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ई-कचरे पर नकेल कसने की तैयारी

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। आलमारी या मेज की दराज में पड़े पुराने मोबाइल का क्या करें? पुरानी वाशिंग मशीन और फ्रिज को यूं कबाड़ी को तो नहीं दिया जा सकता, लेकिन समझ नहीं आता कि इनका करें क्या? इलेक्ट्रानिक उपकरणों के बारे में ऐसे कई सवालों का जवाब आपको जल्दी ही मिल जाएगा। ई-कबाड़ पर नियमों की नई नकेल कसने की तैयारी कर रही सरकार अब यह सुनिश्चित करने जा रही है कि उपकरण बनाने और बेचने वाले ही इस कचरे को समेटने का भी इंतजाम मुकम्मल करें।

ई-कचरे पर बनी नई नियमावली का अंतिम मसौदा साफ कहता है कि बिजली उपकरण व इलेक्ट्रानिक उत्पाद बेचने वाले हर विक्रेता को अपने यहां एक स्थान या बाक्स निर्धारित करना होगा, जिसमें उपभोक्ता पुराने उपकरण डाल सकें। साथ ही ई-कबाड़ पर कड़ी निगरानी के लिए प्रत्येक विक्रेता को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या समिति को हर साल 30 जून व उससे पहले अपने यहां जमा हुए कचरे का वार्षिक ब्यौरा भी दाखिल करना होगा।

इतना ही नहीं ई-कचरे के प्रबंधन को सख्त करने की कवायद में सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी उत्पादकों के कंधे पर डाली है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा तैयार नियमों की नई फेहरिस्त साफ कहती है कि बिजली उपकरणों व इलेक्ट्रानिक उत्पादों की उम्र पूरी होने के बाद उन्हें समेटने की जिम्मेदारी निर्माता को ही उठानी होगी। यहां तक कि निर्माताओं को नए ही नहीं, वरन बाजार में पहले से मौजूद उत्पादों को बटोरने की भी जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके उत्पाद कूड़ेदानों की बजाय निर्धारित रिसाइकिलिंग यूनिटों तक पहुंचें। निर्माताओं को अपने उत्पादों के साथ उपभोक्ताओं को रिसाइकलिंग के लिए निर्धारित जमा केंद्रों की भी जानकारी देनी होगी।

नए नियमों की कवायद के पीछे सरकार की मंशा पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रहे ई-कचरे के प्रबंधन को संगठित क्षेत्र में लाने की है। लेकिन निर्माताओं के माथे आई नई जिम्मेदारियां उत्पादों के दाम भी बढ़ा सकती हैं। हालांकि इस बात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि ई-कचरे का प्रबंधन निर्माताओं को कच्चा माल मुहैया कराकर निर्माण लागत में भी राहत दे सकता है।

बीते दिनों केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने संसद में यह जानकारी दी थी कि सरकार 15 मई तक ई-कचरे के प्रबंधन सख्त करने के लिए नए नियम जारी करने की कोशिश कर रही है। कानून मंत्रालय से परामर्श के बाद तैयार की गई नई नियमावली में चैरिटी के नाम पर देश में किसी भी तरह के इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रानिक उपकरणों के आयात पर पूरी पाबंदी लगाने की तैयारी की है। नए दिशा-निर्देशों में न केवल कबाड़ियों, ई-कचरे की रिसाइकिलिंग करने वालों को अपना पंजीकरण कराना होगा, बल्कि कामकाज का वार्षिक ब्योरा भी दाखिल करना होगा। पर्यावरण मंत्रालय ने ई-कचरे की श्रेणी में आने वाले उत्पादों और उनमें पाए जाने वाले रसायनों की भी नई सूची तैयार की है।