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एनएच व मनरेगा में हकमारी-।। रामनरेश चौरसिया ।।

पटना : केंद्र यदि बिहार की अनदेखी न करे, तो बिहार नेशनल हाइवे के मामले में भी विकसित राज्यों की बराबरी कर सकता है. राज्य में नेशनल हाइवे का वैसे ही संकट है, उस पर सिंगल नेशनल हाइवे भी यहां सबसे अधिक है. दूसरे राज्यों में, जहां फोर और सिक्स लेनवाले नेशनल हाइवे का निर्माण हो रहा है, वहीं बिहार में आज भी 839 किलोमीटर सिंगल रोडवाले एनएच हैं.

सिंगल रोडवाले नेशनल हाइवे के मामले में बिहार देश के नंबर-वन राज्यों में शुमार है. बिहार सरकार ने सूबे की 2690 किलोमीटर स्टेट हाइवे और जिला सड़कों को एनएच में तबदील करने की सिफारिश की है, किंतु केंद्र ने सात वषों में महज 515 किलोमीटर स्टेट हाइवे और वृहद जिला सड़कों को ही नेशनल हाइवे में कनवर्ट करने की स्वीकृति दी है.

सिंगल रोडवाला नेशनल हाइवे दक्षिण और उत्तर बिहार में सर्वाधिक है. सिंगल रोडवाले नेशनल हाइवे पर रोजना 52 से 59 हजार बड़ी-छोटी गाड़ियां गुजरती हैं. सिंगल रोड होने के कारण इन सड़कों पर आये दिन भारी जाम लगता है.

सिंगल रोड एनएच को टू और फोर-लेन में तबदील करने का प्रस्ताव केंद्रीय राजमार्ग मंत्रालय में धूल फांक रहा है. सिंगल रोडवाले एनएच यदि टू या फोर-लेन में तबदील हो गये होते, तो आज सूबे की सूरत बदल गयी होती.

नेशनल हाइवे के रखरखाव का जिम्मा बिहार सरकार का है. इसके लिए केंद्र को राशि मुहैया करानी है, पर इस मामले में भी केंद्र उदारता नहीं बरत रहा. छह वर्षो में पथ निर्माण विभाग ने केंद्र से 438 नेशनल हाइवे की मरम्मत के लिए 3337. 05 करोड़ मांगे. केंद्र ने महज 180 एनएच की मरम्मत के लिए 1082. 79 करोड़ रुपये ही दिये. थक-हार कर बिहार सरकार को 969. 75 करोड़ अपने मद से खर्च करना पड़ा है. यह राशि भी केंद्र सरकार नहीं दे रही है.

- मनरेगा में सबसे कम मजदूरी बिहार में
।। शशि भूषण कुंवर ।। पटना : बिहार के मनरेगा मजदूरों की एक दिन की मजदूरी 122 रुपये. झारखंड में भी 122 रुपये प्रतिदिन. अगर कोई मजदूर हरियाणा में उसी मनरेगा के तहत काम करता है, तो उसकी दैनिक मजदूरी 191 रुपये मिलती है.

केरल में प्रतिदिन 164 रुपये व पंजाब में 166 रुपये भुगतान किया जाता है. केंद्र सरकार ने एक ही योजना में पूरे देश में सबसे कम मजदूरी बिहार-झारखंड के मजदूरों की लगायी है. इस कमी की भरपायी करनेवाली राज्य सरकार ने भी वित्तीय बोझ को उठाने से हाथ खींच लिया है.

ढ़ते वित्तीय बोझ व महाधिवक्ता की सलाह के बाद राज्य सरकार ने मनरेगा मजदूरी की भरपायी करने से इनकार कर दिया है. राज्य सरकार अगर मनरेगा में अपनी ओर से 22 रुपये की अतिरिक्त भरपायी नहीं करती है, हर मजदूर की मजदूरी में प्रति दिन 29 रुपये की हकमारी हो जायेगी.

पिछले वर्ष राज्य में न्यूनतम मजदूरी 145 रुपये निर्धारित थी. केंद्र सरकार 122 रुपये देती थी, जबकि न्यूनतम मजदूरी देने के लिए राज्य सरकार 22 रुपये अपने कोष से देती थी. एक अप्रैल, 2012 से राज्य सरकार ने न्यूनतम मजदूरी 151 रुपये प्रतिदिन निर्धारित की है.

उधर, केंद्र सरकार इस वर्ष भी देश में सबसे न्यूनतम 122 रुपये मजदूरी बिहार में ही निर्धारित की है. भारत सरकार द्वारा निर्धारित श्रम बजट को आधार माना जाये, तो हर दिन बिहार के मजदूरों का 85 लाख रुपये का भुगतान नहीं हो रहा है.

इस वर्ष एक करोड़ 78 लाख मजदूरों का निबंधन किया गया है. इसमें अभी 12 लाख 52 हजार 640 मजदूरों ने रोजगार की मांग की है. राज्य सरकार एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर केंद्र के समक्ष विरोध दर्ज करने जा रही है.

-पूरी तरह केंद्र प्रायोजित है मनरेगा
मनरेगा पूर्णरूप से केंद्र प्रायोजित योजना है. इसमें राज्य सरकार को एक भी फीसदी का अंशदान नहीं करना पड़ता है. गांव से मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए साल में 100 दिन का अनिवार्य रोजगार देने की व्यवस्था की गयी है. यह सरकार से मांग आधारित योजना है. मनरेगा योजना के तहत मजदूरों का निबंधन होता है. उसका जॉब कार्ड बनता है और रोजगार मांगने पर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है. रोजगार नहीं दने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है.

* न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलेगी मनरेगा मजदूरों को
पिछले वर्ष भी बिहार सरकार ने न्यूनतम मजदूरी को लेकर केंद्र के सामने आपत्ति जतायी थी. इस वर्ष निर्धारित की गयी न्यूनतम मजदूरी को लेकर एक बार फिर केंद्र को पत्र भेजा जा रहा है. केंद्र से अनुरोध किया जायेगा कि मनरेगा के तहत दी जानेवाली न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जाये.’
नीतीश मिश्र मंत्री, ग्रामीण विकास

* बीओटी सिस्टम पर बन रहे नौ एनएच
पटना : बिहार के नौ जिलों के लोगों का नेशनल हाइवे पर चलने का सपना दो वर्षो में पूरा हो जायेगा. नौ जिलों में 1015 किलो मीटर नेशनल हाइवे निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है. नौ जिलों में छह नेशनल हाइवे का निर्माण फेज-3 के तहत कराया जा रहा है.

नौ जिलों में 1015 किलो मीटर नेशनल हाइवे निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है. छहों नेशनल हाइवे के निर्माण से हाजीपुर-मुजफ्फरपुर-छपरा, बक्सर-पटना, बक्सर से बख्तियारपुर, मोकामा से मुंगेर और खगड़िया आना-जाना आसान हो जायेगा. इसे 2014 तक पूरा करने का लक्ष्य है.

नौ जिलों में नेशनल हाइवे के निर्माण की योजना 2006 में ही बनी थी, किंतु कभी केंद्र की उदासीनता के कारण, तो कभी स्थानीय स्तर पर भूमि अधिग्रहण की समस्या को ले कर इनका निर्माण रुका रहा. तमाम प्रक्रिया पूरी करने के बाद 2010-11 से नौ नेशनल हाइवे का निर्माण शुरू हुआ.

नौ जिलों के लोगों को एनएच पर अपनी गाड़ियां चलाने के लिए जेब भी ढीली करनी होगी. नव निर्मित नेशनल हाइवे पर गाड़ियां दौराने के लिए उन्हें टॉल टैक्स देना होगा. नौ जिलों में नेशनल हाइवे का निर्माण बीओटी सिस्टम से हो रहा है. इस सिस्टम के तहत बनी सड़कों पर टॉल टैक्स का प्रावधान है.

* कहां-कहां बन रहे हैं बीओटी सिस्टम पर नेशनल हाइवे
हाजीपुर-मुजफ्फरपुर, हाजीपुर-छपरा, बक्सर-पटना, पटना-बख्तियारपुर, खगड़िया-राजेंद्रपुल
मोकामा- मुंगेर