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उत्तर प्रदेश में फिर सड़कों पर उतरे गन्ना किसान, कई जगह प्रदर्शन

अंबरीश कुमार लखनऊ, 12 जुलाई। उत्तर प्रदेश में किसान फिर सड़कों पर उतरने लगे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर धरना प्रदर्शन के साथ लाठी-गोली से प्रतिकार शुरू हो गया है। राज्य में चीनी मिलों पर किसानों के करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपए बकाया हैं, जिसमे ज्यादातर बकाया निजी क्षेत्र की दर्जन भर चीनी मिलों पर है, तो बाकी सहकारी क्षेत्र की मिलों पर। मुजफ्फरनगर में बकाया गन्ना मूल्य भुगतान करने की मांग को लेकर किसान मोरना शुगर मिल पर धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।
किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि दस दिन के अंदर भुगतान नहीं किया गया, तो वे आंदोलन पर मजबूर होंगे। दूसरी तरफ  मुरादाबाद में वीनस शुगर मिल की तरफ से किसानों के बकाया  भुगतान नहीं करने की वजह से किसान आंदोलन की राह पर जा रहे हैं। बकाया न मिलने से दर्जनों गांवों के किसान आर्थिक संकट में घिरे हुए हैं। किसान फसल के लिए लिया गया सरकारी कर्ज भी  नहीं चुका पा रहे हैं।  किसानों ने इस सिलसिले में कलक्टर को पत्र भेज कर बकाया भुगतान दिलाने की मांग की है।
बिलारी में बकाया भुगतान को लेकर किसानों और मिल मालिकों में हिंसा तक हो चुकी है। बड़ौत में बकाया गन्ना भुगतान नहीं होने से नाराज किसानों ने मलकपुर शुगर मिल में धरना शुरू कर एलान किया कि चीनी व शीरे का उठान नहीं होने दिया जाएगा। यह बानगी है, कुछ जगहों पर किसानो की बढ़ती नाराजगी की।
पूर्व संयुक गन्ना आयुक्त अशोक सिन्हा ने जनसत्ता से कहा- किसानों का 4635 करोड़ रुपए चीनी मिलों पर बकाया है पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद अब तक करीब तीन सौ करोड़ का ही भुगतान हो पाया है। इनमें निजी चीनी मिलों पर ज्यादा बकाया है। उदाहरण सरदार नगर चीनी मिल पर करीब 24 करोड़ तो अगौता मिल पर करीब 68 करोड़।
अब इस मुद्दे को लेकर किसान आंदोलन पर उतर रहा है। भाकपा नेता अशोक मिश्र न कहा-चीनी मिल मालिक यह मान कर चलते है कि जो भी सरकार हो चलेगी उसकी ही। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद जिस तरह चीनी मिल मनमानी और हिंसा कर रहे हैं, वह इस सरकार के लिए भी चुनौती  है।
मुरादाबाद के बिलारी स्थित अजुध्या शुगर मिल में दो दिन पहले बेमियादी धरना प्रदर्शन के दौरान गोली चलने की वजह से तनाव बढ़ चुका है। मिल मालिकों के सुरक्षा गार्ड की ओर से गोली चलाए जाने और बातचीत नाकाम होने से किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस घटना में मिल के एक आला अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
किसानों का आरोप है कि बातचीत रोकने के लिए गार्डों से गोली चलवा दी गई। बकाया गन्ना मूल्य भुगतान की मांग को लेकर किसान हफ्ते भर से चीनी मिल परिसर में बेमियादी धरने पर बैठे थे। जिस पर बातचीत शुरू हुई और जो शर्तें किसानों के सामने रखी गई, उसे उन्होंने मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद चीनी मिल के गार्डों से किसानों की कुछ कहासुनी भी हुई। जब मिल उपाध्यक्ष अपने कमरे से निकल कर आवास की ओर जाने लगे, तो कुछ किसानों ने उन्हें फिर से बातचीत के लिए रोकने की कोशिश की।
किसान यूनियन के नेता चौधरी भयराज सिंह का आरोप है कि उपाध्यक्ष और उनके सुरक्षा गार्डों ने किसानों पर गोली चला दी। जबकि मिल प्रबंधन का आरोप है कि मिल उपाध्यक्ष अपने कक्ष से काम निपटा कर आवास की ओर जा रहे थे, तभी कुछ किसानों ने उनका पीछा करते हुए अभद्रता की और फायरिंग कर दहशत कायम की। गन्ना समिति के सचिव सुनील कुमार वर्मा ने शुगर मिल के निदेशक और मिल उपाध्यक्ष के खिलाफ गन्ना मूल्य भुगतान के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने के आरोप में तहरीर दी।
सचिव का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय समयावधि में भुगतान न होने पर प्राथमिकी दर्ज कराना समिति का अधिकार है।
दूसरी तरफ बड़ौत में मंगलवार को बड़ी संख्या में गन्ना किसान मिल में धरने पर बैठ गए। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि किसानों के खून-पसीने की कमाई पर मिल मालिक ब्याज खा रहे हैं। जबकि किसान भूखे मरने की स्थिति में है। जब तक किसानों का बकाया भुगतान नहीं होता है, तब तक मिल से चीनी और शीरे का उठान नहीं होने दिया जाएगा।
प्रदर्शनकारी किसानों ने मिल में चीनी और शीरा लेने आए ट्रकों को लौटा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की शुगर मिलों को किसानों का 2011-12 का गन्ने का बकाया भुगतान करने की अंतिम तारीख सात जुलाई निर्धारित की थी, लेकिन एसबीईसी शुगर मिल मलकपुर ने तय तिथि के दो दिन बाद भी किसानों का 88 करोड़ का भुगतान नहीं किया।