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कंपनी पर 223 करोड़ का कर्जा, वंदना एनर्जी की संपत्ति जब्त

कोरबा (निप्र)। पिछले चार साल से बन कर तैयार वंदना एनर्जी की 35 मेगावाट संयंत्र की संपत्ति आखिरकार बैंकों ने जब्त कर ली। कंपनी पर 223.71 करोड़ का कर्जा था, किश्त की राशि नहीं पटाई जा रही थी। इसकी वजह से ब्याज भी लगातार बढ़ रहा था। लगातार नोटिस दिए जाने के बाद भी किश्त की राशि नहीं पटाई गई। अंततः संयुक्त रूप से तीन बैंकों ने संयंत्र की जमीन, प्रशासनिक भवन व प्लांट की मशीनरी को जब्त करने की कार्रवाई की है।

ग्राम छुरीखुर्द के समीप 35-35 मेगावाट की दो इकाई स्थापित करने करीब 8 साल पहले वंदना एनर्जी एंड स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड के लिए 29.54 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई। कंपनी ने पहले चरण में 35 मेगावाट की एक इकाई स्थापित किया है। अप्रैल 2012 में काम पूर्ण होने के साथ ही इकाई प्रारंभ कर ली गई। पानी व कोयला आपूर्ति के अनुबंध के बिना ही आनन फानन में इकाई प्रारंभ कर दिया गया। पानी को लेकर हुए विवाद होने की वजह से चार माह के अंदर ही इकाई बंद हो गई।

इसके अलावा बिजली के खरीदार भी कंपनी को नहीं मिले। उधर 35 मेगावाट क्षमता की दो नंबर इकाई का कुछ हिस्सा ही निर्माण हो सका। इसके बाद कंपनी में पूरा काम बंद कर दिया। वर्तमान में प्लांट कबाड़ की स्थिति में खड़ा है और काफी सामान चोरी हो गया है। कंपनी ने संयंत्र स्थापना हेतु पंजाब नेशनल बैंक, यूको बैंक तथा बैंक आफ बड़ौदा (सभी रायपुर शाखा) से ऋण लिया था। प्लांट बंद होने के साथ ही कंपनी की आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई और बैंको का लोन जमा होना मुश्किल हो गया।

बैंक ने 15 अक्टूबर 2015 को डिमांड नोटिस जारी कर 223 करोड़ 71 लाख 11517. 25 रुपए 60 दिवस के भीतर जमा करने का आदेश दिया था। कंपनी ने निर्धारित समयावधि में राशि जमा नहीं की। 9 मार्च 16 को कब्जा नोटिस चस्पा कर दिया। नोटिस में कहा गया है कि उधारकर्ता एवं जमानतदार राशि का भुगतान करने में असफल रहा है, इसलिए ग्राम छुरीखुर्द में सीएसआईडीसी से लीज पर आवंटित भूमि 23.358 तथा 6.182 हेक्टेयर भूमि तथा भूमि पर बने भवन, 35 मेगावाट प्लांट एवं मशीनरी को बैंक ने अपने अधिकार में ले लिया है। बैंक ने इन परिसंपत्तियों के साथ किसी तरह का लेन-देन न करने की चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि को लेन-देन करता है तो तीनों बैंक की समस्त राशि एवं उस पर लगने वाले ब्याज व समस्त शुल्कों के भुगतान करने का भी देयदार होगा।

पानी का उठा विवाद

संयंत्र की एक नंबर इकाई (35 मेगावाट) अप्रैल 2012 को परिचालन में लिया गया। हसदेव कछार से अस्थाई अनुबंध कर संयंत्र में अर्बन डेम से पानी लिया जा रहा था। चार माह तक संयत्र को परिचालन में रखा गया, बाद में अर्बन डेम से पानी लेने की शिकायत होने पर मामला विधानसभा में उठा। विवाद की स्थिति निर्मित होने पर हसदेव कछार के अधिकारियों ने अनुबंध की अवधि को आगे नहीं बढ़ाई। इससे साथ ही संयंत्र को पानी मिलना बंद हो गया, और संयंत्र में बिजली उत्पादन ठप हो गया। बताया जाता है कि ग्राम झोरा में कंपनी को स्टापडेम व पंप हाऊस स्थापित करना था, पर इसके लिए वाटर रिसोर्सेस डिपार्टमेंट से एग्रीमेंट नहीं हो सका।

नहीं मिल सका कोयला

वंदना ने छुरीखुर्द में प्लांट की स्थापना कर एक नंबर इकाई को परिचालन में ले लिया, पर संयंत्र के कोयला का अनुबंध नहीं हो सका। हालांकि प्रारंभ में कुछ दिनों के लिए ओपनमार्केट से कोयला लेकर प्लांट का परिचालन किया गया। इसके बाद कोयला नहीं मिलना भी संयंत्र परिचालन के लिए समस्या बन गया। इसी तरह उत्पन्ना बिजली को ग्रिड में डालने के संदर्भ में भी अनुबंध नहीं हो सका। झंझावत झेल रहे प्लांट में अंततः ताला लग गया।

फैक्ट फाइल

कंपनी मेसर्स वंदना एनर्जी एंड स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड

स्थानग्राम छुरीखुर्द (तहसील कटघोरा)

प्लांट क्षमता 35-35 मेगावाट की दो इकाई

प्लांट शुरू अप्रैल 2012 (सिर्फ एक इकाई)

कुल जमीन 23.358 हेक्टेयर एवं 6.182 हेक्टेयर

बकाया राशि 223 करोड़ 28 लाख 11 हजार 517 रुपए 25 पैसे तथा ब्याज व अन्य खर्च

कंपनी के डायरेक्टर नवीन अग्रवाल, मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक अग्रवाल एवं जमानतदार, विनोद अग्रवाल जमानतदार, प्रतीक अग्रवाल जमानतदार, हरीश सिंघानिया ईडी तथा प्रकाश अग्रवाल डायरेक्टर