Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/कब-खत्म-होगा-पूर्वाचल-के-विकास-का-इंतजार-सदानंद-शाही-6767.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | कब खत्म होगा पूर्वाचल के विकास का इंतजार - सदानंद शाही | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

कब खत्म होगा पूर्वाचल के विकास का इंतजार - सदानंद शाही

लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश में मतदान होना है। देश की सबसे चर्चित लोकसभा सीट बनारस में मतदान इसी दौर में होने जा रहा है। नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल की चुनावी टक्कर ने इस लोकसभा सीट को बेहद दिलचस्प बना दिया है और इसका शोर पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में गूंज रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ क्षेत्रीय दलों की भागीदारी हो रही है, जो अलग-अलग वैचारिक मुखौटों के भीतर जाति और धर्म के समीकरणों से चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते हैं।
भारत की विविधता में एकता का ढोल अपने-अपने ढंग से सभी राजनीतिक दल पीटते हैं, मगर चुनावी घोषणापत्र तैयार करते समय या विकास का एजेंडा तय करते समय विविधताओं की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। यही कारण है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में रॉबिन हुड छवि वाले नेताओं का बोलबाला रहा है। यहां लोकतंत्र की अलग-अलग प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां काम करती रही हैं। कोई भी दल पूर्वी उत्तर प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक संरचना और भौगोलिक विशेषताओं को ध्यान में रखकर कोई योजना नहीं बनाता। जाति और धर्म के झुनझुने थमाकर वोट के मसले तय हो जाते हैं। मूल समस्याएं धरी की धरी रह जाती हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन के मूल में अशिक्षा सबसे बड़ा कारण है। यहां पर्याप्त शिक्षण संस्थान नहीं हैं। जो हैं, वे नीचे से ऊपर तक ध्वस्त हो गए हैं। प्राथमिक शिक्षा के परंपरागत केंद्र तबाह हो गए हैं। अंग्रेजी माध्यम के नाम पर महंगे स्कूल कुकुरमुत्तें की तरह खुल गए हैं। इनमें क्षेत्रीय भाषाओं के लिए घृणा का और हिंदी के लिए उपेक्षा का भाव भरा है। नतीजा यह है कि पूरी पीढ़ी भाषायी विपन्नता का शिकार होती जा रही है। बड़े शिक्षण संस्थानों का क्षेत्रीय आकांक्षाओं के साथ कोई तालमेल नहीं बन पाया, इसलिए कृषि और कृषि आधारित उद्योगों में कुछ भी नया नहीं हो रहा। पूर्वाचल में छोटी-बड़ी नदियों का जाल बिछा हुआ है। नदियां इस क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा हैं, लेकिन उनके समुचित प्रबंधन की कहीं कोई कोशिश दिखाई नहीं देती। इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। अनेक धार्मिक एवं प्राकृतिक स्थल हैं, लेकिन पर्यटन उद्योग विकसित करने का कोई खाका किसी दल के पास नहीं है।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली में कुछ ऐसा हुआ कि इस क्षेत्र का नेतृत्व वर्ग जनपदीय स्थितियों से अपरिचित हो गया है। जनपदों की बोली, जनपदों की संस्कृति, जनपदों की प्रकृति, सब नजरों से ओझल हो गए हैं। उनकी विशेष समस्याएं और संभावनाएं उन्हें समझ में ही नहीं आती। ऐसा लगता है कि इस हाईटेक चुनाव में एक बार फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं की शक्ति किसी रंगीन सपने की बोतल में बंद होकर रह जाएगी। भोजपुरी क्षेत्र के विकास पर किसी ठोस और सार्थक पहल का इंतजार क्या इंतजार ही रह जाएगा?
(ये लेखक के अपने विचार हैं)