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आदिवासियों के साथ करना होगा लाभ का बंटवारा

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। खनन कंपनियों के लाभ में विस्थापित आदिवासियों को हिस्सेदारी देने के मुद्दे पर सरकारी कंपनियों को कोई राहत नहीं मिलेगी। सरकारी कंपनियों को भी अपने लाभ में से 26 फीसदी हिस्सा विस्थापित स्थानीय या आदिवासी परिवारों को देना होगा। इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे योजना आयोग, कोयला मंत्रालय और स्टील मंत्रालय भी अब इसके लिए राजी हो गए हैं।

इन विभागों का विरोध समाप्त होने के साथ ही प्रस्तावित खनन एवं खनिज [विकास एवं नियमन] [एमएमडीआर] अधिनियम के रास्ते की बाधाएं भी खत्म हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक अगले हफ्ते वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में संबंधित मंत्रियों के समूह [जीओएम] की बैठक में इसे मंजूरी मिलने की संभावना है। इस विधेयक में ही खनन परियोजनाओं से विस्थापित स्थानीय नागरिकों को कंपनी के शुद्ध लाभ में 26 फीसदी हिस्सेदारी देने का प्रस्ताव किया जा रहा है। महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष के हमले से परेशान संप्रग सरकार इस विधेयक को आगामी बजट सत्र में पेश कर अपनी छवि को भी बेहतर करना चाहती है।

जीओएम की अंतिम बैठक तीन दिसंबर, 2010 को हुई थी जिसमें 26 फीसदी हिस्सेदारी देने के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई थी। तब इस प्रस्ताव का सबसे कड़ा विरोध कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, स्टील मंत्री वीरभद्र सिंह और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने किया था।

कोयला मंत्री और स्टील मंत्री का कहना था कि सरकारी कंपनियां पहले से ही समाजिक दायित्व फंड में भारी राशि देती हैं, नए प्रावधान से उन पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ जाएगा। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने धीरे-धीरे हिस्सेदारी बढ़ाने का सुझाव दिया था। उसके बाद जीओएम मुखिया मुखर्जी ने सभी मंत्रियों से अलग-अलग बात की और उन्हें इस प्रस्ताव के लिए राजी किया।

वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया है कि कंपनियों को सिर्फ खनन गतिविधियों से होने वाले लाभ में ही विस्थापित परिवारों को हिस्सा देना होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो स्टील कंपनी सेल अगर कोयला खनन करती है तो सिर्फ उस खदान से होने वाले लाभ को ही बांटना होगा। इसी तरह से अगर कोल इंडिया की किसी खनन परियोजना से कोई विस्थापित नहीं हुआ है तो उसे अपने लाभ का बंटवारा नहीं करना पड़ेगा। निजी कंपनियों पर भी यही फार्मूला लागू होगा। अगर कोई कंपनी किसी कोयला खान का इस्तेमाल सिर्फ अपने उत्पादन कार्यो में करती है तो यहां लाभ निकालने के लिए अलग प्रावधान किया जाएगा।

सरकार के इस फैसले से एनटीपीसी, कोल इंडिया, सेल जैसी सरकारी कंपनियों के अलावा खनन कार्यो से जुड़ी निजी कंपनियों मसलन टाटा, आर्सेलर मित्तल, जिंदल समूह, जेएसडब्लू जैसी तमाम निजी कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा।