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कब चेतेंगे हम ? पानी के लिए लगी धारा 144

मध्यप्रदेश के बैतूल में पानी पर पहरा, निर्माण कार्य पर रोक
महाराष्ट्र के बाद अब मध्यप्रदेश में भी पानी पर पहरा लगा दिया गया है. बैतूल में पानी बचाने के लिए नये निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गयी है. इसके पहले महाराष्ट्र के लातूर में भी ऐसी नौबत आ चुकी है, जहां लोगों की प्यास बुझाने के लिए ट्रेनों से पानी के टैंकर भेजे गये. यह स्थिति देश में भूमिगत जलस्रोतों के अंधाधुंध दोहन और जल संरक्षण के प्रति लापरवाही के संकेतक हैं. लातूर के बाद बैतूल ने खतरे की घंटी बजा दी है. आखिर हम कब चेतेंगे?

नेशनल कंटेंट सेल

गंभीर सूखा और जल संकट का सामना कर रहे मध्य प्रदेश के बैतूल शहर में पानी पर पहरा लग गया है. जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू करते हुए सभी निजी और सरकारी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है. इस आदेश का उल्लंघन करने वाले को एक महीने की सजा या 200 रुपया का आर्थिक दंड भुगतना होगा. यह कठोर कदम पानी को बचाने के लिए किया गया है. 

मध्यप्रदेश के 40 जिलों में सूखा और गंभीर पेयजल संकट है. बैतूल में लगातार दूसरा साल सूखा पड़ा है. पेयजल सप्लाई करने वाले फिल्टर प्लांट में पानी खत्म हो गया है. शहर में प्रत्येक दूसरे दिन 13 लाख लीटर पानी की आपूर्ति होती थी, लेकिन भूमिगत जल में गिरावट की वजह से इसका सिर्फ एक चौथाई हिस्सा लोगों को दिया जा रहा है. बैतूल के जिला प्रशासन का कहना है कि यदि बारिश नहीं हुई, तो 25 जून तक के धारा 144 के आदेश को और आगे भी बढ़ाया जा सकता है. इस बीच यदि बारिश होगी, तो धारा 144 को हटा लिया जायेगा. निर्माण कार्य बंद कर दिये जाने से मजदूरों के सामने रोजी-रोजगार का संकट है, लेकिन जिला प्रशासन के हाथ बंधे हुए हैं, क्योंकि पानी का कोई विकल्प उसके पास नहीं है. 

इच्छावर में पानी के लिए गाइड लाइन

मध्यप्रदेश के सिहोर के इच्छावर कस्बे में पानी के उपयोग को लेकर 23 मई को जारी आदेश में म्यूनिसिपल क्षेत्र में वाहनों की धुलाई, पशुओं को नहलाने, गार्डेनिंग और यहां तक की कृषि कार्यों में भी पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया. 
शहर में केवल पीने, नहाने, कपड़ा धोने जैसे दैनिक कार्यों के लिए ही पानी के उपयोग की छूट दी गयी है. इछावर नगर में तीन दिन छोड़ कर पानी दिया जा रहा है. करीब 12 हजार की आबादी के लिएी आठ लाख लीटर की जगह पांच लाख लीटर पानी ही मिल पा रहा है.

लातूर में भी लगी थी धारा 144

इसके पहले महाराष्ट्र के लातूर शहर में पानी को लेकर खूनी संघर्ष को रोकने के लिए जल स्रोतों के आसपास धारा 144 लागू की गयी थी. धारा 144 के तहत चार या चार से अधिक लोग एक स्थान पर एकत्रित नहीं हो सकते. लातूर में छह वाटर टैंक्स हैं. इन सभी के आसपास एक साथ पांच या इससे अधिक लोगों के जुटने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. बाद में लातूर में ट्रेन से पानी के टैंकर भेजे गये, जिसे वाटर टैंकरों में डाला गया. तब जाकर स्थिति थोड़ी सामान्य हुई. 

रायपुर में सिंचाई पर रोक

रायपुर में जलसंकट को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस साल गरमी में खारुन नदी से सिंचाई पर रोक लगा दी. इसके साथ ही औद्योगिक इकाइयों में जमीन से निकाले जा रहे छह इंच के बोरवेल को भी बंद करने का आदेश दिया है. बारिश कम होने के कारण इस साल भूमिगत जल सा स्रोत सूख रहा है और पेयजल का संकट है. रायपुर में करीब 55 साल बाद ऐसी नौबत आयी है. हालांकि पहली बार नदी के पानी का सिंचाई के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है.