Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/इनसे-नहीं-देखा-जाता-गरीबों-का-दर्द-2410.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | इनसे नहीं देखा जाता गरीबों का दर्द | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

इनसे नहीं देखा जाता गरीबों का दर्द

गोरखपुर [हेमन्त कुमार पाठक]। जब गंभीर बीमारी या असहनीय कष्ट से परेशान हो जाते हैं तब डाक्टर ही हमारी पीड़ा दूर करते हैं। लाखों लोग हैं जो गंभीर रोगों के शिकार हैं और सिर्फ इलाज के दम पर ही सांस ले रहे हैं। शायद इसीलिए डाक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है, लेकिन आज बढ़ते व्यवसायिकता के दौर में सबकुछ बदलता जा रहा है।

कई बार इलाज इतना महंगा हो जाता है कि गरीब खर्च करने का सोच भी नहीं पाते। महंगे इलाज के अभाव में गरीब आयेदिन थकहार कर दम तोड़ देते हैं। व्यवसायिकता के इस दौर में शायद इसीलिए डाक्टर और मरीजों के बीच की दूरी बढ़ रही है, लेकिन इस दौर में भी कुछ ऐसे चिकित्सक हैं जो व्यवसाय से अलग गरीबों व असहायों की मुफ्त सेवा कर रहे हैं। ऐसे चिकित्सकों को देखकर लगता है आज भी डाक्टर की शक्ल में भगवान मौजूद हैं।

ऐसे ही चिकित्सक हैं नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. नरेन्द्र मोहन सेठ। पिछले पचपन वर्षो से रोजाना गरीबों, असहायों, रिक्शा वालों व कुलियों का मुफ्त इलाज कर रहे हैं। डा. सेठ ने पहली बार 1953 में शहर के रीड साहब धर्मशाला के पास अस्पताल में मरीजों को देखना शुरू किया। सात साल यहां रहे। इस दौरान जमीन खरीद कर डोनेशन से सीतापुर आई हास्पिटल की स्थापना की। 1959 से 1991 में इसी अस्पताल में मरीज देखते रहे।

इसके बाद बेतियाहाता में अपने क्लीनिक में मरीज देखना शुरू किया। तब से आज तक गरीबों व असहायों के इलाज का सिलसिला नहीं टूटने दिया। पूछने पर अस्सी वर्षीय डा. सेठ कहते हैं परमात्मा ने मनुष्य का शरीर सेवा के लिये दिया है। यदि ऐसा नहीं कर पाए तो परमात्मा को क्या जबाव देंगे।

युवा न्यूरोसर्जन डा. रणविजय दूबे की सोच भी कुछ ऐसी ही हैं। असहायों की सेवा में पीछे नहीं रहते। अभी चार महीने पहले हृदय रोग के शिकार शैलेन्द्र गुप्ता के हार्ट का आपरेशन अपने पास से तीन लाख रुपया खर्च कर कराया। डा. दूबे बताते हैं कि फरवरी में मीडिया के माध्यम से उनको जानकारी मिली की जिला अस्पताल के हृदय रोग विभाग में शैलेन्द्र गुप्ता नाम का युवक भर्ती है जिसके दोनों वाल्व खराब हो चुके हैं। इलाज के लिये पैसा नहीं होने के कारण मौत से संघर्ष कर रहा हैं। जानकारी मिलने पर वह जिला अस्पताल पहुंचे।

पता चला की मरीज के हृदय के दो वाल्व खराब हो चुके हैं। युवक का दर्द देखा नहीं गया तो अपने खर्च पर इलाज कराने का फैसला किया। चौदह फरवरी को उनके पिता व व्यापारी नेता पं. दयाशंकर दूबे शैलेन्द्र को लेकर दिल्ली पहुंचे और जी. बी. पंत अस्पताल में सर्जरी करायी गई। आज मरीज स्वस्थ हैं। डा. रणविजय दूबे बताते हैं शैलेन्द्र की परेशानी को देखते हुए उन्होंने उसके लिए नौकरी की बात कर ली है। डा. दूबे ने कहा कि ऐसा कर उनको संतुष्टि मिलती हैं।

महंगे इलाज के इस दौर में हड्डी रोग विशेषज्ञ व आर्थोसर्जन डा. ऋतेश कुमार आठ लोगों का मुफ्त आपरेशन व इलाज की व्यवस्था कर चुके हैं। हर मंगलवार को गरीबों की मुफ्त चिकित्सा करते हैं।

सप्ताह के अन्य दिनों में भी कोई गरीब आ गया तो निराश नहीं लौटता। डा. ऋतेश बताते हैं के मित्रों ऐसे बहुत के चिकित्सक हैं जो गरीबों के इलाज में उनका सहयोग करते हैं। गरीबों के चेहरे पर मुस्कान देख उनके दिल को सुकून मिलता है।