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कच्ची चीनी आयात करने की नौबत आखिर आई क्यों?

लखनऊ। यूपी सरकार ने कच्ची चीनी के आयात पर रोक भले ही लगा दी हो किन्तु यह सच है कि उसे न तो इसके आयात के लाइसेंस देने का अधिकार है और न ही इसपर रोक लगाने का। चीनी के आयात पर लगने वाले शुल्क को घटाने-बढ़ाने का अधिकार भी राज्य सरकार को नहीं है। बावजूद इसके कानून-व्यवस्था के मद्देनजर उसे चीनी मिल मालिकों को आयात रोकने का सुझाव देना पड़ा।

मालूम हो चीनी के उत्पादन में संभावित कमी के कारण केन्द्र सरकार ने तीन महीने पहले 50 लाख टन चीनी आयात करने का लाइसेंस देश की तमाम मिलों को दिया और इसपर लगने वाले सीमा शुल्क को शत प्रतिशत माफ कर दिया। यूपी की करीब आधा दर्जन मिलों को लाइसेंस प्राप्त हुआ। इसमें से एक ने आयात शुरू कर दिया और कुछ करने की प्रक्रिया में थीं। इस बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने बवाल कर दिया क्योंकि आयातित चीनी से सबसे ज्यादा नुकसान उन्हीं का था। शामली में हजारों टन चीनी को आग लगा दी गयी जिसके कारण कानून-व्यवस्था में गिरावट की स्थिति हो गयी और राज्य सरकार को चीनी आयात पर रोक लगानी पड़ी।

कच्ची चीनी आयात करने की जरूरत क्यों पड़ी, इसका भी कारण है। इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन की माने तो इस साल देश में 140 लाख टन चीनी उत्पादन की संभावना है जबकि घरेलू खपत 225 से 230 लाख टन की है। सरकार के पास बफर स्टाक में केवल 30 लाख टन चीनी है। इस प्रकार करीब 60 लाख टन चीनी की कमी है। सरकार ने इस कमी को दूर करने के लिए लिए ब्राजील, फिजी व आस्ट्रेलिया से चीनी आयात का फैसला किया। चीनी मिलों ने ब्राजील के साथ 50 लाख टन का सौदा भी कर लिया किन्तु इस बीच उसका लागत मूल्य 3,200 रुपये कुंतल से ऊपर पहुंच गया जिसके कारण कुछ मिलों ने सौदा रद कर दिया किन्तु जिन्होंने भुगतान कर दिया था उनके सामने आयात करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। बीच में यह नई समस्या किसानों द्वारा विरोध करने पर आ गयी। अब भविष्य में चीनी का आयात होगा भी या नहीं यह अहम सवाल है।

क्या है कच्ची चीनी:-

मिलों द्वारा उत्पादित गैर शोधित चीनी कच्ची चीनी कहलाती है। यह देखने में गहरे भूरे रंग की होती है और इसके क्रिस्टल बहुत महीन होते हैं। इसे ब्राउन शुगर या कच्ची (रा) चीनी के नाम से भी जाना जाता है जिसे सीधे बाजार में नहीं उतारा जा सकता है। बाजार में उतारने से पहले मिलों को इसका शोधन करना होता है। शोधन के बाद इसकी सफेदी व दाने का आकार बढ़ जाता है। सारी चीनी मिलें पहले रा शुगर ही बनाती हैं। यूपी में चूंकि इस बार गन्ने की कमी है इसलिए केन्द्र सरकार को रा शुगर आयात करने का फैसला करना पड़ा। राज्य सरकार ने इस पर रोक लगा दी है और अब देखना है कि चीनी की कमी को दूर करने के लिए सरकारें क्या उपाय करती हैं।

उधर, पुलिस सुरक्षा में कच्ची चीनी मिलों तक पहुंचाने की बात करने वाले पुलिस अफसरों का रुख मुख्यमंत्री द्वारा कच्ची चीनी के आयात एवं निर्यात परिवहन पर रोक लगाने संबंधी निर्णय लेते ही बदल गया। अब पुलिस अधिकारी चीनी मिलों को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने की बात करने लगे हैं। एडीजी कानून व्यवस्था (द्वितीय) एके जैन ने कहा है कि चीनी मिलों में गन्ने की पेराई के दौरान कहीं पर कोई विवाद न होने पाए, इसके लिए जिले के पुलिस अधीक्षकों को सुरक्षा प्रबंध करने का निर्देश दिया गया है। जहां भी किसानों द्वारा विवाद खड़ा करने की आशंका है, वहां पुलिस पिकेट तैनात करने की व्यवस्था की जा रही है।