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इंदिरा आवास का बिजली बिल 62 हजार,जनता दरबार में पहुंचा मामला

पटना: औरंगाबाद से आये चरित्र यादव ने जनता दरबार कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताया कि उन्होंने इंदिरा आवास योजना से मकान बनवाया है. घर में सिर्फ एक बल्ब जलता है. एक साल में बिजली विभाग ने 62 हजार का बिल भेज दिया है. गरीब आदमी हैं, इस बिल का भुगतान कैसे कर सकते हैं. इस मामले को लेकर वे यहां छह बार आये हैं. पहली बार मुख्यमंत्री से मिल कर फरियाद रखी है.

अधिकारी कहते हैं कि बिल माफ नहीं होगा. इसी तरह की शिकायत मो इसराइल का था. खगौल ग्रामीण इलाके में रहनेवाले इसराइल को 60 रुपये मासिक पर बिजली मिलती थी. कर्मचारियों ने बाद में दो हजार का बिजली बिल भेज दिया. दो साल में किस्त जमा नहीं कराने पर बिजली बिल बढ़कर 45 हजार हो गया है. वे महज दो बल्ब का प्रयोग करते हैं.

गरीबी की समस्या लेकर आये व गश खाकर गिर पड़े : विनय कुमार नामक युवक कार्यक्रम में रोजगार पाने की समस्या लेकर पहुंचे. दोपहर 11.45 बजे मुख्यमंत्री से मिल कर आवेदन दिया. वहां से आगे बढ़ा, तो गश खाकर गिर पड़ा.

कर्मचारियों ने उन्हें तत्काल चिकित्सक के पास पहुंचाया. मुंह पर पानी के छींटे पड़े, तो वह बोलने लगा. कहा, उसे जीने की इच्छा नहीं है. उसकी मां का नाम आशा देवी है. बहन की हालत खराब है. यह शब्द कह कर वह फूट-फूट कर रोने लगा.

धान की फसल बरबाद, सीओ मानते नहीं : जनता दरबार में औरंगाबाद जिले के गोह के किसान जयशंकर सिन्हा पहुंचे थे. चक्रवात में उनकी धान की फसल नष्ट हो गयी है. अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. इस बाबत अंचलाधिकारी (सीओ) से मिलने गये, तो उन्होंने यह कहते हुए रिपोर्ट भेज दी है कि यहां पर कोई चक्रवात ही नहीं आया है.

सचिवालय सहायक की नहीं हुई नियुक्ति : बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली गयी परीक्षा के आधार पर सचिवालय सहायकों की अभी तक नियुक्ति नहीं की गयी है. उसी परीक्षा के माध्यम से अन्य पदों जैसे श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण अधिकारी, उद्योग विस्तार अधिकारी व सहकारिता विस्तार पदाधिकारियों की नियुक्ति की जा चुकी है. आयोग द्वारा अनुशंसित अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए सचिवालय सहायकों की नियुक्ति की मांग की.

स्टोन चिप्स पर वैट मामला
हड़बड़ी में क्यों है भाजपा : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने वाणिज्यकर विभाग की गलत अधिसूचना जारी से 50 करोड़ के नुकसान के मुद्दे पर तत्कालीन वित्त (वाणिज्यकर) मंत्री सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधा. कहा, विधानसभा में ध्यानाकर्षण के माध्यम से राज्य में स्टोन चिप्स पर वैट दर को कम करने का मामला सामने आया है. सरकार ने उसका जवाब भी दे दिया है. दोषी व्यक्तियों को चिह्न्ति किया जा रहा है. लेकिन, भाजपावाले जिस तरह से इस मामले को लेकर हाय-तोबा मचा रहे हैं, उससे तो लगता है कि इसमें कोई गड़बड़ी जरूर है. आखिर इतना बोलने का मकसद क्या है? सीएजी की रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया गया है.

विशेष अवकाश की मांग
विकलांग शिक्षक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नवल किशोर शर्मा ने विकलांगों को मिलनेवाले विशेष अवकाश की मांग की. उन्होंने कहा, केंद्र ने नि:शक्तों को यातायात बाधित होने पर सवारी के नहीं चलने और सहयोगी के नहीं रहने पर चार दिनों का विशेष अवकाश मंजूर किया है.  बंद के दौरान ऐसी परिस्थिति आ जाती है, तो साल में चार दिनों का अवकाश दिया जाना चाहिए.

इसके साथ ही अपने विषय से संबंधित सेमिनार, संगोष्ठी में शामिल होने के लिए 10 दिनों का सवैतनिक अवकाश दिया जाना चाहिए. बिहार विकलांग अधिकार मंच के अध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री से राज्य सरकार की नौकरियों में बैकलॉग को चिह्न्ति कर आरक्षण के आधार पर भरने की मांग की. आरक्षण के प्रावधानों के तहत नि:शक्त लोगों को नौकरी दिया जाना चाहिए. इंदिरा आवास योजना में महिला और अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की व्यवस्था की गयी है, जबकि विकलांगों का कॉलम नहीं दिया गया. इसी तरह से मनरेगा के प्रावधान के तहत होनेवाली नियुक्ति में इसका कॉलम नहीं दिया गया है.