान मिलने पर क्या बदलाव आया?
सम्मान हमें और मजबूती से आगे बढऩे के लिए पे्ररित करते हैं। मुझे छत्तीगसढ़ राज्य अलंकरण के रूप में 1 लाख रुपये की राशि मिली थी। इस रकम से मैंने 52 बच्चों को गोद लेकर उनकी पढ़ाई की व्यवस्था की। अब तक हमारी संस्था को 37 लाख रुपये के पुरस्कार मिल चुके हैं।

 नक्सल प्रभावित इलाकों में हालात कैसे सुधारा जा सकता है?
राजनांदगांव जिले का 60 फीसदी हिस्सा नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है। मुझे काम के सिलसिले में इन इलाकों में जाना पड़ता है। मेरा मानना है कि महिलाओं की शिक्षा और उनकी आत्मनिर्भरता के उपायों से ही यहां बदलाव आएगा।