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आरटीआई कानून की उड़ रही धज्जियां, नहीं मिलती सूचनाएं

जींद. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अब लोगों को सूचना नहीं दिला पा रहा है। आए दिन किसी ना किसी विभाग से सूचना नहीं मिलने की शिकायतें आला अफसरों के पास पहुंच रही हैं, लेकिन कार्रवाई तब भी नहीं होती। एक साल से भी ज्यादा समय तक विभागों के चक्कर काटने के बाद लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि वे शिकायत करें तो किससे?



केस-1

छह माह से नहीं मिली सूचना

सफीदों के वार्ड नंबर 8 निवासी हरीशचंद्र ने 3 फरवरी 2012 को निर्धारित फीस जमा करवाकर सफीदो नगर पालिका से सूचना मांगी थी। छह माह बीत जाने के बाद भी उन्हें सूचना नहीं मिली है। प्रथम अपील अधिकारी, राज्य सूचना आयुक्त तक शिकायत की जा चुकी है। आवेदक ने पूछा था कि सफीदो नगरपालिका की कितनी दुकानें हैं, कितना किराया आता है, किसके नाम से अलॉट हैं, दुकान के ट्रांसफर करने के रूप में कितनी फीस वसूली गई और एक जनवरी 2010 से 21 दिसंबर 2011 तक कितना गृहकर वसूला गया।


केस-2

एक साल से लगा रहा चक्कर
6 मई 2011 को जींद शहर के संत नगर निवासी प्रदीप कुमार ने डीआरओ कार्यालय से सूचना मांगी। एक साल से ऊपर हो चुका है, लेकिन सूचना नहीं मिल पाई है। डीसी से लेकर राज्य सूचना आयुक्त तक अधिकारियों के दरवाजे पर चक्कर पे चक्कर लगाए जा चुके हैं। मांगी गई जानकारी में जिला जींद के पटवारियों की वरिष्ठता सूची की छाया प्रति, कानूनगो पदोन्नति के लिए निर्धारित मापदंडों की छाया प्रति, विभागीय कानूनगो परीक्षा पास पटवारियों की सूची की छाया प्रति, वर्ष 1996 से प्रथम एसीपी का लाभ पाने वाले पटवारियों की सूची की छाया प्रति आदि शामिल थी।


केस-3

निर्देश के बावजूद सूचना नहीं

मेन बाजार में दर्जियों वाली गली निवासी भीमसेन रोहिला तो छोटी सी जानकारी पाने के लिए डेढ़ साल से चक्कर काट रहा है। नगर परिषद जींद से उसे जानकारी नहीं मिली है। राज्य जन सूचना अधिकारी की तरफ से भी सूचना देने के निर्देश जारी हो चुके हैं। 5 जनवरी 2011 को सूचना मांगी गई थी कि दर्जियों वाली गली में मोहनाल की बनी दुकान, सरोज के तीन मंजिला मकान का परिषद द्वारा पास किए नक्शों की कॉपी दी जाए। सूचना आज तक नहीं मिली है।

केस-4


हाईकोर्ट में पहुंचा आवेदक


खटकड़ गांव निवासी सुरेश कुमार द्वारा समय-समय पर मांगी गई 26 सूचनाओं में 19 सूचनाएं उन्हें नहीं मिली। ज्यादातर सूचना सरकार और विभागों की कार्यप्रणाली की खामियों उजागर करने वाली थी। शिक्षा विभाग की विज्ञापन संख्या 1/2005 द्वारा ठेके पर टीचर्स भर्ती के लिए जुलाई 2005 में आवेदन मांगे गए थे। पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ ने इसकी मैरिट सूची बनाकर निदेशक, शिक्षा निदेशालय हरियाणा के पास भेज दी थी। इसको लेकर मांगी गई सूचना ना मिलने पर सुरेश कुमार ने निदेशक शिक्षा निदेशालय हरियाणा और राज्य सूचना आयोग को पार्टी बनाते हुए हाईकोर्ट में 17 अप्रैल 2012 को याचिका दायर की। होईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग और निदेशक शिक्षा निदेशालय हरियाणा को नोटिस जारी किया हुआ है। 20 सितंबर को इन्होंने जवाब देना है।


क्या कहता है कानून

सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 (1) के तहत 30 दिन के अंदर पूर्ण सूचना देने का प्रावधान है। 30 दिन के अंदर सूचना ना मिलने पर एक्ट की धारा 19 (1) के तहत प्रथम अपील देने का प्रावधान है तथा प्रथम अपील का निपटारा 19 (6) के अनुसार 30 दिनों के अंदर होना चाहिए। सूचना नहीं देने पर एक्ट की धारा 20 (1) के तहत जुर्माना लगाने का अधिकार राज्य सूचना आयोग के पास है। एक्ट की धारा 20 (2) के अनुसार सूचना नहीं देने वाले या गलत सूचना देने वाले अधिकारी/कर्मचारी के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार भी राज्य सूचना आयोग के पास ही है। राज्य सूचना आयोग कार्रवाई न करे तो एक्ट में आगे कोई प्रावधान नहीं है।