Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/काले-धन-के-मसले-पर-बदलता-रुख-आकार-पटेल-7609.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | काले धन के मसले पर बदलता रुख - आकार पटेल | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

काले धन के मसले पर बदलता रुख - आकार पटेल

भारतीयों ने कितना काला धन विदेशों में रखा है? इस बारे में किसी को सही-सही जानकारी नहीं है. सरकार को भी नहीं! वर्ष 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 80 बिलियन डॉलर काला धन होने के अनुमान पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया है. भारत के उद्यमियों के सबसे बड़े संगठन (एसोचैम) का कहना है कि काले धन का आंकड़ा दो ट्रिलियन डॉलर यानी भारत के सालाना सकल घरेलू उत्पादन से भी अधिक है. टिप्पणीकार स्वामीनाथन अय्यर का मानना है कि काले धन की राशि बहुत बड़ी नहीं हो सकती है, क्योंकि स्विट्जरलैंड में ब्याज दरें भारत के मुकाबले बहुत कम हैं और भारतीयों के द्वारा अपना धन बाहर भेजने में कोई आर्थिक समझदारी नहीं दिखती है. इतना ही नहीं, इस बात को लेकर भी स्पष्टता नहीं है कि यह एक समस्या है भी या नहीं, और अगर समस्या है, तो फिर कितनी गंभीर समस्या है.

काला धन की परिभाषा की प्राथमिक समझदारी को लेकर भी स्थिति भ्रमपूर्ण है. आम तौर पर माना जाता है कि काला धन वह धन है, जिस पर आयकर नहीं दिया गया है. यदि इस परिभाषा के हिसाब से देखें, तो वयस्क भारतीयों की एक बड़ी संख्या, शायद बहुसंख्यक आबादी, के पास काला धन है. सिर्फ तीन फीसदी भारतीय ही आयकर चुकाते हैं, और जो कर देते हैं, वे भी अपनी आय का पूरा ब्योरा जाहिर नहीं करते हैं. भारत में जमीन और संपत्ति की खरीद-बिक्री में अधिकतर लेन-देन नकद ही होता है. यह निश्चित रूप से काला धन है. इस हकीकत के मद्देनजर काला धन की समस्या आंतरिक है और इसे भारतीय नागरिकों से उचित वसूली के द्वारा हल करने की जरूरत है.

हालांकि, भाजपा के वादों और गांधी परिवार पर लगाये गये आरोपों के कारण बहुत से लोगों का मानना है कि काला धन वास्तव में वह धन है, जो घूस के रूप में जमा किया जाता है और विदेश भेज दिया जाता है. ऐसे आक्रामक राजनीतिक दावों, अटकलबाजियों और मीडिया के लापरवाह रुख ने काला धन के मसले पर भारतीयों को आक्रोश से भर दिया है. यह मसला भाजपा ने पहले लालकृष्ण आडवाणी और फिर नरेंद्र मोदी के जरिये उठाया था. भाजपा की नजर में, काले धन की समस्या भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई है और सत्ता में बदलाव के द्वारा बड़ी आसानी से इसका समाधान किया जा सकता है.

अपने चुनाव अभियान के दौरान नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि ‘ये जो चोर-लुटेरों के पैसे विदेशी बैंकों में जमा हैं न, उतने भी हम एक बार ले आये न, तो हिंदुस्तान के एक-एक गरीब आदमी को मुफ्त में 15-20 लाख रुपये यूं ही मिल जायेंगे. ये इतने रुपये हैं.. सरकार आप चलाते हो और पूछते मोदी को हो कि काला धन कैसे वापस लायें? जिस दिन भाजपा को मौका मिलेगा, एक-एक पाई हिंदुस्तान में वापस आयेगी और इस धन को हिंदुस्तान के गरीबों के काम में लगाया जायेगा.' इस भाषण का वीडियो यूट्यूब पर देखा जा सकता है, जिसे इस वर्ष नौ जनवरी को अपलोड किया गया है.

तब नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत किये गये काले धन के आंकड़े और उसे वापस लाने के दावे को लेकर मीडिया को सवाल करने चाहिए थे. आखिर उन्होंने हर गरीब भारतीय को 15 लाख रुपये देने का हिसाब किस आधार पर लगाया था? पैसे वापस लाने और बांटने की उनकी रणनीति क्या है? उन्होंने यह सब नहीं बताया और उनके जादुई चुनावी अभियान में सारे तथ्य बह गये. मोदी ने सरकार चलाने के लिए जिस तरह का जनादेश मांगा था, लोगों ने उन्हें वह दिया, लेकिन वे काले धन के मामले में कोई प्रभावी बदलाव नहीं ला सके हैं.

प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के पहले दिन उन्होंने काले धन पर विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया था, लेकिन इसके बाद चीजें पहले की तरह पुराने र्ढे पर ही चलती दिखाई देने लगीं. यहां तक कि सुब्रमण्यम स्वामी और राम जेठमलानी (वैसे दोनों में से कोई भी संतुलित नजर नहीं आते हैं) जैसे भाजपाइयों को भी ऐसा ही लगने लगा.

एसआइटी उन विदेशी बैंक के खाताधारकों की सूची की जांच कर रही है, जो भारत को कांग्रेस सरकार के दौरान ही मिल गयी थी. इस सूची में कुछ सौ लोगों के नाम हैं, लेकिन इनमें से लगभग आधे वैध माने जा रहे हैं, क्योंकि ये अप्रवासी भारतीय हैं. कांग्रेस सरकार ने इस वर्ष अप्रैल में 18 लोगों के नाम सार्वजनिक किये थे, जिनके खाते अवैध थे.

सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने भी वही रुख अख्तियार किया, जो कांग्रेस सरकार का था- कराधान को लेकर विभिन्न देशों से हुए समझौतों के कारण वे खाताधारकों के नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं. इस मसले पर सक्रिय सर्वोच्च न्यायालय के दबाव में तीन और नाम बताये गये, जिनके विरुद्ध कार्रवाई हो रही है. लेकिन उन लोगों ने आरोपों को खारिज किया है और इनमें से कोई भी बहुत बड़ा धनाढ्य नहीं है. सरकार ने यह भी नहीं बताया है कि इनके खाते में कितनी रकम है और सरकार कितनी रकम वसूल कर पायेगी.

स्पष्ट होता जा रहा है कि सरकार अब काले धन को वापस लाने और हर व्यक्ति को लाखों रुपये देने के वादे से धीरे-धीरे किनारा कर रही है. वित्त मंत्री अरुण जेटली अब कहते हैं कि देश के अंदर जमा काले धन पर ध्यान केंद्रित करना होगा और आयकर विभाग को घरेलू काले धन पर नजर रखनी होगी, जो बहुत बड़ी रकम है. एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को काले धन की मौजूदगी वाले क्षेत्रों पर ध्यान देने का निर्देश दिया है.

मेरी राय में समस्या को देखने का यह बिल्कुल सही तरीका है. वास्तविकता यह है कि सार्वजनिक हुए विदेशी बैंकों के खाताधारकों में से अधिकतर नाम (पहली सूची में 18 में से 15 और दूसरी सूची में तीन नाम) गुजराती हैं. यदि देश के भीतर मौजूद काले धन पर जोर देने की बात हो रही है, तो सबसे पहले गुजरात की अर्थव्यवस्था और वहां की सरकार के काम-काज को देखा जाना चाहिए.

मौजूदा स्थिति में मेरा आकलन यह है कि कभी दावों को प्रोत्साहित करने और लोगों में आक्रोश की भावना भरनेवाले टेलीविजन चैनल अब हताश हो चुके हैं. जब उनके सामने यह बात स्पष्ट हो जायेगी कि नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के मामले में ऐसे दावे किये थे, जिन्हें वे पूरा कर पाने में सक्षम नहीं हैं, तो वे मोदी को अपने निशाने पर लेने में कोई देरी नहीं करेंगे.