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आरटीआई ने बचाया नैनीताल का पर्यावरण

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। पहाड़ी क्षेत्रों में अंधाधुंध खनन और तेजी से बढ़ रहे कंक्रीट के जंगल के कारण वहां के पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, लेकिन जब तक अजय सिंह रावत जैसे लोग सक्रिय रहेंगे, तब तक यह उम्मीद भी जिंदा रहेगी कि पहाड़ों के पर्यावरण को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। इस उद्देश्य को हासिल करने में आरटीआई कानून की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

कुमाऊं विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर अजय सिंह रावत ने आरटीआई कानून का एकाधिक बार इस्तेमाल करते हुए नैनीताल के पर्यावरण को बचाने में महती भूमिका निभाई है। वर्ष 2006 में स्थानीय लोगों को जानकारी मिली कि यहां के मनोरा रिज स्थित हनुमानगढ़ी वन पार्क में वन विभाग एक प्रोजेक्ट के तहत काफी बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य कर रहा है। वन विभाग का कहना था कि वह केवल दो छोटे गोदाम बना रहा है।

अजय सिंह रावत ने इस संबंध में वन विभाग से आरटीआई के जरिए उन निर्माण कार्यो के बारे में जानकारी मांगी। डिवीजनल वन अधिकारी [डीएफओ] ने उनको सूचना दी कि वन विभाग उस पार्क में दो गोदामों के अलावा अपने स्टाफ के लिए 37 आवास बनवा रहा है। अजय सिंह के अनुसार उस प्रोजेक्ट की वजह से नैनीताल की नाजुक पर्यावरण को खतरा पैदा हो सकता था। जिस भू-तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर उस प्रोजेक्ट का निर्माण किया जा रहा था, उसमें भी इस तथ्य की अनदेखी की गई।

इसके अलावा 1995 में अजय सिंह रावत की ही एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि नैनीताल के नाजुक पर्यावरण एवं पारिस्थतिकी के मद्देनजर सरकार द्वारा सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए। इस लिहाज से यह निर्माण कार्य सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था का भी उल्लंघन था।

अजय सिंह ने प्रोजेक्ट को हटाने के लिए डीएफओ एवं मुख्य सचिव को पत्र लिखा। मुख्य सचिव ने एक कमेटी का गठन किया। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन को उस प्रोजेक्ट को वहां से हटाने पर मजबूर होना पड़ा।