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एम्स के डॉक्टरों ने कहा- 40 मरीजों की रोशनी हमेशा के लिए गई

इंदौर, भोपाल। बड़वानी के सरकारी शिविर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन फेल होने के बाद अरबिंदो अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों को देखने ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) दिल्ली की टीम पहुंची। एम्स के नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम ने साफ कर दिया कि 40 मरीजों की आंखों की रोशनी अब नहीं आ सकती।

स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप, घटिया सॉल्यूशन पूरे प्रदेश में तो सप्लाई नहीं हुआ!

चार मरीजों में रोशनी आने की उम्मीद है, जिन्हें दिल्ली भेजा जा सकता है। उधर बड़वानी से तीन और मरीजों को इंदौर भेजा गया। कुल मिलाकर अब 48 मरीजों का इलाज इंदौर में चल रहा है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वेच्छानुदान से हर पीड़ित को 2 लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की है।

 

रविवार को एम्स के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुल कुमार, डॉ. सुदर्शन खोखर, डॉ. राघव, डॉ. टी. सिंधु सहित 6 डॉक्टरों की टीम दिल्ली से अरबिंदो अस्पताल पहुंची। टीम ने अस्पताल में भर्ती 45 मरीजों की आंखों का परीक्षण किया।
डॉक्टरों के मुताबिक- 40 मरीजों की आंख का नुकसान हो चुका है। इंफेक्शन काफी ज्यादा होने से कॉर्निया खराब हो गई है, जिसमें सुधार की गुंजाइश नहीं है। कॉर्निया प्रत्यारोपण ही एकमात्र रास्ता है। वहीं 4 से 5 मरीज की आंखें पचास प्रतिशत खराब हुई हैं, जो इलाज के बाद ठीक हो सकती हैं। उन्होंने मरीजों को एम्स आने के लिए कहा और वहां भी मुफ्त इलाज का आश्वासन दिया। साथ ही सरकारी अफसरों को भी आगाह किया कि अस्पतालों में लगातार दौरा कर वहां के स्टेरलाइजेशन की हालत देखें।
एम्स के डॉक्टर बोले- सर्जन नहीं, बल्कि व्यवस्था दोषी
एम्स के डॉक्टरों ने सरकारी व्यवस्था की ही पोल खोल दी। टीम के सीनियर डॉक्टर और ख्यात रेटिना विशेषज्ञ डॉ. अतुल कुमार ने कहा कि एक सर्जन की लापरवाही से ऐसे हालात पैदा नहीं हो सकते। आंखों में लिक्विड सॉल्यूशन डाला गया है, वह मानक स्तर का नहीं है। सभी मरीजों को एक जैसा इंफेक्शन हुआ है। सर्जरी के दौरान लगातार आंखें साफ करने के लिए लिक्विड फ्लूड सॉल्यूशन डालते हैं।
संभवत: यह सॉल्यूशन ड्रग कंट्रोलर मानकों के अनुरूप नहीं होगा। आंख में कई तरह के ड्रॉप डाले जाते हैं, इसकी गुणवत्ता पर भी शंका है। विभाग ने सॉल्यूशन, ओटी, दवाई, उपकरण सभी के कल्चर (सैंपल) जांच के लिए भेजे हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद हकीकत पता लगेगी। उन्होंने आंख में डालने वाले लिक्विड सॉल्यूशन सहित सभी दवाइयों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करते हुए सलाह दी कि गांव-गांव भेजी जाने वाली दवाइयों की गुणवत्ता की जांच हो।
केंद्र सरकार के अफसर करेंगे दौरा
संयुक्त संचालक डॉ. शरद पंडित ने बताया कि सोमवार को केंद्र सरकार के अंधत्व निवारण कार्यक्रम के डायरेक्टर जनरल डॉ. एनके अग्रवाल बड़वानी का दौरा करेंगे। उनके द्वारा मौके पर जाकर पता किया जाएगा।
सर्जन के पक्ष में उतरा डॉक्टरों का संगठन
उधर स्वास्थ्य विभाग द्वारा बड़वानी जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आरएस पलोड़ को निलंबित करने से चिकित्सक संगठन उनके पक्ष में मैदान में उतर आया है। मप्र चिकित्सक संगठन के अध्यक्ष डॉ. माधव हसानी ने बताया कि जिस सर्जन पर कार्रवाई की गई है, वे अब तक 35 हजार नेत्र सर्जरी कर चुके हैं। कभी कोई सर्जरी फेल नहीं हुई, अगर एक ही दिन हुए ऑपरेशन में से सभी फेल हुए हैं तो यह सर्जन की नहीं, बल्कि दवाइयों या उपकरणों की खराबी है, अगर स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. पलोड़ पर की गई कार्रवाई वापस नहीं ली तो स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर असहयोग आंदोलन पर उतरेंगे। मंगलवार को इस मुद्दे पर भोपाल में राज्य स्तरीय बैठक होगी।
बड़वानी के हर नेत्र पीड़ित को 2-2 लाख रुपए की मदद
बड़वानी के नेत्र शिविर के पीड़ितों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वेच्छानुदान से हर पीड़ित को 2 लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की है। मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुरूप पीड़ितों का इलाज शासन के खर्चे पर पहले से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने रविवार को भी वरिष्ठ अधिकारियों से नेत्र रोगियों के स्वास्थ्य की जानकारी ली।