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कहीं कटाव तो कहीं निगलने को बेताब हैं नदियां, घाघरा में समाई सैकड़ों एकड़ जमीन

सिताबदियारा, सारण. जिले में नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जलस्तर बढ़ाने के साथ ही लोगों को यह भय सताने लगता है कि नदियां कहीं तटबंधों को तोड़ कर उनके आशियाने को न तबाह कर दें। हालांकि हर साल सरकार और जिला प्रशासन इस बात का ढिंढोरा जरूर पिटता है कि तैयार पूरी हो गई है। इस बार कहीं से किसी भी तटबंध पर कोई खतरा नहीं है। लेकिन हर साल तटबंध टूटते हैं और गांव के गांव तबाही के मंजर में अपने आपको को असहाय महसूस करता है।

घाघरा के कटाव से सिताबदियारा के लोग बहुत परेशान हैं। किसानों के सैकड़ों एकड़ खेत नदी में समा रहे हैं लेकिन इस समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है। अन्य नदियां भी गुस्से में हैं और सामने जो कुछ आ रहा है अपने में समाहित कर रही हैं।

प्रशासनिक अधिकारी चुप

जेपी के गांव सिताबदियारा में घाघरा के कटाव का खेल इसलिए चलता रहा, क्योंकि यूपी-बिहार दोनों सीमा में कभी मेल नहीं हो सका। इस बात से आम जन भी वाकिफ हैं, लेकिन यहां विभागीय स्तर से यह प्रयास कभी नहीं हुआ कि दोनों सीमा के अधिकारी मिल कर घाघरा कटाव के स्थायी निदान पर मंथन करे । जिसे जहां मिला, बस वह खुद का खजाना भरने में लग गया, और पूरी तरह बर्बाद हो गए, यूपी-बिहार के किसान । आज घाघरा की उतावली लहरें एक बार फिर किसानों पर लगातार अपना कहर बरपा रही हैं । संबंधित विभाग चुप है । इसके सिवाए शायद उसके पास कोई विकल्प भी नहीं है ।

घाघरा के तट पर यहां बिहार रिविलगंज का पंचायत सिताबदियारा और दक्षिण वारी चक्की, प्रभुनाथनगर है।वहीं यूपी सीमा का एक पंचायत इब्राहिमाबाद नौबरार है, जिसे लोग अठगांवा भी कहते हैं । उक्‍त तीनों पंचायत एक सीध में एक-दूसरे से सटे हुए हैं । वैसे आबादी को ओर अभी घाघरा कटाव का रुख नरम है लेकिन जिस ओर किसानों के खेत हैं, वहां अभी भी घाघरा कटाव तेज है । खबर है कि घाघरा ने एक सप्‍ताह के अंदर यूपी-बिहार दोनों सीमा के किसानों की लगभग 150 बीघा जमीन निगल गई है । इस गांव के निवासी हरेकष्णा सिंह, राजद नेता राजू सिंह कहते हैं कि दोनों राज्‍यों के संयुक्‍त प्रयास से ही यहां कटान पर काबू पाया जा सकता है । छह किमी के दायरे में दो राज्यों के दो तरह के कार्य यहां हमेशा होते रहते हैं। यदि बिहार सीमा के अधिकारी खुद के दम पर यह दावा भी करें कि वह सिताबदियारा और प्रभुनाथनगर का कुछ भी नुकसान नहीं होने देंगे, तो यूपी के इब्राहिमाबाद नौबरार की ओर से उसे तबाह होने से कोई नहीं बचा सकता ।

बाढ़ नियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता विनोद कुमार ने बताया कि जिले के लगभग सभी तटबंध सुरक्षित है। जहां कटाव है वहां विशेष ध्यान है। लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। सारण तटबंध भी पूरी तरह से सुरक्षित है। तटबंध पर पानी का दबाव कम हुआ है। कटाव निरोधक कार्य चलता रहेगा।

घाघरा : बीएसटी बांध से अब 100 मीटर दूर

यहां यूपी सीमा के सठिया ढाला के पास बीएसटी बांध से घाघरा कटाव की दूरी अब महज 100 मीटर रह गई है । इसके बावजूद यूपी का संबंधित विभाग इस पर गंभीर नहीं है । गांव वाले कहते हैं कि यदि समय रहते, यूपी सचेत नहीं होता, तो इस बांध के अंदर यूपी की ही लगभग दो लाख की आबादी अचानक संकट में पड़ जाएगी ।

सारण तटबंध के 76-77 किलोमीटर सरौजा भगवानपुर (पानापुर): पानापुर प्रखंड के सरौंजा भगवानपुर स्थित सारण तटबंध पहले से असुरक्षित था यह प्रशासन के भी संज्ञान में था।इसके बावजूद जिला प्रशासन ने मरम्मति का काम शुरू नहीं कराया था।पिछले सप्ताह पानी का दबाव बढ़ते ही कटाव शुरू हो गया।उसके बाद अधिकारी सजग हुए और मरम्मति का काम शुरू किया गया।अभी सैकड़ों मजदूर लगे हुए हैं। गंडक नदी के पानी का दबाव तटबंध पर कम करने का अथक प्रयास चल रहा है। तटबंध की देखरेख में लगे अधिकारी कटाव से कम मोबाइल से अधिक परेशान दिख रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों का आना-जाना लगा हुआ है। स्थानीय लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त हैं।

गंगा नदी के किनारे सोनपुर प्रखंड के सबलपुर : सबल पुर इलाके में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। यहां गंगा नदी की धारा से खतरनाक तरीके से कटाव हर साल होता है। पिछले वर्ष लगभग 50 घर गंगा नदी की धारा में विलीन हो गए थे।उसके बाद प्रशासन ने सिर्फ कोरम पूरा किया और कटाव ग्रस्त इलाके में जिओ बैग की पिचिंग एवं लोहे की जाली डाल कर अपने जवाबदेही को पूर्ण मान लिया है।अभी हालात यह है कि पानी का थोड़ा भी दबाव बढ़ेगा तो कटाव तेजी से शुरु हो जायेगा।इस पर प्रशासन सीरियस नहीं है।हालांकि बाढ़ में निगरानी के लिए तटबंधों पर होमगार्ड की तैनाती की गई है।सोनपुर इलाके के 300 घरों के इस टोले में अब अपने विस्थापन का डर पैदा हो गया है। मोहल्ले के बचाव के लिए बाढ़ नियंत्रण विभाग जहां आधा अधूरा कार्य करवा अपनी बहाबहि लूट रहा है।

सात नंबर गोगरा तटबंध के 68 से 83 किलो मीटर गैरतपुर से डुमाईगढ़ छपरा एवं मटियार मांझी :मांझी-सरयू नदी के किनारे का बांध सही स्थिति में है।बांध उतना डैमेज नहीं है।सोंधी नदी के मरहां गांव व नंदपुर व अलियासपुर के पास तटबंध है।सनद रहे कि मरहां गांव के पास स्लूइस गेट है।वहां की बांध कमजोर है।पिछले साल उसी गेट के पास बांध से टूटने के बाद कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गया था।जिससे प्रशासन की पोल खुल गई थी।पानी का दबाव वहां तेज रहता है।जिससे टूटने का खतरा बना रहता है।इस साल भी चौकस रहने की जरूरत है अन्यथा प्रशासनिक तैयारियों के बावजूद भी टूटने का भय बना रहेगा।उस इलाके में सैकड़ों एकड़ में खेती होती है।इस बाबत मांझी के सीओ सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि तटबंध सुरक्षित है। लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। खतरा अभी नहीं है।

प्रशासनिक तैयारी: अंचल स्तर पर राहत दल गठित,215 शरण स्थल बनाये गये

छपरा। बाढ़ नियंत्रण को ले जिलाधिकारी ने बाढ़ से निपटने को लेकर कई निर्देश दिए है। बाढ़ को लेकर 215 स्थानों का शरण स्थल के रूप में चिन्हित किया गया है। डीएम ने सभी अंचलाधिकारियों व भूमि सुधार विभाग के उपसमाहर्ता को शरण स्थल पर जाकर निरीक्षण करने का निर्देश दिया है। साथ ही पीने के पानी, शौचालय आदि की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। बाढ़ को लेकर 20 खोज, बचाव व राहत दल का अंचल वार गठन किया गया है। वहीं जिले में 72 गोताखोर की संख्या बताई गई है। जानकारी के अनुसार जिले के नदियों पर बने तटबंधों की सुरक्षा को लेकर होम गार्ड के जवान को प्रतिनियुक्त किया गया है। साथ ही खाद्यान, दवा, पशु दवा, पशु चारा व अन्य सामग्रियों के इंतजाम के लिए अधिकारियों को विशेष दिशा निर्देश दिया है।बाढ़ से लोगों के बचाव के लिए 185 बड़ी व 150 नावों सहित कुल 335 नाव का इंतजाम किया गया है।बाढ़ प्रभावित लोगों को खाद्यान की सुविधा पहुंचाने के लिए निविदा भी निकाली गई है।
गंगा, घाघरा व सोन नदियों के जलस्तर में उफान

जिले के प्रमुख नदियों में गंगा व घाघरा यानी सरयू व सोन नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रहा है। हालांकि रेवा स्थित गंडक नदी का जलस्तर अभी भी स्थिर है। जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए जिला प्रशासन तटबंधों की सुरक्षा को लेकर पल-पल की जानकारी ले रहे है। खतरनाक तटबंधों को चिन्हित कर विशेष सुरक्षा बरती जा रही है। जानकारी के अनुसार नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से सारण के करीब सात प्रखंडों में बाढ़ आ जाती है। इसमें मांझी, रिविलगंज, सदर, दिघवारा, सोनपुर, गड़खा, दरियापुर, जलालपुर व पानापुर आदि