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आरटीई की निकली हवा- बृजेश भट्ट

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की जिले में पूरी तरह हवा निकल गई है। सत्र शुरू हुए चार माह बीत चुके हैं, पर अभी तक आरटीई के तहत एक भी छात्र का प्रवेश नहीं हो पाया है।

कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराने के लिए सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 बनाया। इसके तहत सबसे छोटी कक्षा में प्रवेश दिलाने के लिए केन्द्र ने कानून बनाया। साथ ही इसे सख्ती से पालन करने के निर्देश भी प्रदेश सरकार व शिक्षा विभागों को दिए गए। आरटीई कानून के तहत जिले में लगभग छह सौ सीटों पर प्रवेश दिया जाना सुनिश्चित है, जो निजी विद्यालय के सबसे छोटी कक्षा में दिया जाएगा, पर शिक्षा सत्र शुरू हुए चार माह बीतने को है, पर एक भी प्रवेश नहीं दिया जा सका है। हालांकि अभी तक साठ आवेदन जरूर शिक्षा विभाग को प्राप्त हुए हैं। जिला मुख्यालय की बात करें तो यहां पर इस नियम के तहत 57 सीट है, पर अभी तक एक सीट पर भी प्रवेश नहीं हो पाया है। हालांकि जिले का शिक्षा विभाग कई बैठकें आयोजित कर आरटीई को लेकर निजी स्कूल प्रबंधक व प्रधानाचार्य से चर्चा कर पूरा खाका तैयार कर चुका है और निजी विद्यालयों को पूरा प्रचार प्रसार कर इसके तहत छात्रों को लाभ दिलाने के निर्देश भी जारी कर चुका है, पर नतीजा सिफर ही साबित हुआ है। निजी विद्यालयों का मानना है कि उनकी ओर से समुचित प्रचार प्रसार किया गया, यहां तक कि रैलियां भी निकाली जा रही हैं, लेकिन इसके बाद भी आवेदन नहीं आ रहे हैं।

डीएम एसए मुरुगेशन भी इस मुददे को गंभीरता से लेते हुए निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यो से प्रवेश को लेकर चर्चा कर चुके हैं। शिक्षा विभाग इसके पीछे समुचित प्रचार प्रसार को ही मुख्य कारण मानता है, ऐसा नहीं है कि जिले में गरीब बच्चे नहीं रहते, जिले में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले 25 हजार वीपीएल परिवार हैं, जो जिले की जनसंख्या के लगभग आधा है।

क्या है योजना

1-निजि विद्यालयों में होना है प्रवेश

2-गरीब बच्चों के लिए है योजना

3-जिले में कुल सीट-600

4-प्रवेश-अभी तक कोई नहीं

'शिक्षा का अधिकार के अधिनियम का पूरा प्रचार-प्रसार के अभाव में प्रवेश को लेकर दिक्कतें आ रही हैं, अभी तक छह सौ सीटों के सापेक्ष साठ आवेदन ही प्राप्त हुए हैं।'

-हरि शंकर वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, रुद्रप्रयाग