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एकल महिलाओं को बचत, ऋण, व्यवसाय का गुर सिखाता है दीदी बैंक- राधेश सिंह राज

सरकार की सारी योजनाओं के लाभ को दरकिनार करते हुए खुद को साबित करने के उद्देश्य से नवचिराग महिला समिति के कार्य एकल महिलाओं के समक्ष मॉडल साबित हो रहा है. आज की तिथि में न सिर्फ पूरे झारखंड राज्य  बल्कि देश की एकल महिलाओं के समक्ष उदाहरण बन कर पेश हो रही है. नवसृजित आनंदपुर प्रखंड के पृथक होने से पूर्व आनंदपुर प्रखंड की महिलाओं ने नव चिराग महिला समिति की महिलाओं को महिला प्रतिनिधित्व की मुखिया के रूप में मान कर एक बचत करने वाली संस्था में रूप में क्रियान्वित किया.

चारबंदिया में महिला समूहों के द्वारा संचालित दीदी बैंक
आधी आबादी को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने के मकसद से चारबंदिया में नव चिराग महिला समूह के द्वारा उक्त बैंक की स्थापना वर्ष 2009 में की गयी थी. नव चिराग महिला बचत साख स्वालंबन सहकारी समिति (दीदी बैंक) के रूप में काम करने लगी. नौ जुलाई 2009 को बैंक का विधिवत उद्घाटन सम्मानित अतिथियों के द्वारा समारोह में किया गया था. उस वक्त महज 1900  रुपये की पूंजी बैंक के पास थी. दीदी बैंक से आनंदपुर प्रखंड की कुल 89 महिला समूह जुड़े हैं, जिसमें 1150 महिलाओं का बैंक खाता दीदी बैंक में है.

यह बैंक खाता समूह के नाम पर है. जिसमें महिलाएं प्रतिमाह 10 रुपये की दर से तथा समूह 120 रुपये की दर से बैंक में राशि जमा करते हैं. यह बैंक खुद के समिति भवन में कुटीर उद्योग चला रहा है. बैंक के द्वारा कपड़ा दुकान व चावल से मुढ़ी बनाने की मशीन लगाकर कुटीर उद्योग किया जा रहा है. इस बैंक से जुड़े महिला समूह की महिलाएं बैंक में बचत के पैसे जमा करती हैं, ऋण लेती हैं. महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यावसायिक तथा व्यक्तिगत स्तर पर रोजगार के सृजन के लिए ऋण दिया जाता है. दीदी बैंक से ऋण लेने वाली समूह की महिलाओं द्वारा नियमित रूप से ऋण व ब्याज वापस किया जाता है. जिससे बैंक के मूलधन में लगातार इजाफा हो रहा है. दीदी बैंक के नियम के मुताबिक प्रत्येक माह प्रत्येक महिला समूहों के द्वारा बैंक के खाते में 120 रुपये जमा किया जाता है, जिस हिसाब से 89 महिला समूह द्वारा प्रति माह बैंक के पास जमा होते हैं.

जिससे समूह से जुड़ी हुई महिलाओं को ऋण देकर स्वरोजगार से जोड़ते हुए  आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. प्रतिमाह 12 तारीख को बैंक कार्य दिवस को महिलाओं द्वारा पैसे(ऋण व बचत) जमा किया जाता है. इसके अलावा 140 महिलाओं के द्वारा 140 निजी खाता का संचालन होता है. जिसमें महिलाएं अपनी सुविधा के मुताबिक पैसों की जमा व निकासी करती हैं. जमा पैसों पर प्रति 100 रुपये पर एक रुपये ब्याज देकर उक्त दीदी बैंक का संचालन नव चिराग महिला बचत एवं साख स्वालंबी सहकारी समिति के रूप में दीदी बैंक में होता है.

कहते हैं दृढ़ प्रतिज्ञा व इच्छाशक्ति किसी सहायता की मोहताज नहीं होती. आनंदपुर की विभिन्न महिला समितियों ने दीदी बैंक से जुड़ कर इसे सच कर दिखाया है. महिला स्वालंबन की दिशा में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन तथा झारखंड महिला स्वालंबन सहकारी समिति  समेत कई प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है. पर, सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाये जा रहे सभी कार्यक्रमों से महरूम  आनंदपुर की महिलाएं खुद की मेहनत से भविष्य का उदाहरण बनने के लिए बेताब दिख रही हैं. यही वजह है कि दीदी बैंक के सहयोग से कोई अपनी बेटी को नर्स, तो कोई अपने बेटे को आर्मी तथा कोई व्यवसाय कर जीवन स्तर ऊंचा करने की कवायद में जुटा है. बात हो रही है आनंदपुर प्रखंड के चारबंदिया में स्थित नव चिराग महिला सहकारी समिति (दीदी बैंक) की.

अप्रैल से महिलाओं का बीमा भी कर रहा है दीदी बैंक
आनंदपुर प्रखंड की नव चिराग महिला बचत समिति(दीदी बैंक) ने चारबंदिया में 12 अप्रैल  से बीमा योजना का शुभारंभ किया है. बैंक की सचिव राहिल सुरीन की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया. शनिवार को महिला समूह से जुड़ी महिलाओं के लिए तीन वर्ष की बीमा शुरु की गयी. इस बीमा योजना के तहत दीदी बैंक से जुड़े सभी महिला समूहों से प्रतिमाह 100 रुपये जमा लिया गया. जमशेदपुर के समेकित जन विकास केंद्र (जमशेदपुर, सुंदरनगर) के निदेशक फादर हलन बोदरा के नेतृत्व में संचालित हो रहे उक्त दीदी बैंक में अब तक बचत खाता व ऋण खाता का संचालन किया जाता था. शनिवार से शुरू हुई उक्त बीमा योजना के तहत प्रिमियम समूह से जुड़ी सभी महिलाओं को प्रत्येक माह लगभग 10-10 रुपये देने होंगे. निर्धारित तीन वर्षो के भीतर किसी दुर्घटनावश अन्यथा आकस्मिक मृत्यु पर महिला समूह से जुड़ी महिला के आश्रितों को बीमा राशि का लाभ मिलेगा. इस बीमा के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने वाली महिलाओं को भी इसका लाभ दिया जायेगा. मौके पर मुख्य रूप से बोरोनिका लकड़ा, सिस्टर दिव्या, अंजेला लकड़ा, सिस्टर अनीता तोपनो समेत महिला समूह की महिलाएं उपस्थित थीं.