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इस गांव के घरों में नहीं लगते दरवाजे

इलाहाबाद। आज के समय में जहां बढ़ती चोरी और लूट की घटनाओं से सबक लेकर लोग अपने घरों में सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के पुख्ता इंतजाम करते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव है, जहां स्थानीय लोग अपने घरों में दरवाजे तक नहीं लगाते। उनकी मान्यता है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं।

इलाहाबाद जिले के कोरांव क्षेत्र स्थित दलित बहुल सिंगीपुर गांव के मकानों में यह समानता देखने को मिलती है कि उनमें दरवाजे नहीं है। इस गांव में कुछ कच्चे तो कुछ पक्के [ईट-सीमेंट के बने] और झोपड़े हर तरह के तकरीबन 150 घर हैं।

ग्रामीण बलई कोरी ने कहा कि यह बात बाहर के लोगों को चौंकाने वाली हो सकती है, लेकिन हमारे लिए यह एक परंपरा बन चुकी है। हम सदियों से बिना दरवाजों के घरों में रह रहे हैं।

इलाहाबाद शहर के करीब 40 किलोमीटर दूर सिंगीपुर गांव की आबादी करीब 500 है। गांव में निचले मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब तबके के लोग रहते हैं, जो दूध का व्यवसाय और मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। गांव में दलितों, जनजातियों और पिछड़ा वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है।

कोरांव थाना प्रभारी अजय कुमार सिंह ने कहा कि यह एक अलग तरह का रिवाज है। मुझे नहीं लगता कि उत्तर प्रदेश में कोई दूसरा इस तरह का गांव होगा, जहां लोग घरों में दरवाजे नहीं लगाते हों। वह कहते हैं कि जब मुझे पहली बार इस गांव के बारे में पता चला तो मैं आश्चर्यचकित रह गया।

सिंह ने कहा कि मैंने गांव के किसी भी घर में पूर्ण रूप से लगे दरवाजे नही देखे। हां, कुछ घरों में जानवरों के घुसने पर अवरोध लगाने के मकसद से लगीं बांस की फट्ठियां जरूर देखने को मिलीं।

थाना प्रभारी ने कहा कि गांव में विगत कई वर्षो से चोरी की कोई घटना नहीं हुई है। ग्रामीणों का विश्वास है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं और जो भी उनके घरों में चोरी का प्रयास करेगा, मां उसे दंड देंगी।

ग्रामीण बसंत लाल कहते हैं कि गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान मां काली पर हमें पूरा भरोसा है। इसीलिए हम अपने घरों की चिंता नहीं करते।

लाल के मुताबिक उनके बुजुर्ग कहा कहते थे कि जिन लोगों ने इस गांव में चोरी की, उनकी या तो मौत हो गई या वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो गए।