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इलाज में लापरवाही पर चार डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द

नई दिल्ली। पहले झोलाछाप डॉक्टर और फिर दिल्ली के दो बड़े अस्पताल हिंदूराव व सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही 10 वर्षीय बच्चे को भारी पड़ी। बच्चे के बाएं पैर में शीशा धंस गया था। दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों की लापरवाही से बच्चे का पैर काटना पड़ा।

मामले में दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) ने दोनों अस्पतालों के चार डॉक्टरों का लाइसेंस एक महीने के लिए रद्द कर दिया है। इसमें हिंदूराव अस्पताल के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के सर्जन डॉ. अनंत शर्मा, डॉ. जगदीश व सफदरजंग अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. विशाल व कार्डियोथोरेसिक विभाग के डॉ. अरविंद पांडेय शामिल हैं।

यह घटना दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली और डॉक्टरों की लापरवाही को बयां करती है। इससे साफ है कि डॉक्टर मरीजों को ठीक से नहीं देखते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली के ही रहने वाले इस बच्चे को यहां इलाज नहीं मिला। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में चक्कर काटने के बाद बच्चे के माता-पिता को मेरठ में उसका इलाज कराना पड़ा।

पैर में ही छोड़ दिया शीशा

पीड़ित की मां रेशमा ने बताया कि बिलाल एक मई 2014 को शाम के वक्त ट्यूशन पढ़कर घर लौट रहा था। इस दौरान उसके बायें पैर में शीशा चुभ गया। आसपास के लोग उसे संगम पार्क स्थित राणा प्रताप बाग कॉलोनी में ही स्थित एक झोलाछाप डॉक्टर के पास ले गए।

झोलाछाप डॉक्टर ने पैर में टांके लगा दिए लेकिन शीशा अंदर ही छोड़ दिया। रेशमा ने बताया कि बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर उसी रात उसे हिंदूराव अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल की इमरजेंसी में डॉक्टरों ने एक्स-रे कराया और बताया कि पैर में शीशा नहीं है। पैर में चोट बताकर सुबह ओपीडी में आने को कहा।

उन्होंने बताया कि दूसरे दिन ओपीडी में पहुंचने पर दोबारा एक्स-रे कराया गया। इसमें साफ दिख रहा था कि पैर में शीशा था लेकिन डॉक्टर यह मानने को तैयार नहीं थे। अस्पताल में तीन दिन रखने के बाद उन्होंने पैर से शीशा तो निकाल दिया लेकिन संक्रमण से बचाव के लिए इंजेक्शन नहीं दिया। इससे बिलाल के पैर में संक्रमण हो गया, जिसके चलते अंततः पैर काटना पड़ा।