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एक कमरे में 132 बच्चों को एक साथ पढ़ाते हैं चार शिक्षक

श्योपुर, हरिओम गौड़। ऐसा नजारा आपने जीवन में शायद ही कभी देखा हो, लेकिन श्योपुर से 22 किमी दूर तुलसेफ गांव के प्राइमरी स्कूल में यह रोज की बात है। 13 वाय 18 फीट के एक कमरे में यह स्कूल चलता है। स्कूल में कुल 132 बच्चे हैं। आमतौर पर 110 से 120 बच्चे रोज पढ़ने आते हैं।


हेडमास्टर सहित स्कूल में कुल चार शिक्षक हैं। चारों शिक्षक एक कमरे में भेड-बकरियों की तरह ठूंस-ठूंसकर बैठाए गए बच्चों को एक साथ पढ़ाते हैं। स्थिति इतनी दयनीय है कि, क्लास रूम के इकलौते ब्लेक बोर्ड का उपयोग चारों शिक्षक बारी-बारी करते हैं।


हेडमास्टर महाराज सिंह धाकड़ के अनुसार, स्कूल भवन के विस्तार के लिए कई बार वरिष्ठ अफसरों को लिखित एवं मौखित तौर पर कहा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। प्रभारी डीपीसी एनआर गोंड और कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल दोनों का ही कहना है कि, ऐसे सभी स्कूलों को चयनित कर भवन विस्तार का प्रस्ताव बनाएंगे। जहां भवन नहीं वहां नए स्कूल भवन बनवाए जाएंगे।


कई जगह तो एक कमरा भी नहीं.


जिले में कई स्कूल ऐसे हैं जिनके पास भवन ही नहीं। जावदेश्वर गांव के प्राइमरी स्कूल के बच्चे नींम के पेड़ के नीचे पढ़ते हैं, क्योंकि इस गांव के स्कूल भवन व उसकी जमीन पर एक दबंग ने कब्जा कर रखा है।


राडेप गांव में तो प्राइमरी, मिडिल व हाईस्कूल ग्रामीणों द्वारा दी गई दो कमरों की धर्मशाला में लगता है। श्योपुर शहर में ही किला रोड पर उर्दू गांधी मिडिल स्कूल खुले मैदान में लगता है, क्योंकि स्कूल भवन जर्जर हो चुका है। श्योपुर में 1159 प्राइमरी व मिडिल स्कूल है, इनमें से करीब 140 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जिनके पास पर्याप्त कमरे नहीं, किसी में भवन ही नहीं तो कोई स्कूल जर्जर हाल हो चुका है।


बेहतर शिक्षा के लिए यह है नियम

शिक्षा विभाग ने बेहतर शैक्षणिक कार्य के लिए नियम-कादये बना रखे हैं। इनके हिसाब से एक क्लास रूम में औसतन 35 और अधिकतम 40 बच्चे ही बैठाए जा सकते हैं। इसके अलावा प्राइमरी स्कूल में एक शिक्षक अधिकमत 30 बच्चों को और मिडिल स्कूल में एक शिक्षक ज्यादा से ज्यादा 35 बच्चों को पढ़ा सकता है।