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कोविड-19 आर्थिक पैकेजः निर्मला सीतारमण के ‘नए ढाँचागत सुधार’ आख़िर कितने नए हैं?

-बीबीसी,

वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने पाँच चरणों में 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का पूरा विवरण देश के सामने रखा है. वन नेशन, वन राशन कार्ड के ज़रिए प्रवासी मज़दूरों को उनके काम के ठिकाने पर फ्री अनाज और छोटे-मझोले व्यवसाय के लिए क़र्ज़ में रियायतों के ऐलान किए गए हैं.

'आत्मनिर्भर भारत' पैकेज के तहत बीते शनिवार को किए गए चौथे ऐलान में स्ट्रक्चरल रिफ़ॉर्म यानी संरचनात्मक बदलाव की नीतियों का विवरण सामने रखा गया.

इसमें कोयला खनन को कमर्शियल करने, एविएशन में पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) लाना और बिजली सेक्टर में जिस रिफॉर्म का ज़िक्र करते हुए भारत सरकार ने इसे कोविड-19 के आर्थिक पैकेज की तरह पेश किया है जबकि ये सारे सुधार या तो पहले से ही ड्राफ्ट के तौर पर मंत्रालयों में पेश किए जा चुके थे या तो कइयों पर आख़िरी मुहर लगाने पर लंबे समय से विचार चल रहा था.

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देखिए कि इन ढाँचागत बदलावों में आख़िर नया क्या है?

खानों का व्यवसायिकरण

ऐलान - वित्त मंत्री ने सबसे पहले कोयला खादानों को लेकर कहा, "कोयला खादानों को व्यावसायिक खनन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए प्रति टन क़ीमत तय न करके रेवेन्यू के आधार पर दाम तय किए जाएंगे. इससे कोयला के क्षेत्र में हम आत्मनिर्भर बन सकेंगे और कोयले आयात कम हो जाएगा. 50 ऐसे ब्लॉक को आवंटन के लिए उपलब्ध कराया जाएँगा."

हक़ीकत - अक्टूबर, 2014 को भारत सरकार ने एक अध्यादेश जारी करके कोयला खनन पर 41 साल पुराने सरकारी एकाधिकार को तोड़ते हुए प्राइवेट कंपनियों के कमर्शियल माइनिंग का रास्ता साफ़ किया था. कोयला खनन (स्पेशल प्रोविजन) 2014 अध्यादेश के मुताबिक़ ये कंपनियां अपने इस्तेमाल के लिए या बेचने के लिए खनन कर सकती हैं. भारतीय और विदेशी कंपनियां, सरकार और प्राइवेट कंपनियों के वेंचर्स को अध्यादेश के तहत कमर्शियल माइनिंग का अधिकार देने की बात कही गई थी.

इसके बाद साल 2015 में आई इस रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्र, राज्य सरकारों को ऐसे कोल ब्लॉक आवंटित करेगी जो इस समय ऑपरेशनल नहीं हैं. इससे निकलने वाला कोयला राज्य सरकार बेच सकेगी या कमर्शियल माइनिंग के लिए खोल सकेगी.

फ़रवरी 2018 में, कोयला खनन (स्पेशल प्रोविजन) 2014 अध्यादेश लाने के चार साल बाद कैबिनेट ने कमर्शियल माइनिंग की बोली लगाने की प्रक्रिया क्या होगी इसके नियम तय किए. इसमें विदेशी और घरेलू दोनों तरह की कंपनियों को बोली लगाने का अधिकार दिया गया. साथ ही, ये भी तय हुआ कि ये कंपनियां कोयले की क़ीमत ख़ुद तय करेंगी, कोयला निर्यात करने की छूट होगी और कंपनियां चाहें तो इसे बाज़ार में बेच भी सकती हैं.

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