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आर्थिक सुस्ती के बावजूद भारत में अमीरी का आलम

महज पांच साल के भीतर देश में करोड़पतियों की तादाद 66 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ जाने का अनुमान

क्रेडिट सुईस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट

2018 तक भारत में करोड़पतियों की संख्या बढ़कर 3.02 लाख के स्तर पर पहुंच जाएगी
फिलहाल देश में कुल मिलाकर 1.82 लाख व्यक्ति ऐसे हैं जिनकी गिनती मिलिनॉयर्स में होती है
भारत में 1,760 अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स हैं, जिनके पास 5 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा की संपत्ति है
देश में 770 अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स ऐसे हैं जिनके पास 10 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा की दौलत है
2000 में प्रति एडल्ट संपत्ति 2,000 डॉलर थी जो 2013 तक बढ़कर हो गई 4,700 डॉलर
कुल दौलत 2013 के मध्य में 7.4 फीसदी बढ़कर 3.6 लाख करोड़ डॉलर हो गई है, यह वृद्धि महज एक साल में हुई है

भारत भले ही लंबे समय से आर्थिक सुस्ती से जूझ रहा हो, लेकिन इसके बावजूद देश में रईसों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। महज पांच साल के भीतर देश में करोड़पतियों की तादाद 66 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ जाने का अनुमान है।

ग्लोबल वेल्थ पर जारी एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र करते हुए बताया गया है कि वर्ष 2018 तक हमारे देश में करोड़पतियों की संख्या बढ़कर 3.02 लाख के स्तर पर पहुंच जाएगी। फिलहाल देश में कुल मिलाकर 1.82 लाख व्यक्ति ऐसे हैं जिनकी गिनती करोड़पतियों (मिलिनॉयर्स) में होती है।

क्रेडिट सुईस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा बुधवार को यहां जारी चौथी सालाना ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट, 2013 में बताया गया है कि भारत में फिलहाल 1,760 अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स हैं, जिनके पास 5 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा की संपत्ति है। इसी तरह देश में फिलहाल 770 अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (यूएचएनडब्ल्यूआई) ऐसे हैं जिनके पास 10 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा की संपत्ति है।

क्रेडिट सुईस के हेड (इंडिया इक्विटी रिसर्च) तोराल मुंशी ने बताया कि भारतीय मार्केट के वाइब्रैंट रहने की बदौलत यहां वर्ष 2000 के बाद से ही घरेलू संपत्ति में खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
वर्ष 2000 में भारत में प्रति व्यस्क (एडल्ट) संपत्ति 2,000 डॉलर थी जो वर्ष 2013 तक 135 फीसदी बढ़कर 4,700 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई।

उन्होंने कहा कि इसमें औसतन 8 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यही नहीं, देश के व्यस्क लोगों की आबादी में हुई 35 फीसदी की खासी बढ़ोतरी को देखते हुए कुल संपत्ति इस दौरान तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है। हालांकि, डॉलर के लिहाज से अगर गौर करें तो रुपये के अवमूल्यन के कारण भारतीय संपत्ति में 20 फीसदी की गिरावट आंकी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल दौलत वर्ष 2013 के मध्य में 7.4 फीसदी बढ़कर 3.6 लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंच गई है। यह बढ़ोतरी महज एक साल में हुई है। संपत्ति सृजन के लिहाज से उत्तर अमेरिका (11.9 फीसदी) एवं यूरोप (7.7 फीसदी) के बाद भारत का ही नंबर आता है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीयों की निजी दौलत में प्रॉपर्टी एवं अन्य अचल परिसंपत्तियों का सर्वाधिक योगदान है।