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आपरेशन कराना है, औजार लेकर आओ

पटना प्रदेश के सबसे बड़े व प्रतिष्ठित पटना मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में अच्छे सर्जन हैं, बड़ी-बड़ी मशीनें हैं भले ही खराब हों, पर कटर जैसे अन्य छोटे-छोटे उपकरण या तो उपलब्ध नहीं और यदि हैं तो काम के लायक नहीं हैं। मरीजों को बाहर से किराए पर ये उपकरण लाने पड़ते हैं। इसके चलते पीएमसीएच के बाहर किराए पर आपेरशन के उपकरण उपलब्ध कराने का धंधा खूब फल-फूल रहा है। इस प्रकार गरीब मरीज नि:शुल्क इलाज की कीमत दूसरे रास्ते से भुगतने को मजबूर हैं।

टीवी ट्रैक्शन के वार्ड नंबर 3 के बेड नंबर 68 में भर्ती सुनयना देवी के पति जोगिंदर प्रसाद ने बताया कि कटर व अन्य छोटे-छोटे उपकरण मंगाए जाते हैं, मरीजों को इस पर भी एतराज नहीं है पर जिस दिन के लिए मंगाया जाता है, उस दिन आपरेशन भी नहीं किया जाता। इससे हमारा उस दिन का किराया भी जाता है, और दिनभर भूखे-प्यासे रह इंतजार के बाद आगे की तिथि दे दी जाती है। ऐसे में यदि आप विरोध करते हैं तो दु‌र्व्यवहार का शिकार बनना निश्चित है। वहीं पर भरती एक अन्य मरीज ने तो पारा मेडिकल स्टाफ के साथ एक डाक्टर का भी नाम बताया, जिसने दु‌र्व्यवहार किया।

पीएमसीएच के वरिष्ठ सर्जनों के अनुसार केवल आर्थो विभाग ही नहीं गायनी, ईएनटी, जेनेरल सर्जरी समेत समेत अन्य सभी विभागों में मरीजों को खुद ही आपरेशन के लिए उपकरणों का बंदोबस्त करना पड़ता है। इसके बाद भी एक दिन में औसतन केवल दो ही आपरेशन हो पाते हैं कारण पीएमसीएच में एनीथीसिया देने वाले चिकित्सकों की संख्या में भारी कमी। चिकित्सकों की माने तो ऐसे में एक दिन में चार मरीजों को बुलाने के बाद भी सबका आपरेशन संभव नहीं हो पाता। मरीज इसके लिए अस्पताल प्रशासन व सुविधाओं की कमी न जानते हुए सीधे सर्जन पर दोष मढ़ते हैं। मरीज तो यहां तक कह देते हैं कि सर्जन कमीशन के लोभ में जानबूझ कर बाहर से आपरेशन के उपकरण मंगाते हैं।

अस्पताल के उपाधीक्षक डा. आरके सिंह से जब इस बाबत पूछा गया तो काफी देर तक चुप रहने के बाद उन्होंने कहा कि हां यह सच है कि कुछ उपकरण खराब हो चुके हैं या नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को किराये पर वह उपकरण खुद लाने पड़ते हैं। उनकी चुप्पी तथा जल्द ही उपलब्ध कराने का आश्वासन न देना बताता है कि अभी मरीजों को काफी लंबे समय तक बाहर से उपकरण ला कर ही आपरेशन कराना होगा। विभागाध्यक्षों की माने तो उपकरण खरीद का मसला एक लंबी प्रक्रिया है, त्वरित कार्रवाई करने पर भी तीन से चार माह और लगेंगे।