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किताबें छपवायेगी नहीं, अब खरीदेगी

रांची: सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों की कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को अब खरीद कर किताबें दी जायेंगी. झारखंड शिक्षा परियोजना 2014-15 में किताबों की छपाई के लिए टेंडर नहीं करेगी. नयी व्यवस्था के तहत सरकार किताबें छपवाने के बदले एनसीइआरटी से खरीद कर बच्चों के बीच नि:शुल्क बंटवायेगी.

एनसीइआरटी की किताबों की कीमत व अपने स्तर से छपाई में आनेवाले खर्च का मूल्यांकन करने के बाद झारखंड शिक्षा परियोजना (जेइपीसी) ने इसका फैसला लिया. जेइपीसी ने इसके लिए एनसीइआरटी को पत्र भी लिख दिया है. उसे वर्ष 2014-15 से कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए किताब उपलब्ध कराने को कहा है.

केंद्र सरकार ने दिया था प्रस्ताव : इससे पहले जेइपीसी बच्चों के लिए खुद किताबें छपवाती थी. पर किताब छपाई में लगातार गड़बड़ी की शिकायत आ रही थी. मामला केंद्र सरकार के पास भी पहुंचा था. केंद्र सरकार किताबों की छपाई पर आनेवाले खर्च की 65 फीसदी राशि का भुगतान करती है. गड़बड़ी की शिकायत के कारण केंद्र सरकार ने 2013-14 की किताबों के लिए प्रकाशकों की राशि के भुगतान पर रोक लगा रखी है.

 
मामले की जांच होने तक प्रकाशकों को राशि नहीं देने को कहा है. साथ ही इस तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए एनसीइआरटी से किताब खरीदने का प्रस्ताव दिया था.

2012-13 में हुई सबसे अधिक गड़बड़ी

- 2012-13 में बजट में अप्रत्याशित रूप से 30 करोड़ की वृद्धि कर दी गयी

- 2011-12 में 45 लाख बच्चों को किताब देने के लिए 45.58 करोड़ में टेंडर फाइनल हुआ था.  2012-13 में इतने ही बच्चों को किताब देने के लिए 75.99 करोड़ रुपये में टेंडर हुआ था

- 2012-13 में तीन बार टेंडर रद्द किया गया. छह बार टेंडर फाइनल करने की तिथि बढ़ायी गयी. पहले टेंडर में पेपर मील क्षमता प्रति वर्ष पांच हजार मैट्रिक टन थी, जबकि दूसरे टेंडर में घटा कर तीन हजार कर दी गयी. तीसरे टेंडर में प्रकाशक के लिए सरकारी किताब छापने की शर्त पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया.

- 2012-13 में किताब आपूर्ति के लिए मांगी गयी पहली निविदा में जिन प्रकाशकों ने हिस्सा लिया था, वही प्रकाशक तीसरे टेंडर में भी थे. पर कुछ महीनों में उन्हीं प्रकाशकों की पैकेज दर में बढ़ोतरी हो गयी. पहले टेंडर प्रकाशक लगभग 60 करोड़ में किताब छपने को तैयार थे, वहीं तीसरे टेंडर में यह बढ़ कर 76 करोड़ हो गया.

-  2012-13 में टेंडर फाइनल करने में विभाग के अधिकारियों ने नौ माह का समय व्यतीत कर दिया.

- टेंडर शर्त में 16 से अधिक संशोधन किये गये. इस कारण बच्चों को समय पर किताब नहीं मिली

क्यों लिया गया निर्णय
किताब छपाई और आपूर्ति के टेंडर में लगातार गड़बड़ी की शिकायत आ रही थी. 2012-13 व  2013-14 में किताब छपाई में सबसे अधिक गड़बड़ी सामने आयी  थी. इसकी शिकायत भारत सरकार को मिली थी.

खरीदने से क्या होगा लाभ

बच्चों को समय पर किताबें मिलेंगी

किताब छपाई पर होनेवाली खर्च में कमी आ सकती है

भ्रष्टाचार पर लगेगी रोक

किताबों के कागज की गुणवत्ता बेहतर होगी


2005-06 से बच्चों को दी जाती हैं किताबें
सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों की कक्षा एक से आठ तक में पढ़नेवाले बच्चों को नि:शुल्क किताबें देने की योजना 2005-06 से शुरू हुई थी. 2005-06 में किताब एनसीइआरटी के माध्यम से ही खरीदी गयी थी. पर 2006-07 से राज्य सरकार ने एनसीइआरटी से किताब छापने की कॉपी राइट ले ली. इसके बाद से राज्य में किताब छपाई का कार्य झारखंड शिक्षा परियोजना की देखरेख में होता है.