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आर्थिक विकास तेज़ लेकिन ग़रीबी बड़ी चुनौती

रिपोर्ट में भारत में ग़रीबी और बढ़ती असमानता को बड़ी चुनौती बताया गया है.

संयुक्त राष्ट्र की मानव विकास [^] रिपोर्ट ने भारत को आर्थिक तरक्की करनेवाले उच्च 10 देशों की सूची में रखा है लेकिन ग़रीबी, लिंग अनुपात की बढ़ती खाई और असमानता को एक बड़ी चुनौती बताया है.

दक्षिण एशियाई देशों में मानव विकास सूचकांक पर ग़ैर-आर्थिक मापदंडों पर नेपाल सबसे तेज़ी से बढ़नेवाले देशों में नंबर दो पर है वहीं आर्थिक मापदंडों पर भारत की गिनती 10 सबसे तेज़ी से बढ़नेवाले देशों में हुई है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम [^] के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, आय के आधार पर मानव विकास को मापने की इस प्रक्रिया की शुरूआत पाकिस्तान के अर्थशास्त्री महबूब उल हक़ ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के साथ मिलकर 1990 में की थी.

रिपोर्ट के 20वें संस्करण में एक बार फिर से शुरूआती विश्लेषण तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है और साथ ही नए अंतरराष्ट्रीय [^] आंकड़ों की भी मदद ली गई है.

दिल्ली में इस रिपोर्ट को जारी करते हुए यूएनडीपी के भारत प्रमुख पैट्रिस कोएर-बाइज़ट ने कहा, “भारत मानव विकास सूचकांक में 119वें नंबर पर है. मानव विकास सूचकांग में पिछले 20 सालों में काफ़ी प्रगति हुई है और मानव विकास सूचकांक पर भारत की तरक्की दक्षिण एशिया के औसत से ऊपर है.”

रिपोर्ट का स्वागत करते हुए वित्त [^] मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार प्रोफ़ेसर कौशिक बसु का कहना था कि रिपोर्ट में तारीफ़ भी है और आलोचना भी.

उनका कहना था, “भारत मानव विकास सूचकांक में एक दर्जा आगे बढ़ा है लेकिन मुझे लगता है अभी हमें बहुत दूर जाना है. भारत के विकास की कहानी से बहुत लोग अछूते रह गए हैं.”

आर्थिक तरक्की के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी पैसा लगाना अहम है.

उनका कहना था कि आर्थिक तरक्की की बात अच्छी है लेकिन अन्य मध्यम दर्जे के देशों के मुक़ाबले भारत मानव विकास में पीछे है.

कुल 135 देशों से जुटाए स्वास्थ्य, शिक्षा और आय के पिछले 40 सालों के आंकड़ों के विश्लेषण में एशियाई देशों और विश्व की 90 प्रतिशत से ज़्यादा जनसंख्या को शामिल किया गया है.

सबसे तेज़ी से बढ़नेवाले 10 देशों में चीन एकमात्र देश है जो वहां अपनी आय की बदौलत पहुंचा है न कि स्वास्थ्य या शिक्षा के क्षेत्र की उपलब्धियों की वजह से.

चीन में पिछले चार दशकों में प्रति व्यक्ति आय में 21 गुना वृद्धि हुई है जिससे करोड़ों लोग ग़रीबी रेखा से बाहर आए हैं. लेकिन फिर भी चीन स्कूलों में दाखिले या मृत्यु की औसत उम्र को बढ़ाने के क्षेत्र की ऊपरी सूची में नहीं है.

मानव विकास रिपोर्ट 2010 के मुख्य लेखक जेनी क्लगमैन के अनुसार, “कई दशकों के मानव विकास विश्लेषण का अनुभव बताता है कि लोगों की ज़िंदगी में स्थाई सुधार तभी आ सकता है जब आर्थिक तरक्की के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी खर्च किया जाए.”