Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/किसानों-के-हाथों-से-जाएगी-दो-लाख-हेक्टेयर-जमीन-ए-जयजीत-3492.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | किसानों के हाथों से जाएगी दो लाख हेक्टेयर जमीन- ए जयजीत | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

किसानों के हाथों से जाएगी दो लाख हेक्टेयर जमीन- ए जयजीत

भोपाल. प्रदेश सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात भले ही करे, लेकिन सच्चई यह है कि आने वाले समय में प्रदेश की दो लाख हेक्टेयर जमीन किसानों के हाथों से निकल सकती है। इसकी बड़ी वजह प्रोस्पेक्टिंग लीज (खनिज की पड़ताल के लिए लीज) और खनन पट्टों के लिए उद्योगों को दी गई मंजूरी है।

मप्र ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट फेसिलिटेशन कारपोरेशन (ट्राइफेक) के आंकड़ों के अनुसार खजुराहो समिट सहित अभी तक हुई सभी समिट में कुल 427 करार हुए हैं। उनमें से 130 औद्योगिक इकाइयों को 2 लाख 43 हजार हेक्टेयर जमीन उद्योगों के निर्माण, प्रोस्पेक्टिंग लीज अथवा खनन पट्टों के लिए दी गई है। इनमें से सरकारी जमीन मात्र 49 हजार 700 हेक्टेयर है।

करारों पर अध्ययन करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता अपरा विजयवर्गीय के अनुसार निकट भविष्य में उद्योगों के लिए कृषि भूमि के आवंटन में तीन गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। जमीन लेने के लिए मिनरल कंसेशन रूल (एमसीआर 1960) की आड़ ली जा रही है।

इस कानून के नियम 9 (2) जी के अनुसार प्रोस्पेक्टिंग लीज के लिए भूस्वामी की सहमति जरूरी नहीं है। प्रोस्पेक्टिंग लीज वह होती है जिसमें इस बात की जांच की जाती है कि अमुक जमीन के नीचे खनिज है या नहीं। इसी तरह नियम 22 एच के तहत खनन पट्टे (एमएल) के लिए भी भू स्वामी की सहमति जरूरी नहीं है। हालाकि नियमानुसार जमीन पर अधिकार भू स्वामी का बना रहता है, लेकिन खनन के बाद जमीन खेती के लायक नहीं रह जाएगी।

ऐसे जाएगी जमीन

> सांघी इंडस्ट्रीज एमपी लिमिटेड को कटनी जिले में 11६१ हेक्टेयर क्षेत्र पर खनन पट्टे की स्वीकृति।
> बिरला कारपोरेशन को तलबंडी सीमेंट के नाम से 2100 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर खनन पट्टे की अनुशंसा भारत सरकार को भेजी गई।
> एएए रिसोर्सेज ने सतना जिले में 1७५९ हेक्टेयर क्षेत्र पर प्रोस्पेक्टिंग लीज के बाद खनन पट्टे के लिए आवेदन किया।

75 साल में खत्म हो जाएगी खेती!

भारतीय किसान संघ के आकलन के अनुसार हर साल करीब डेढ़ फीसदी दर से कृषि जमीन कम होती जा रही है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा के अनुसार यदि यही गति रही तो 75 साल में खेती के लिए जमीन नहीं बचेगी।

सरकारी जमीन का टोटा

सरकारी दावों के अनुसार पूरे प्रदेश में 22 हजार हेक्टेयर सरकारी जमीन चिह्न्ति की गई है, लेकिन वास्तव में अब तक केवल 4521 हेक्टेयर जमीन ही प्राप्त हुई है। एक बड़ी समस्या यह भी है कि उद्योगों को जहां जमीन चाहिए, वहां सरकार के पास वह उपलब्ध नहीं है।

किसानों का खेती से बाहर होना एक खतरनाक संकेत है, क्योंकि कृषि जितना रोजगार दे सकती है, उतना रोजगार उद्योगों में सृजित नहीं हो पा रहा है। बेहतर होगा कि हम विकास की एप्रोच बदलंे।""

देविंदर शर्मा,कृषि विशेषज्ञ

हमारे पास सरकारी जमीन होती है, तो उपलब्ध करवा देते हैं। उद्योगपति ने जहां जमीन मांगी है, अगर वहां हमारे पास भूमि नहीं है तो फिर जमीन हासिल करने का काम उद्योग स्वयं करता है।""

सत्यप्रकाश,अपर मुख्य सचिव,वाणिज्य एवं उद्योग