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कन्‍या भ्रूण हत्‍या : अब फेल कमेटियों पर नजर रखेगा फोरम

इंदौर। राज्य सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए किए जा रहे लाखों प्रयास के बाद भी ऐसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इंदौर सहित प्रदेश के सभी जिलों में ऐसी घटनाओं पर नजर रखने के लिए बनाई गई मॉनीटरिंग व एडवायजरी कमेटियां भी ठीक ढंग से काम नहीं कर रही हैं। यही वजह है कि अब इन कमेटियों पर नियंत्रण रखने के लिए एडवोकेसी फोरम बनाया जा रहा है।

कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का जिम्मा जिन कमेटियों पर था, सरकार का मानना है उन कमेटियों ने ठीक से काम नहीं किया। यही वजह है कि अब इन पर बारीक नजर रखने के लिए एक खास दल एडवोकेसी फोरम का गठन किया जा रहा है। यदि भ्रूण हत्या रोकने के लिए बनाई गई कमेटियां भी कोई कठोर कदम नहीं उठाती है तो ये फोरम ऐसी कमेटियों पर कार्रवाई करेगा। सेक्स सिलेक्शन के विरुद्ध बनाए जा रहे इस फोरम का गठन राज्य स्तर पर किया जाएगा। इसमें रिटायर्ड सरकारी अधिकारी, रिटायर्ड मेडिकल ऑफिसर, एनजीओ व एमपीवीएचए के लोग भी शामिल किए जाएंगे।

16-17 को होगा फोरम का गठन

यूनाइटेड नेशन ऑफ पॉपुलेशन फंड व एमपीवीएचए के प्रयासों से एडवोकेसी फोरम को बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इंदौर में 16 व 17 जून को एक खास बैठक में इस फोरम का गठन किया जाएगा। इसमें अन्य जिलों के प्रमुख सदस्य भी शामिल होने के लिए आएंगे। इस संबंध में ग्वालियर संभाग में 10 व 11 जून को बैठक हो चुकी है। फोरम के अंतर्गत प्रत्येक जिले में पांच से सात सदस्यों का एक ग्रुप भी बनाया जाएगा। इसके सदस्यों के फोन नंबर जनहित में जारी किए जाएंगे ताकि आम प?लिक कन्या भ्रूण परीक्षण संबंधित किसी भी घटना में कमेटियों द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने की स्थिति में सीधे फोरम से जुड़े सदस्यों को सूचना दे सकें। गौरतलब है कि कमेटियों के गठन के बाद भी अच्छे परिणाम नहीं मिल सके हैं।

शिकायती वेबसाइट को प्रमोट करेगा फोरम

राज्य शासन ने एक साल पहले कन्या भू्रण हत्या संबंधी शिकायत ऑनलाइन दिए जाने की सुविधा भी शुरू की है। वेबसाइट पर कोई भी अपनी पहचान बताए बगैर शिकायत कर सकता है। अब तक इस वेबसाइट पर बहुत कम शिकायतें पहुंच रही हैं। इस वजह से अब एडवोकेसी फोरम को इस वेबसाइट को लोकप्रिय बनाने की भी जिम्मेदारी दी जाएगी। इस एडवोकेसी फोरम के सदस्य उन सभी व्यक्तियों को प्रेरित करेंगे जो कन्या भ्रूण हत्या संबंधित शिकायत करना चाहते हैं।

फिलहाल सरकारी विभाग द्वारा शिकायतों से बचने के लिए इस वेबसाइट को प्रमोट नहीं किया जा रहा था, जबकि इसकी ज्यादा जरूरत महसूस हो रही थी। अब यह फोरम इस वेबसाइट को भी प्रमोट करेगी। इंदौर में भू्रण हत्या रोकने के लिए कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने विशेष प्रयास किए थे। इसके तहत शहर की हर सोनोग्राफी मशीन में साइलेंट ऑब्जर्वर नामक चिप लगाई जानी थी। इसका कंट्रोल रूप कलेक्टर कार्यालय में होता और इससे पता चला जाता कि भू्रण का लिंग परीक्षण तो नहीं किया जा रहा। मगर ये प्रयास भी अधूरा रहा क्योंकि लंबा समय बीतने के बाद भी ऑब्जर्वर चिप नहीं लग पाईं। आईनेक्स्ट ने इस मुद्दे को 30 मई को उठाया था।

16 जिलों के लिए बनाया गया फोरम

यह फोरम प्रदेश के उन 16 जिलों के लिए बनाया जा रहा है, जहां पर शिशु लिंग अनुपात 918 से कम है। इन जिलों में इंदौर भी शामिल है। जानकारों के मुताबिक भिंड, मुरैना, ग्वालियर, रीवा, छतरपुर व दतिया जैसे जिलों में खासतौर पर इस तरह के फोरम के बनाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। यह फोरम पीसीपीएंडडीटी से जुड़े मुद्दों पर सरकार को सलाह देगा।

कई जिलों में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सलाहकार समितियां तो बनी हैं, लेकिन उनकी न तो मीटिंग होती है और न ही सुचारू रूप से कोई कार्रवाई चल रही है। अब ये एडवोकेसी फोरम सलाहकार समिति को सक्षम बनाने में और उनके कर्तव्यों का निर्वाहन करने के लिए दबाव बनाएंगे। ये फोरम समिति को गाइड भी करेंगे।

-मुकेश कुमार सिन्हा, कार्यकारी निदेशक, एमपीवीएचए