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कोरोना वायरस: उत्तर प्रदेश में 55 घंटे के 'लॉकडाउन' के क्या हैं मायने, क्या बंद और क्या खुला रहेगा?

-बीबीसी,

भारत में सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी का कहना है कि शुक्रवार की रात से सोमवार सुबह तक प्रदेश में लागू किए जाने वाला प्रतिबंध 'लॉकडाउन' नहीं है.

उनके अनुसार ये 'सिर्फ़ रेस्ट्रिक्शन' हैं या यूँ कहा जाये कि एहतियात के तौर पर उठाया गया क़दम हैं, जिससे ना सिर्फ़ कोरोना वायरस, बल्कि डेंगू, कालाज़ार, इन्सेफ़ेलाइटिस और मलेरिया जैसे रोगों के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकेगा.

शुक्रवार की रात 10 बजे से लेकर सोमवार सुबह 5 बजे तक हर ग़ैर-ज़रूरी काम पर रोक रहेगी.

इस संबंध में मुख्य सचिव के कार्यालय ने सभी ज़िला अधिकारियों को सूचित कर दिया है.

इस दौरान आवश्यक सेवाओं के अलावा सभी दूसरे प्रतिष्ठानों को बंद रखने को कहा गया है, जिनमें दफ़्तर, दुकानें और अनाज-सब्ज़ी की मंडियों के अलावा यातायात भी शामिल हैं.

अनलॉक का असर?
सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि सिर्फ़ जून महीने की पहली तारीख़ से लेकर अब तक प्रदेश में कोरोना वायरस के 22 हज़ार नए मामले बढ़े हैं. अब पूरे राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 32,362 हो गई है.

सिर्फ़ अकेले गुरुवार को ही संक्रमित लोगों का आँकड़ा 10 हज़ार के पार चला गया.

लगभग 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या 845 के पार चली गई है.

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन के अनुसार राज्य ने कोविड जाँच की क्षमता को काफ़ी बढ़ाया है. उनका दावा है कि जहाँ तक जाँच का सवाल है तो उत्तर प्रदेश अब पूरे भारत में सातवें स्थान पर आ गया है.

उनका कहना था कि जून के पहले सप्ताह तक प्रदेश में जाँच की क्षमता सिर्फ़ 8 हज़ार के आसपास थी और कुल 2 लाख 97 हज़ार सैंपलों की ही जाँच हो पाई थी.

लेकिन जून से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक कुल 7 लाख सैंपलों की जाँच हुई है.

उनका कहना था कि मौजूदा वक़्त में उत्तर प्रदेश में प्रति दिन प्रति 10 लाख लोगों में तीन हज़ार लोगों की कोरोना वायरस के लिए जाँच हो रही है, जिसे 4,000 तक जल्द ही पहुँचा दिया जाएगा.

फ़िलहाल उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की दर 3.2 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत से बिल्कुल आधी है.

क्या ये बेहतर विकल्प है?
डॉक्टर जुगल किशोर सफ़दरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन के प्रमुख हैं. वे कोरोना वायरस के संबंध में सरकार की ओर से बनाई गई समिति के नोडल अफ़सर भी हैं.

बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं कि मौजूदा हालात में लॉक डाउन से कोई फ़ायदा नहीं होगा. चाहे वो कोई भी राज्य क्यों न करे.वो कहते हैं, "जब लॉक डाउन किया गया था तो वो इस लिए किया गया था ताकि संक्रमण के फैलाव की गति को धीमी कर सकें. इससे अपनी चिकित्सा तंत्र को मज़बूत करें ताकि जब लोग संक्रमित होने लगें उनके लिए चिकित्सा की सुविधा पहले से ही तैयार रहे. अब लॉक डाउन लगाने का न तो कोई मतलब है ना इससे कोई फ़ायदा होने वाला है."जुगल किशोर कहते हैं कि आपदा प्रबंधन क़ानून एक सीमित अवधि के लिए ही हो सकता है. महामारी तो सालों साल रहती है और उसका संक्रमण भी सालों रहता है.

अब लॉकडाउन लगाकर लोगों पर लाठी का ज़ोर चलाने की बजाय ऐसा करने की आवश्यकता है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग अपनी जाँच करा सकें और अपना इलाज करा सकें. लॉक डाउन के बजाय ये बेहतर विकल्प है.

जो बंद रहेंगे
सभी दफ़्तर और बाज़ार
अनाज और सब्ज़ी की मंडियाँ
सारे सार्वजनिक स्थल
बस सेवाएँ
जो खुले रहेंगे
उच्च मार्ग
उच्च मार्ग पर खाने के ढाबे
ट्रेनों का परिचालन
ग्रामीण इलाक़ों में स्थित औद्योगिक इकाइयाँ
शहरी क्षेत्रों के बाहर रोड, भवन या पुल के निर्माण का काम
आवश्यक सेवाएँ

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