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ओवरलोड हुईं राज्य की जेलें

राजेश 'योगी', जालंधर सूबे की जेलों में विस्फोटक स्थिति बनती जा रही है। क्राइम का ग्राफ बढ़ने तथा कैदियों को रखने की क्षमता का विस्तार न होने के चलते आने वाले समय में जेलों की स्थिति खतरनाक होने जा रही है। सूबे की कई जेलों में तीन-तीन गुणा अधिक कैदी ठूंसे हुए हैं। इसका असर जहां इन्हें सुधारने के कार्यक्रमों पर पड़ रहा है, वहीं जेलों में भी जगह के लिए लड़ाई आम होती जा रही है। जालंधर की केंद्रीय जेल दो बार कैदियों की बगावत झेल चुकी है। एडवोकेट रजिंदर भाटिया ने राइट टू इन्फार्मेशन एक्ट के तहत सूबे की तमाम जेलों का सूरते हाल मांगा था। इसके तहत प्राप्त जानकारी के मुताबिक जालंधर की केंद्रीय जेल में 600 कैदियों की क्षमता है जबकि इसमें 1566 कैदी ठूंसे गए हैं। यह क्षमता से अढ़ाई गुणा ज्यादा हैं। इस तरह पट्टी की जेल में 64 कैदी रखने की जगह है, मगर 153 कैदी रखे गए हैं। गुरदासपुर की जेल में 550 कैदियों के रहने की जगह है, जबकि 865 कैदी रखे गए हैं। फगवाड़ा सब जेल में 20 कैदियों के रखने की जगह है, जहां 34 कैदी हैं। फरीदकोट जेल में 330 की क्षमता है, मगर 440 कैदी रखे गए हैं। कपूरथला जेल में 250 कैदियों के रखने की जगह है, मगर 366 कैदी रखे गए हैं। होशियारपुर जेल में 278 कैदियों के रखने की जगह है, मगर 608 कैदी भरे हुए हैं। रोपड़ जेल में 275 कैदियों के रखने की जगह है मगर वहां 418 कैदी रखे गए हैं। नाभा जेल में 462 कैदियों की जगह है, जबकि वहां 494 कैदी हैं। संगरूर सब जेल में 450 कैदी रखने की जगह है, जबकि 766 कैदी रखे गए हैं। केंद्रीय जेल लुधियाना में 2500 कैदियों के रखने की जगह है और वहां 2584 कैदी हैं। सब जेल मलेरकोटला में 100 कैदी रखने की जगह है जहां 160 कैदी हैं। अमृतसर जेल में 1500 कैदी रखने की जगह है, जहां 1600 अंडर ट्रायल कैदी हैं। पटियाला जेल में 1257 कैदी रखने की जगह है, इसमें 1602 कैदी रखे गए हैं। बठिंडा जेल भी ओवर लोड है। दसूहा जेल में 20 की जगह 30 कैदी रखे गए हैं। खास बात है इन जेलों में जमानत पर रिहा होने के बावजूद कैदी सरकार पर बोझ बन रहे हैं। हालात यह है कि सरकार प्रतिदिन इन कैदियों पर 150 रुपये औसतन खर्च कर रही है। मौजूदा समय में पटियाला जेल में 18 कैदी, जालंधर में 11 कैदी, लुधियाना की महिला जेल में 2, कपूरथला में 14, लुधियाना की ब्रोसटल जेल में 10 बच्चे, होशियापुर में 10 कैदी, बरनाला व बठिंडा की जेलों में 6-6 कैदी जमानत के बावजूद सरकार पर बोझ बन रहे हैं। बांड न भरे जाने के कारण कई कैदी दो साल से बंद पड़े हैं। भाटिया का कहना है कि इस बारे में वे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे ताकि इन लोगों का बोझ सरकार पर न डाला जाए। इस संबंध में जेल मंत्री हीरा सिंह गाबड़िया का कहना है कि जेलों की स्थिति सुधारने की कोशिश की जा रही है। कई पुरानी जेलों का जहां विस्तार किया जा रहा है, वहीं छह नई जेलें भी बनाई जा रही हैं। जेलों पर 308 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। रोपड़, कपूरथला, फरीदकोट में जेलों की क्षमता बढ़ाई जा रही है, जबकि पठानकोट, बठिंडा, पंट्टी, मलेरकोटला, मानसा, नाभा में नई जेलों का निर्माण किया जा रहा है।