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ऊर्जा प्रदेश में विद्युत सुरक्षा की गारंटी नहीं!

देहरादून। ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड की विद्युत वितरण प्रणाली में जन-सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। कारण यह है कि राज्य गठन के 10 साल बाद भी प्रदेश की विद्युत वितरण प्रणाली को अभी तक विद्युत सुरक्षा के निर्धारित मानकों पर पूरी तरह परखा नहीं जा सका है। जाहिर है, विद्युत सुरक्षा के प्रति उत्तराखंड पावर कारपोरेशन की यह लापरवाही न सिर्फ उसके अपने कर्मियों बल्कि आम जनता के लिए भी खतरे का सबब बनी हुई हैं।

नवोदित राज्य उत्तराखंड की विद्युत वितरण प्रणाली पर वर्तमान में 3000 मेगावाट से अधिक इलेक्ट्रिक लोड कनेक्टेड है। बिजली के इस पूरे नेटवर्क में जहां 66/11 केवी क्षमता के कुल 6 सबस्टेशन व 66 केवी की कुल 141 किमी लंबी विद्युत लाइनें मौजूद हैं, वहीं 33/11 केवी के 232 सबस्टेशन व 33 केवी क्षमता की 3928 किमी लंबी विद्युत लाइनें भी जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा 11/0.4 केवी के 37530 सबस्टेशन, 11 केवी की कुल 32577 किमी और एलटी की 47445 किमी लंबी लाइनें मौजूद हैं। लेकिन इतने बड़े नेटवर्क का कितना फीसदी हिस्सा विद्युत सुरक्षा के मानकों पर खरा उतरता है, खुद सूबे के विद्युत सुरक्षा विभाग को इसकी जानकारी नहीं है। कारण यह है कि ऊर्जा निगम ने विद्युत सुरक्षा विभाग से अभी तक अपने वितरण नेटवर्क का शत-प्रतिशत निरीक्षण नहीं करवाया है। यह हाल तब है, जब ऊर्जा निगम अपनी इस लापरवाही की बड़ी कीमत भी अदा कर चुका है। नियामक आयोग ने विद्युत निरीक्षक की स्वीकृति के बगैर ऊर्जीकृत एचटी एवं ईएचटी कार्यो के पूंजीकरण को गत वर्ष निगम की एआरआर में स्वीकार नहीं किया। इसी तरह पारेषण निगम की ऐसी परिसंपत्तियों के पूंजीकरण का भी आयोग ने अनुमोदन नहीं किया, जिससे निगम को अपनी एआरआर में करीब 7.24 करोड़ रुपये की कटौती झेलनी पड़ी। लेकिन लगता है बिजली निगमों की कार्यप्रणाली पर इस 'दंड' का भी कोई असर नहीं पड़ा। छह माह में देहरादून, पौड़ी व टिहरी जनपद में विद्युत सुरक्षा विभाग से 33 केवी व 132 केवी के मात्र डेढ़ दर्जन सब-स्टेशनों का ही निरीक्षण कराया गया। इसके अलावा विद्युत लाइनों में शत-प्रतिशत अर्थिग करने में भी ऊर्जा निगम सफल नहीं हो पाया है। जाहिर है, ऊर्जा निगम की यह लापरवाही निगम कार्मिकों व आम जनता के लिए खतरे का सबब बनी हुई हैं। अकेले देहरादून शहर में ही सात-आठ माह के अंदर विद्युत लाइनों पर काम करते हुए करंट लगने से तीन संविदा कर्मियों व एक मजदूर की मौत हो चुकी है। वोल्टेज फ्लेक्चुएशन से कई घरों में बिजली के महंगे उपकरण फुंक चुके हैं। इसके बावजूद बिजली निगमों के अधिकारी सुरक्षा के मामले में उदासीन बने हुये हैं। इस संबंध में ऊर्जा निगम के निदेशक परिचालन एके जौहरी का कहना है कि विद्युत सबस्टेशन व लाइनें बनाते वक्त निगम भी स्वयं सुरक्षा संबंधी मानकों का पालन करता है। चूंकि विद्युत सुरक्षा विभाग को इसके प्रमाणीकरण का दायित्व सौंपा गया है, तो निगम अपने सब-स्टेशनों व लाइनों के निरीक्षण करवाने की दिशा में कार्यवाही कर रहा है।