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ऐसे 'गेमचेंजर' साबित हुई थी स्कीम- जयप्रकाश रंजन

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। कांग्रेस पार्टी के नेता किसान कर्ज माफी स्कीम को यूं ही 'गेमचेंजर' नहीं कहते। आंकड़े इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि संप्रग को वर्ष 2009 के आम चुनाव में दोबारा सत्ता में लौटाने में इस स्कीम की अहम भूमिका थी। देश के तीन सबसे ज्यादा संसदीय सीट वाले राज्यों में इस स्कीम को लागू करने को प्राथमिकता दी गई। देश के कुल माफ किए गए कर्ज का 56 फीसद हिस्सा सिर्फ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के किसानों को दिया गया। यह महज इत्तेफाक नहीं है कि इन तीनों राज्यों में कांग्रेस संयुक्त तौर पर 72 सीटें जीतने में कामयाब रही।

किसान कर्ज माफी योजना पर कैग की रिपोर्ट में कई संकेत हैं जो बताते हैं कि स्कीम का केंद्र को किस तरह से राजनीतिक फायदा मिला है। यह स्कीम पूरे देश के किसानों के लिए थी, लेकिन सबसे ज्यादा फायदा जिन राज्यों को दिया गया, वहां कांग्रेस को अधिक सीटें मिलीं। उक्त तीनों राज्यों में वर्ष 2004 के आम चुनाव में संयुक्त तौर पर कांग्रेस को 51 सीटें मिली थी। लेकिन किसान कर्ज माफी योजना को लागू करने के बाद 2009 के चुनाव में 72 यानी लगभग 40 फीसद ज्यादा सीटें मिली।

आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में क्रमश: 77.55 लाख, 54.16 लाख और 42.48 लाख किसानों को इस स्कीम का फायदा दिया गया। वैसे यह भी एक सच्चाई है कि उक्त तीनों राज्य जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य है। यह भी एक वजह हो सकती है कि केंद्र ने इन राज्यों पर अन्य के मुकाबले कर्ज माफी स्कीम को लागू करने में ज्यादा ध्यान दिया। वैसे केरल और मध्य प्रदेश में भी स्कीम के तहत काफी राशि आवंटित की गई। यहां भी नतीजा कांग्रेस के पक्ष में रहा। केरल में पिछले आम चुनाव में कांग्रेस जहां 13 सीटें जीतने में सफल रही थी, वहीं मध्य प्रदेश में भी पार्टी ने सांसदों की संख्या चार से बढ़ाकर 12 कर ली थी। स्कीम के तहत सबसे ज्यादा पैसा जिन राज्यों को दिया गया, उनमें सिर्फ कर्नाटक ही ऐसा है, जहां कांग्रेस को कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिला।

बताते चलें कि वर्ष 2008 के बजट में जब वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इस स्कीम को लागू किया था तो सरकार व कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इसे 'गेमचेंजर' स्कीम कहा था। कुछ महीनों बाद हुए चुनाव में पार्टी की सीटों की संख्या 145 से बढ़कर 206 हो गई थी।

राज्य माफ कर्जा लोकसभा सीट

(करोड़ रु.) (2004) (2009)

आंध्र प्रदेश 11353.71 29 33

महाराष्ट्र 8953.33 13 17

उत्तर प्रदेश 9095.11 09 22

मध्य प्रदेश 4203.25 04 12

केरल 2962.97 00 13