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कालेधन पर लगेगी लगाम, बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने वाले विधेयक को मंजूरी

नयी दिल्ली : कालाधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने अहम कदम उठाया है. केंद्र सरकार को बेनामी संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार देने और बेनामी लेनदेन करने वालों पर अभियोजन एवं दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान वाले बेनामी संव्यवहार (प्रतिषेध) संशोधन विधेयक को आज लोकसभा ने मंजूरी दे दी. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह काले धन पर रोक लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा. विधेयक में बेनामी लेनदेन करने वाले दोनों पक्षों पर अभियोजन के साथ एक से सात वर्ष तक की सजा अथवा जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया गया है.

नया कानून क्यों ?
बेनामी संपत्ति से संबंधित 1988 के कानून में संशोधन करने के बजाय नया कानून लाने की संसदीय समिति की सिफारिश को नहीं मानने के कुछ सदस्यों के सवाल पर जेटली ने कहा कि 1988 का कानून बहुत छोटा था और इसमें केवल नौ धाराएं थीं. इसमें केवल अधिग्रहण का प्रावधान था और अनुपालन की कोई मशीनरी नहीं बन पाई थी. उन्होंने कहा कि कानून मंत्रालय ने अध्ययन के बाद कहा कि इसके लिए नियम नहीं बनाये जा सकते और कोई प्रवर्तन प्रणाली नहीं होने के चलते यह कानून प्रभाव में नहीं आ सका.

जेटली ने कहा कि अगर हम 1988 के कानून को निष्प्रभावी करके नया विधेयक लाने की सिफारिश स्वीकार कर लेते तो तब से लेकर 2016 तक बेनामी लेनदेन करने वाले लोग इस कानून के दायरे से बच जाते. चर्चा के बाद सदन ने ध्वनिमत से बेनामी संव्यवहार (प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2015 को मंजूरी दे दी और एक सदस्य द्वारा पेश संशोधनों को अस्वीकार कर दिया.

कालेधन का भंडाफोड़ करने वालों को मिलेगी सुरक्षा
वित्त मंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 20 के अनुसार पैनल लॉ होने के नाते इसे पूर्व की तिथि के प्रभाव से नहीं लाया जा सकता. जेटली ने बेनामी लेनदेन का भंडाफोड करने वाले लोगों को संरक्षण देने से जुडी सदस्यों की चिंताओं पर कहा कि किसी भी मामले में जानकारी देने वाले ऐसे लोगों के लिए व्हिसल-ब्लोअर अधिनियम अलग से है और उन्हें सभी मामलों में इस कानून के तहत संरक्षण प्राप्त होता है. वित्त मंत्री ने कहा कि इन मामलों को असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है क्योंकि हम नहीं चाहते कि ऐसा होने पर पुलिस समेत अनेक एजेंसियां लोगों को परेशान करना शुरु कर दें.

संपत्ति जब्त करने का अधिकार केंद्र के पास
उन्होंने कहा कि इसमें मामलों के अपीलीय निपटारे के लिहाज से उच्च न्यायालय को अधिकार दिया गया है. मिसाल के तौर पर अगर किसी व्यक्ति का संपत्ति पर से अधिकार जा रहा हो और अपीलीय प्राधिकार में जाने के बाद भी उसे अगर लगे कि कोई साक्ष्य वह पेश करना चाहता है तो ऐसे मामलों के लिए उच्च न्यायालय को अधिकार दिया गया है. जब्त संपत्ति का अधिकार केंद्र के पास ही रहने से संबंधित प्रावधान पर कुछ सदस्यों द्वारा सवाल उठाने पर जेटली ने कहा कि केंद्र का कानून होने के नाते पीएमएलए, एनडीपीएस समेत अन्य केंद्रीय कानूनों की तरह ही इसमें भी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार भी केंद्र के पास होगा.
कालेधन पर लगाम लगाने के लिए महत्वपूर्ण कदम
उन्होंने कहा कि धार्मिक और परमार्थ संगठनों की संपत्तियों को इस कानून में छूट देने का अधिकार सरकार के पास है. हालांकि अगर कोई इन संपत्तियों के बहाने धोखाधडी करता पाया गया तो सरकार के पास यह अधिकार है कि वह इस छूट को वापस ले ले. वित्त मंत्री के अनुसार संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया कई चरणों में होगी जो नागरिकों को संरक्षण प्रदान करने की सोच के तहत है. इससे पहले विधेयक को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि यह विधेयक बेनामी संपत्ति में काले धन के निवेश को हतोत्साहित करेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि हिंदू अविभाजित परिवार और ट्रस्टों की संपत्तियों से जुडे कुछ मामलो में छूट का भी प्रावधान है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह एक महत्वपूर्ण काला धन निरोधक कदम है.''