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किसानों की खुदकुशी पर विधान सभा में हंगामा

भोपाल [ब्यूरो]। किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर विधान सभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने राज्य में प्रतिदिन आठ किसान और खेतिहर मजदूरों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए विधायकों की समिति की मांग ठुकराए जाने पर बहिर्गमन कर दिया। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

प्रश्नकाल में किसान और खेतिहर मजदूरों की खुदकुशी का मुद्दा कांग्रेस के रामनिवास रावत ने उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1 मार्च से अक्टूबर तक 5 हजार 299 आत्महत्याएं हुई हैं। जबकि 143 खुदकुशी की कोशिश में नाकाम रहे।

आत्महत्या कराने वालों में 655 किसान और 886 कृषि मजदूर थे। यानि प्रदेश में प्रतिदिन 23 आत्महत्याएं हो रही हैं। इनमें किसान और कृषि मजदूरों की संख्या के लिहाज से देखें तो प्रतिदिन 8 होती है। रावत की मांग थी कि इस गंभीर मुद्दे की पड़ताल के लिए विधायकों की समिति बनाकर जांच कराना चाहिए।

गृहमंत्री की दलील थी कि किसानों की मौत खेती से जुडे़ मुद्दे पर नहीं हुई है। हर एक मामले की वजह अलग-अलग हैं। ऐसे मामलों में न तो सहायता देने का प्रावधान है और न इसकी पड़ताल के लिए विधायकों की समिति की जरूरत है।

इस मुद्दे पर स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी ने भी गृह मंत्री की दलीलों से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री इसके लिए पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दें कि वे जिला स्तर पर संगोष्ठियां करें। इसमें कॉलेज के छात्र और समाज सुधारकों को शामिल किया जाए।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आत्महत्या किसी की भी हो, तकलीफदेह होती है। यह एक प्रदेश की समस्या नहीं है। जापान, कोरिया सहित देश के अन्य प्रांतों में भी इस तरह की घटनाएं होती हैं। कुछ राज्यों में तो इसके आंकडे़ यहां से ज्यादा हैं। इस विषय को राजनीतिक रूप देने की कोशिश की जा रही है, जो ठीक नहीं है। आत्महत्या के कारण मनोवैज्ञानिक होते हैं। उन्हें दूर करने के प्रयत्न किए जाएंगे।

वहीं, संसदीय कार्यमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि किसानों की आत्महत्या की वजह महंगाई और खाद के दाम बढ़ना है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि विधायकों की समिति बनाने की मांग उचित है। हालांकि सरकार इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हुई। बाद में कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।

रीवा में 72, उमरिया 54, झाबुआ 48, डिण्डौरी और सतना 46-46, खरगोन 43, बैतूल 38, विदिशा 26, बालाघाट और कटनी 20-20 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।