Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/किसानों-की-मौत-छिपाता-और-सैनिकों-की-मौत-भुनाता-दिखावटी-राष्ट्रवाद-अनुराग-मोदी-13372.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | किसानों की मौत छिपाता और सैनिकों की मौत भुनाता दिखावटी राष्ट्रवाद- अनुराग मोदी | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

किसानों की मौत छिपाता और सैनिकों की मौत भुनाता दिखावटी राष्ट्रवाद- अनुराग मोदी

1965 में एक तरफ देश की सीमा पर पाकिस्तान के साथ युद्ध हो रहा था और दूसरी तरफ देश सूखे और अकाल के संकट से जूझ रहा था. ऐसे समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने नारा दिया था- ‘जय-जवान, जय-किसान.'

आज पहले से ज्यादा किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है- कुछ नहीं बदला, बल्कि इतने बुरे हालात कभी नहीं रहे. सरकार की नीतियों ने उनकी समस्या और बढ़ा दी है. यहां तक कि उत्तर प्रदेश में तो आवारा पशुओं से होने वाली फसल नुकसान उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा बन गया.

सही मायने में कहें तो, किसानी हर तरह से खतरे में है. अगर यही हालात रहे तो आने वाली पीढ़ी किसानी नहीं करेगी. ऐसे समय में, नरेंद्र मोदी से प्रधानमंत्री के रूप में देश का मुखिया होने के नाते ‘जय जवान और जय किसान' के नारे को मजबूती से दोहराने की जरूरत थी.

इस मुद्दे पर बहस कर देश से आह्वान करना था. मगर, आज हमारे प्रधानमंत्री चुनाव जीतने के लिए जवान के नाम पर किसान की मौत छुपाने का खेल खेल रहे हैं.

पूर्व वायुसेना प्रमुख एडमिरल रामदास ने सेना के निवर्तमान अधिकारियों की ओर से चुनाव आयोग को पत्र लिखकर यह मांग की थी कि चुनावों में पुलवामा, बालाकोट या किसी भी रूप में सेना का इस्तेमाल न हो. उस पर चुनाव आयोग ने दिशा निर्देश भी जारी किए थे.

मगर उसका कोई असर प्रधानमंत्री एवं उनकी पार्टी के अन्य नेताओं पर पड़ते नहीं दिखता. महाराष्ट्र के लातूर में तो उन्होंने ने सीधे-सीधे पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों के नाम पर वोट मांगा.

भाजपा और मीडिया के कुछ वर्ग ने एक ऐसा उन्माद का माहौल खड़ा कर दिया है, जैसे सैनिकों की मौत पर घड़ियाली आंसू बहाना और बात-बात पर युद्ध की बात करना- देख लेना और दिखा देना राष्ट्रवाद की असली निशानी रह गया है.

द वायर हिन्दी पर प्रकाशित इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहांक्लिक करें