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Resource centre on India's rural distress
 
 

एक्सपोर्ट में ग्रोथ से कम हो रही नौकरियां : रिपोर्ट

मई में श्रमिक प्रधान और पारंपरिक क्षेत्रों के बदौलत निर्यात क्षेत्र में जबरदस्त ग्रोथ हुई है। लेकिन क्रिसिल की मानें तो निर्यात क्षेत्र में नौकरियां कम हो रही हैं। क्रिसिल के मुताबिक, इंडिया के एक्सपोर्ट में डोमेस्टिक वैल्यू एडेड (डीवीए) कंटेंट और एम्पलॉयमेंट इंटेसिटी में गिरावट देखी गई है।
 
क्रिसिल की राय
 
क्रिसिल ने निर्यात बाजार में जॉब पैटर्न को समझने के लिए ओईसीडी वैल्‍यू एड डाटा बेस की मदद ली है और उसकी चीन से तुलना की। एजेंसी ने सलाह दी है कि कम अवधि में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए श्रम आ‍धारित निर्यात पर ध्‍यान देने की जरूरत है। इंजीनियरिंग गुड्स हो या फिर रेडीमेड गारमेंट, लेदर, कारपेट, सेरेमिक और ग्लासवेयर जैसे क्षेत्रों में निर्यात के आंकड़े जोरदार रहे हैं। इन्हीं क्षेत्रों की बदौलत देश का निर्यात इस साल  मई में 12.4 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 28 अरब डॉलर रहा। 

भ्रम पैदा कर रहे आंकड़े

क्रिसिल के मुताबिक, रोजगार और इनकम के लिहाज से निर्यात के आंकड़े भ्रम पैदा करने वाले हैं। ओईसीडी ने कहा है कि जीडीपी में डीवीए का प्रतिशत (निर्यात का अनुपात जिसका उत्पादन भारत में हुआ हो) साल 2009 में 78 फीसदी रहा, जो 1995 में 90 फीसदी था।
 
कम हुआ रोजगार

मैन्‍युफैक्‍चरिंग वस्‍तुओं की डीवीए में 51 प्रतिशत, केमिकल में 73 प्रतिशत और टांसपोर्ट उपकरणों में 76 प्रतिशत की गिरावट आयी है। यानी इन सेक्टर्स मे रोजगार कम हुआ है। क्रिसिल के मुताबिक, ग्लोबल सप्लाई चेन के साथ अच्छे तालमेल के चलते डीवीए गिर रहा है और फॉरेन वैल्यू एडेड (एफवीए) बढ़ रहा है। एजेंसी के मुताबिक, एफवीए से एक्सचेंज दरों में उतार-चढ़ाव का निर्यात पर पड़ने वाला असर कम हो जाता है और प्रतिस्पर्द्धा क्षमता पर असर पड़ता है।
 
दूसरे सेक्‍टरों में ज्‍यादा रोजगार

क्रिसिल का कहना है कि एक्‍सपोर्ट सेक्‍टर में नौकरियों में कमी आई है तो दूसरी ओर सर्विस सेक्‍टर में वृद्धि हुई है। आईटी/ आईटीईएस जैसे रोजगार पैदा करने वाले सर्विस सेक्‍टर में लेबर प्रोडक्टिविटी में वृद्धि दर्ज की गई है।
इसी साल अपनी एक रिपोर्ट में क्रिसिल ने कहा था कि देश में मैन्‍युफक्‍चरिंग सेक्‍टर में लेबर इंटेसिटी (10 लाख रुपए की वास्‍तवित जीडीपी उत्‍पादन के लिए लगे कुल श्रमिकों की संख्‍या ) 7.2 और बिजनेस सर्विसेज में 1.4 थी।
 
ऐसे होगा सुधार
केंद्र सरकार आने वाले हफ्तों में विदेशी व्यापार नीति पेश करने वाली है। इसे देखते हुए क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि निर्यात लक्ष्य ऊंचा रखने की जरूरत है ताकि जॉब क्रिएशन और इनकम जनरेशन के मोर्चे पर सुधार हो सके।