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किसानों के मुफीद नहीं हैं फसल बीमा स्कीमें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार ने मौसम आधारित फसल बीमा योजनाओं [डब्लूबीसीआईएस] को तो लागू कर दिया है, लेकिन कई खामियों की वजह से यह किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित नहीं हो पा रही हैं। राज्य सरकारों की उदासीनता भी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार है।

प्रमुख उद्योग चैंबर फिक्की के मुताबिक केंद्र सरकार को सबसे पहले इन स्कीमों के लिए कम से कम तीन वर्ष अवधि की रणनीति बनानी चाहिए। अभी हर फसल मौसम से पहले सरकार इस बारे में ऐलान करती है। इससे बीमा कंपनियों के लिए लंबी अवधि की रणनीति बनाना मुश्किल होता है।

फक्की ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार इस स्कीम को कम से कम तीन वर्ष के लिए लागू करने की अधिसूचना जारी कर दे तो किसानों के प्रीमियम में काफी कमी हो सकती है। दरअसल, फिक्की ने शनिवार को मौसम आधारित फसल बीमा स्कीमों पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है। यह स्कीम अभी पायलट परियोजना के तहत लागू की गई है। सरकार के बार-बार कहने के बावजूद अभी तक थोड़े ही राज्यों ने फसल बीमा की यह स्कीम लागू की है। इसके लिए केंद्र सरकार वर्ष में दो बार अधिसूचना जारी करती है।

फक्की की इस रिपोर्ट के मुताबिक किसानों को फसल बीमा को लेकर ज्यादा विकल्प देने से उनका काफी भला होगा। अभी किसानों को राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना का ही सहारा होता है। कर्ज लेने वाले किसानों को तो इसी स्कीम के तहत बीमा कवरेज मिलता है। केंद्र सरकार इस नियम में बदलाव करते हुए मौसम आधारित फसल बीमा के प्रचलन का विकल्प भी पेश कर सकती है। इससे प्रतिस्पद्र्धा बढ़ेगी जिसका फायदा किसानों को होगा। फिक्की ने यह भी कहा है कि किसानों को फसल बीमा की सब्सिडी देने का काम सीधे तौर पर करना चाहिए। इसके लिए बीच में मध्यस्थों को शामिल नहीं करना चाहिए।

रपोर्ट के मुताबिक देश में फसल बीमा को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर मौसम केंद्र भी खोलने की जरूरत है। अभी 176 मौसम केंद्र हैं और 126 खोले जाने वाले हैं। जबकि देश में 14.1 करोड़ हेक्टेयर में खेती होती है। इसके लिए 6000 मौसम केंद्र चाहिए। आदर्श तौर पर हर 15 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में एक मौसम केंद्र स्थापित होना चाहिए। इसके लिए निजी क्षेत्र को भी सब्सिडी मिलनी चाहिए ताकि वे ग्रामीण इलाकों में मौसम केंद्र खोल सकें। इससे किसानों को समय पर उचित जानकारी मिल सकेगी। साथ ही फसल बीमा स्कीम तैयार करने में भी बीमा कंपनियों को सहूलियत होगी।