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इंसानी दिमाग में छुपी है दुर्दात अपराधियों की पहचान

नई दिल्ली [नितिन प्रधान]। लंबी कशमकश के बाद सरकार ने डीजल पर सब्सिडी खत्म करने की तरफ कदम बढ़ा ही दिया। जरूरतमंदों तक सब्सिडी पहुंचे, इसके लिए प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण [डीबीटी] की भी शुरुआत हो गई। अब सरकार तय कर चुकी है कि खजाने पर से सब्सिडी का बोझ घटाना है। मगर खाद्य सुरक्षा जैसे बड़े मोर्चे पर कदम बढ़ाकर सरकार ने यह संकेत भी दे दिए हैं कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं उसे लोकलुभावन होने से नहीं रोक पा रही है।

वित्त मंत्री पी चिदंबरम को अपने आगामी बजट में सब्सिडी की इस दोहरी व्यवस्था में संतुलन बिठाना होगा। खजाने की हालत राजस्व संग्रह की धीमी रफ्तार के चलते पहले ही खराब थी। उस पर चालू वित्त वर्ष के बजट में करीब 1.80 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान कर दिया गया। इसका बड़ा हिस्सा खाद्य सब्सिडी और पेट्रोलियम सब्सिडी पर खर्च होना है। मगर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में तेज गिरावट से पेट्रोलियम सब्सिडी का बोझ आसमान छूने लगा है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अनुमान के मुताबिक रुपये की गिरावट से 2012-13 में पेट्रोलियम सब्सिडी की राशि 1.60 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच सकती है। बजट में इसके लिए सिर्फ 43,580 करोड़ रुपये का ही प्रावधान किया गया है।

पेट्रोलियम सब्सिडी का एक बड़ा हिस्सा डीजल पर दी जाने वाली सब्सिडी को चुकाने में जाता है। खजाने की हालत को दुरुस्त करने का एकमात्र रास्ता सब्सिडी के इस दुष्चक्र से बाहर आने का है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय ने इस दिशा में कदम आगे बढ़ा दिए हैं। साथ ही डीबीटी के जरिये सरकार ने सब्सिडी लीकेज के तमाम छेद बंद करने की भी कोशिश शुरू की है। हालांकि, अभी उर्वरक, केरोसिन, एलपीजी आदि पर दी जा रही सब्सिडी को इसमें शामिल किया जाना बाकी है। वित्त मंत्री को इस दिशा में भी कदम बढ़ाने होंगे।

इतना सब करने के बावजूद सरकार लोकलुभावन होने की मजबूरी से बाहर नहीं आ पा रही है। साल 2013-14 का बजट चिदंबरम के लिए इस मायने में बड़ी चुनौती है। संप्रग सरकार का आम चुनाव से पहले यह आखिरी बजट है। इस सरकार ने खाद्य सुरक्षा के लिए एक कानून बनाने का वादा किया था। इसके लिए सात करोड़ टन अनाज के भंडारण की आवश्यकता है। आम जनता को सस्ता अनाज उपलब्ध कराने का यह एक बड़ा कार्यक्रम है। सरकार की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में यह अहम भूमिका अदा करेगा। इसके लिए वित्त मंत्री को अगले बजट में विशेष प्रावधान करना होगा। वैसे चालू वित्त वर्ष के लिए भी बजट में 75 हजार करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।