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एपीएल के लिए खाद्यान्न कीमतों में वृद्धि टली

नई दिल्ली। सरकार ने गरीबी रेखा के उपर [एपीएल] के 11.52 करोड़ परिवारों के लिए आवंटित किए जाने वाले गेहूं और चावल की दरें बढ़ाने के प्रस्ताव को संभवत: स्थगित कर दिया है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने खाद्य मंत्रालय की ओर से रखे गए इस आशय के प्रस्ताव को टाल दिया है। इस प्रस्ताव के तहत राशन की दुकानों के जरिए एपीएल परिवारों को बेचे जाने वाले गेहूं और चावल की कीमतों को क्रमश: बढ़ाकर 11 रुपये प्रति किलो और 15.37 रुपये प्रति किलो किया जाना था ताकि इनकी दरों कों इन जिन्सों के सरकारी खरीद मूल्यों के बाराबर किया जा सके।

मौजूदा समय में राशन की दुकानों से एपीएल परिवारों के लिए गेहूं 6.10 रुपये प्रति किलो और चावल 8.30 रुपये प्रति किलो भाव से वितरित किया जाता है। केंद्र ने एपीएल, गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों [बीपीएल] और अंत्योदय अन्न योजना [एएवाई] के लिए खाद्यान्नों का निर्गम मूल्य वर्ष 2002 से अब तक संशोधित नहीं किया है।

खाद्य मंत्रालय ने मंत्रियों के समूह की मंजूरी के बाद एपीएल के अनाज का निर्मम मूल्य बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था क्योंकि माना जाता है कि इस योजना के तहत केंद्रीय पूल से जारी अनाज की भारी चोर बाजारी हो रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने एपीएल कोटा के अनाज की कालाबाजारी के बारे में कहा कि एपीएल श्रेणी के लिए खरीद और निर्गम मूल्य का अंतर जितना अधिक होगा, कालाबाजरी उतनी ही अधिक होगी।

अधिकारी के अनुसार खाद्य मंत्रालय एपीएल के गेहूं चावल के निर्मम मूल्य बढ़ा कर सरकार उस तबके को मौजूदा सब्सिडी स्तर के अंतरगत ही अधिक मात्रा में अनाज देने की पेशकश करने के पक्ष में है।

केंद्र सरकार हर महीने प्रत्येक बीपीएल और एएवाई परिवारों को 35 किलोग्राम गेहूं और चावल प्रदान करती है जबकि एपीएल कोटा खाद्यान्न की उपलब्धता पर निर्भर करता है। एक अनुमान के अनुसार लगभग पांच लोगों की संख्या वाले परिवार को प्रत्येक माह करीब 70 किलोग्राम खाद्यान्न की आवश्यकता होती है।

न्यायमूर्ति डी पी वाधवा ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बारे में पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट को दी गई अपनी रिपोर्ट में इस प्रणाली के खाद्यान्न की भारी कालाबाजारी होने की ओर इशारा किया था। केंद्र सरकार खाद्य सब्सिडी पर इस समय वार्षिक 55,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

उधर, सरकार प्रस्तावित सुरक्षा विधेयक के तहत गरीब परिवारों को प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून के तहत तीन रुपये किलो की दर से आवंटित किए जाने वाले गेहूं अथवा चावल की मात्रा को 25 किलोग्राम से 35 किलोग्राम कर सकती है। खाद्य पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की कल यहां बैठक होने जा रही है जिसमें विधेयक के मसौदे में अनाज की मात्रा बढ़ाने पर विचार किए जाने की संभावना है।

इससे पहले मंत्रियों के इस समूह ने 18 मार्च को हुई बैठक में विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी थी। इसमें गरीब परिवारों को विशेष दर पर हर माह 25 किलो अनाज का अधिकार दिलाने का प्रावधान है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में यह समूह मसौदे पर दोबारा विचार करने जा रहा है। समझा जाता है कि यूपीए अध्यक्ष सानिया गांधी गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों के लिए इस योजना को और लाभप्रद बनाना चाहती हैं। योजना आयोग का अनुमान है कि देश में बीपीएल परिवारों की संख्या 6.5 करोड़ है।