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किसानों की सुनने की फुर्सत नहीं

जागरण ब्यूरो, भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश के बाद भी बुंदेलखंड के किसानों को उड़द की घटिया बीज प्रदाय करने वालों के खिलाफ कार्यवाही का मामला पुलिस ने ठंडे बस्ते में ड़ाल दिया है।

ज्ञातव्य है कि तीन माह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुंदेलखंड का दौरा किया था। उन्होंने अपने इस दौरे के दौरान खेतों में अफलन की स्थिति भी देखी थी। उन्होंने अफसरों को बीज प्रदाय करने वाली कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामला कायम करने के आदेश दिए थे। ज्ञातव्य है कि केंद्र की दलहन विकास योजना के तहत छतरपुर एवं टीकमगढ़ जिले के किसानों को 4 किलो उड़द का बीज बोवने के लिए नि:शुल्क दिया गया था।

इसके अलावा किसान को 16 किलोग्राम बीज स्वयं खरीदना था। योजना में प्रत्येक किसान को लगभग 3500 रुपए कीमत की एकीकृत कीट प्रबंधन सामग्री भी निशुल्क दी गई है। सरकार की मंशा के विपरीत छतरपुर के कृषि विभाग ने किसानों को 16 किलो बीज भी स्वयं सप्लाई कर दिया। लगभग 54 रुपए प्रति किलो कीमत का यह बीज उत्तराखंड में बना आजाद-1, आजाद-2, पीयू 31 एवं पीयू-40 था। उत्तराखंड एवं छतरपुर की जलवायु विपरीत होने के कारण इस बीज का पौधा तो पाच से छह फीट लंबा हो गया, लेकिन इसमे फलन नहीं हुआ। इससे क्षेत्र के हजारों किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए। इस मामले के तूल पकडऩे पर 4 अक्टूबर को सीएम शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिले के बड़ामलहरा क्षेत्र पहुंचे और मामले की जमीनी हकीकत देखी। इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई के लिए एफआईआर कराने और उपभोक्ता फोरम जाने के लिए निर्देश दिए। सीएम के निर्देशों के बाद ही जिले के सभी ब्लाक में बीज सप्लायर कंपनियों पर एफआईआर कराई गई।

छतरपुर के उप संचालक कृषि जी.पी. पटेल ने बताया कि उड़द के बीज के धोखा दे जाने के मामले की जाच के लिए जबलपुर से 4, कानपुर से 3, टीकमगढ़ के 3 और छतरपुर से 2 कृषि वैज्ञानिक आए थे। सीएम के आने से पहले ही वैज्ञानिक जाच रिपोर्ट तैयार करके दी जा चुकी है। यदि पुलिस को जाच रिपोर्ट दोबारा चाहिए तो कार्यालय से ली जा सकती है। फिलहाल विभाग का पूरा ध्यान प्रभावित हुए किसानों को मुआवजा देने पर है। इसके लिए अभी सर्वे कार्य पूरा हुआ है। अब मुआवजा मिलने की देर है।

छतरपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील तिवारी कहते है कि मामले की जाच के लिए खजुराहो एसडीओपी आरके वर्मा को नियुक्त किया गया था। उन्हें ही मामले की ज्यादा जानकारी होगी, यदि मामले में लापरवाही बरती जा रही है तो वे त्वरित कार्रवाई के लिए निर्देश देंगे। शीघ्र मामले के आरोपियों तक पुलिस पहुंच जाएगी।

मुख्यमंत्री द्वारा मामले के दोषियों पर कार्रवाई के निर्देशों के बाद भी पुलिस अधिकारियों को जाच पूरी करने की फुरसत नहीं हैं। वे पहले दिसंबर तक की विभागीय पेंडेंसी को पूरा करने में तवज्जो दे रहे हैं। हालाकि कृषि विभाग के अधिकारी शीघ्र ही प्रभावित किसानों को मुआवजा देने के लिए बजट मिलने की राह ताक रहा है।

मामले की जाच खजुराहो एसडीओपी आरके वर्मा और थाना प्रभारी राजनगर मुबारक अली को दी गई। जिले के सभी 12 मामलों की जाच के तहत कृषि कर्मचारियों के बयान हो चुके हैं। इसके अलावा एफआईआर में फरियादी बने किसानों के खेतों की मिट्टी के नमूने भी ले लिए गए हैं। लेकिन अभी तक पुलिस इस बीज की सप्लाई और खराबी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का नाम नहीं तय कर सकी है। पुलिस को अभी तक केवल फमरें के नाम ही पता हैं। गड़बड़ी करने वालों पर नहीं पहुंचा जा सका है।