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आदिम जनजातियों पर ज्यादा फोकस

मिड डे मील योजना

यह जाहिर है कि झारखंड की आदिम जनजातियों में शिक्षा की दर बेहद कम है. उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए यह जरूरी है कि उनमें शिक्षा का तेजी से और ज्यादा-से-ज्यादा प्रसार हो. इसलिए पहाड़िया आदिम जनजाति के छात्र-छात्रों के लिए विशेष मिड डे मील योजना चलायी जा रही है. झारखंड के कल्याण विभाग द्वारा यह योजना सभी पहाड़िया दिवा कालीन स्कूलों में चलायी जा रही है. इसके तहत एक साल में 300 दिन मध्याह्न् भोजन दिया जाता है. इस पर 10.90 रुपये प्रति छात्र प्रति दिन की दर खर्च किया जाता है. यह लाभ दिन में चलने वाले पहाड़िया स्कूलों के सभी बच्चों के लिए है.

कैसे लें योजना का लाभ
स्कूलों के सभी बच्चों को स्वाभाविक रूप से स्वत: दिया जाना है. इसलिए इन स्कूलों में बच्चे के नामांकन के लिए जिले के पहाड़िया जिला कल्याण अधिकारी को आवेदन दें.


साइकिल वितरण योजना
यह योजना स्कूलों में जाने और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों, और बीपीएल परिवारों की छात्रओं को स्कूल जाने और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस योजना को शुरू किया गया है. इसके तहत सरकार द्वारा उन्हें मुफ्त में साइकिल दी जाती है.  साइकिल वितरण से दो लाभ हो रहे हैं. एक तो घर से स्कूल की दूरी ज्यादा होने की स्थिति में पहले अभिभावकों के लिए यह परेशानी थी कि वे अपनी लड़कियों को हर दिन स्कूल कैसे भेजें? दूसरा कि खुद लड़कियों के लिए परिवहन बड़ी समस्या थी. यह समस्या इस योजना से दूर हुई है. दूसरा कि साइकिल से लड़कियों के समूह में स्कूल आने-जाने से शिक्षा को लेकर नया माहौल गांवों में बना है. इससे दूसरे लड़के और अभिभावक भी नियमित रूप से बच्चों के स्कूल जाने को लेकर जागरूक हुए हैं.

किसे मिलेगा लाभ
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक एवं बीपीएल परिवारों की वैसी लड़कियां, जो कक्षा आठ में पढ़ती हैं और जिनका परिवार बीपीएल श्रेणी में आता है.

कैसे लें योजना का लाभ
इस योजना का लाभ लेने के लिए आप स्कूलों के प्राचार्य के माध्यम से जिला कल्याण अधिकारी को आवेदन दें. इसमें आप प्रखंड कल्याण पदाधिकारी की भी मदद ले सकते हैं.

बिरसा मुंडा आवास योजना
झारखंड में मोटे तौर पर नौ आदिम जन जातियां हैं. इस समूह में असुर, बिरहोर, बिरजिया, कोरबा, हिल खरिया, मल पहाड़िया, सौरया पहाड़िया, परहरिया, और सबर शामिल हैं. इनकी कुल संख्या  पिछले सर्वेक्षण के अनुसार 193,827 है. उनकी सबसे ज्यादा आबादी साहिबगंज  (35129) और दुमका (31550) जिलों में है, जबकि धनबाद (137) और गिरिडीह (258) के जिलों में इसकी संख्या सबसे कम है. असुर, बिरहोर और बिरजिया आदिम जनजाति समूह का जीवन स्तर ज्यादा खराब है. कुछ की स्थिति तो खानाबदोश जैसी है. इसलिए झारखंड सरकार सभी आदिम जनजाति परिवारों के लिए विशेष आवास योजना चला रही है, जिसका नाम बिरसा मुंडा आवास योजना है.

कैसे मिलता है लाभ
इस योजना का लाभ आदिम जनजाति समूह के सभी परिवारों को दिया जाना है. इसके लिए सरकार की ओर से धन लाभार्थियों के अनुपात में संबंधित जिले को भेज दी जाती है. लाभुकों का चयन जिले के मेसो परियोजना पदाधिकारी व जिला कल्याण अधिकारी द्वारा किया जाता है. आवास का निर्माण कल्याण विभाग के अधिकारियों की देखरेख में लाभार्थियों द्वारा खुद किया जाता है.


कैसे लें योजना का लाभ

इस योजना के लाभ के लिए आप अपने जिले के मेसो परियोजना कार्यालय या डीडब्लूओ कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं.

आदिम जनजाति मुख्यमंत्री विशेष खाद्य सुरक्षा योजना
राज्य सरकार द्वारा आदिम जनजातियों के लिए मुख्यमंत्री विशेष खाद्य सुरक्षा योजना चलायी जा रही है. इसके तहत आदिम जनजातियों को नि:शुल्क अनाज उपलब्ध कराया जाता है. प्रत्येक परिवार को हर माह 35 किलोग्राम अनाज  दिया जाता है. इस योजना का लाभ पाने की शर्त बस यही है कि आप आदिम जनजातियों परिवार के हों. इसका उद्देश्य आदिम जनजाति समूह के सदस्यों को भुखमरी से बचाना है.

योजना के लिए जिम्मेवार अधिकारी
हालांकि अनाज खाद्य एवं आपूर्ति विभाग उपलब्ध कराता है, लेकिन लाभुकों का चयन और सभी आदिम जनजाति परिवारों का इस योजना के लाभ के दायरे में लाने के लिए विशेष पहाड़िया पदाधिकारी एवं जिला कल्याण अधिकारी जिम्मेवार हैं.


झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र

अनुसूचित क्षेत्र (झारखंड राज्य) आदेश, 2007

रांची जिला

लातेहार जिला

गुमला जिला

सिमडेगा जिला

लातेहार जिला

पूर्वी सिंहभूम जिला

पश्चिमी सिंहभूम जिला

सरायकेला-खरसावां जिला

साहिबगंज जिला

दुमका जिला

पाकुड़ जिला

जामताड़ा जिला

पलामू जिला- सतबरवा प्रखंड की राबदा और बकोरिया पंचायतें

गढ़वा जिला- भंडारिया ब्लॉक

गोड्डा जिला - सुंदरपहाड़ी एवं बोआरीजोर प्रखंड

(राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के आदेश पर विधि और न्याय मंत्रलय, भारत सरकार द्वारा 11 अप्रैल 2007 को अधिसूचित)


ये योजनाएं भी हैं खास

अनुसूचित जाति-जनजाति की  छात्राओं को पोशाक योजना

इस योजना के तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की  छात्राओं  को सरकार द्वारा मुफ्त में स्कूली पोशाक दी जाती है. उन्हें नीले रंग का स्कर्ट और सफेद कमीज दी जाती है.


लाभ कैसे लें:
अगर आपको इस योजना का लाभ नहीं मिला है, तो आप अपने स्कूल के प्रधानाध्यापक के माध्यम से जिला कल्याण पदाधिकारी को आवेदन दे सकती हैं. इसमें प्रखंड कल्याण पदाधिकारी की भी मदद ले सकते हैं.


अनुसूचित जनजाति आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र योजना
इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को मुफ्त आयुर्वेदिक चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराना है. सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में 35 आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र संचालित किये जा रहे हैं. इस केंद्रों के माध्यम से अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को नि: शुल्क दवा और चिकित्सा सलाह दी जाती है. हर आयुर्वेदिक केंद्र में एक आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी और एक सहायक की तैनाती होनी है.


क्या-क्या मिलता है लाभ
रोगी को दवा और चिकित्सकीय सलाह मुफ्त में दी जाती है.


छात्रावास निर्माण योजना
यह योजना केंद्र और राज्य दोनों के सहयोग से चल रही है. इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और  अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्रों के लिए नि: शुल्क आवासीय सुविधा उपलब्ध कराना है. इसके लिए छात्रावास का निर्माण होता है. छात्रावास में मुफ्त बेड, कंबल, फर्नीचर और बरतन आदि भी कल्याण विभाग को मुहैया कराना है.

कैसे लें लाभ
छात्रावासों में जगह पाने के लिए आप प्रधानाचार्य के माध्यम से जिला कल्याण पदाधिकारी को आवेदन दें. इसमें प्रखंड कल्याण पदाधिकारी भी आपकी मदद कर सकते हैं.