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करोड़पति हैं, इसलिए कानून पर भी भारी हैं!

लखनऊ [राजेंद्र कुमार]। उनकी जितनी आय नहीं है, उससे ज्यादा की सम्पत्ति के वे मालिक हैं। अब जैसे लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक बाबू हैं, वह हीरो होंडा कार के मालिक तो हैं हीं उनके पास लखनऊ में विकास प्राधिकरण के आधा दर्जन से ज्यादा प्लाट हैं जिनकी कीमत करोड़ में पहुंच चुकी है।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एक बाबू की हैसियत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि लखनऊ में जिस अपार्टमेंट में वह रहते हैं, वहां एक मकान की कीमत पचास लाख रुपये से अधिक की है। कानपुर में तैनात एक दारोगा जी अब तक नोएडा जैसे शहर में दो प्लाट और एक फ्लैट के मालिक बन चुके हैं, ऐसे में उनकी हैसियत का अंदाजा खुद-ब-खुद लग सकता है।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में एक ऐसा बाबू है जिसके पास एक दर्जन से अधिक बसें हो चुकी है। उसकी पहचान एक सरकारी कर्मी के रूप में नहीं क्षेत्र में एक ट्रांसपोर्टर के रूप में है। बरेली शहर में बने एक माल में शिक्षा विभाग के एक क्लर्क का पैसा लगा होने की बात सामने आई है। आजमगढ़ के शिक्षा विभाग में तैनात एक क्लर्क बड़े स्तर का प्रापर्टी डीलर बन चुका है। बहराइच में एक पुलिस उपनिरीक्षक के पास करोड़ों रुपये की संपत्ति होने की बात पता चली है।

यह कुछ उदाहरण हैं। सतर्कता अधिष्ठान और भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने अब तक ऐसे 338 सरकारी कर्मियों को चिंहित कर चुका है जिनकी सम्पत्ति उनकी आय से कहीं ज्यादा नजर आ रही है लेकिन इसे दौलत का कमाल कहा जा सकता है कि उनके खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान और भ्रष्टाचार निवारण संगठन जांच की अनुमति चाह रहा है, वह अनुमति उसे मिल नहीं पा रही है। फाइल गृह विभाग में ही अटकी हुई है। दरअसल सरकार के पास इस तरह की शिकायतें लगातार पहुंचती रही हैं कि विकास प्राधिकरणों, शिक्षा, स्वास्थ्य, लोकनिर्माण, आवास जैसे विभाग में बाबू स्तर पर भ्रष्टाचार इस हद तक जड़े जमा चुका है कि बाबू लोग करोड़पति हो चुके हैं। ऐसी ही शिकायत पुलिस महकमे से भी मिली कि दारोगा और सिपाही स्तर के तमाम लोग करोड़पति हो चुके हैं।

वर्ष 2007 में जब बसपा सरकार की बनी तो इस तरह की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए सतर्कता अधिष्ठान और भ्रष्टाचार निवारण संगठन को ऐसे सरकारी कर्मियों को चिंहित करने की जिम्मेदारी दी गई, जिनके पास उनकी आय से अधिक सम्पत्ति दिख रही है। सतर्कता अधिष्ठान और भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने अब तक ऐसे 338 कर्मियों को चिंहित किया और उनके नाम सरकार को इस अपेक्षा के साथ प्रेषित किए कि जांच की आवश्यकता है कि इन कर्मियों ने यह सम्पत्ति कैसे बनायी? गृह विभाग है कि जांच की अनुमति देने को तैयार नहीं है। हालांकि गृह विभाग के अफसरों का कहना है कि जो सतर्कता अधिष्ठान और भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने जो रिपोर्ट दी है, उसका परीक्षण किया जा रहा है। किसी को भी बचाया नहीं जा रहा है। जिनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं, उनकी ही जांच न करने की बात कही गई है। जल्दी ही अन्य लोगों के खिलाफ जांच करने के निर्देश दे दिए जाएंगे।