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उत्तरकाशी हादसा: हिमालय की ‘अस्थिर’ पहाड़ियों में बदलना होगा सुरंग बनाने का तरीका

कार्बनकॉपी, 24 नवम्बर 

उत्तरकाशी के बड़कोट-सिल्कियारा सुरंग के भीतर फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने की जद्दोजहद का यह दसवां दिन है। 21 नवंबर को फंसे मज़दूरों का पहला वीडियो जारी किया गया था, और रुका हुआ बचाव कार्य फिर शुरू किया गया था। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मज़दूरों तक पहुंचने के लिए ड्रिलिंग फिर से शुरू की जा चुकी है।

मंगलवार को जारी किया गया वीडियो फंसे हुए मज़दूरों के परिजनों के लिए कई दिनों बाद एक राहत की खबर लेकर आया। वीडियो में दिखाया गया कि कैसे उन्हें खाने-पीने का सामान पहुंचाया जा रहा है। मंगलवार को गर्म दलिया और खिचड़ी आदि भी उन्हें पहुंचाई गई।

इससे पहले 18 नवंबर को प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जमीनी हालात का मुआयना किया। सरकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि सुरंग में “फंसे हुए श्रमिकों को निकालने” के लिए “सभी तरह के प्रयास” किए जा रहे हैं।

शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक के बाद खुल्बे ने प्रेस को बताया कि श्रमिकों को बचाने में ‘पांच, छह या सात दिन भी’ लग सकते हैं।

उन्होंने कहा, “हम किसी एक योजना के तहत काम करने के बजाय पांच-सूत्रीय रणनीति पर काम कर रहे हैं। हम (पहाड़ में) लंबवत और क्षैतिज दोनों तरह से अलग-अलग जगहों पर ड्रिल करेंगे। नीदरलैंड से एक मशीन मंगाई गई है जो हमारे लिए पहाड़ी को क्षैतिज रूप से ड्रिल करने में मददगार होगी।”

12 नवंबर की सुबह सुरंग के एक हिस्से के ढहते ही श्रमिकों की मुसीबत का एक लंबा सफर शुरू हो गया। सुरंग का जो हिस्सा ढह गया वह उत्तराखंड की चार धाम महामार्ग परियोजना का निर्माणाधीन हिस्सा था।

श्रमिकों को ऑक्सीजन, पानी और खाना देने के लिए पाइप लगाए गए। सरकार ने उन्हें बाहर निकालने के लिए कई मशीनों का इस्तेमाल किया, जिसमें एक अमेरिकी ऑगर ड्रिल भी शामिल थी। इस मशीन के जरिए 70 मीटर चट्टान को काटा जा सकता है। लेकिन यह सारे प्रयास धरे के धरे रह गए। अमेरिकी ऑगर ड्रिल से काम नहीं बन सका और 18 नवंबर को आखिरकार ड्रिलिंग बंद कर दी गई थी।
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